Wednesday, June 25, 2025
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एम्स ऋषिकेश में साक्ष्य आधारित चिकित्सा शिक्षा पर वृहद कार्यशाला

-एम्स ऋषिकेश में साक्ष्य आधारित चिकित्सा शिक्षा पर वृहद कार्यशाला

-केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने की स्वास्थ्य सशक्तिकरण की वकालत

देहरादून, एम्स ऋषिकेश में साक्ष्य आधारित चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक वृहद कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा रहे। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना स्वास्थ्य के क्षेत्र में मजबूती के बिना अधूरा है। केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने कहा कि स्वास्थ्य सशक्तिकरण के बिना न समाज समृद्ध हो सकता है और न ही देश विकसित। हमें ऐसी स्वास्थ्य शिक्षा की ज़रूरत है, जो आधुनिक विज्ञान, संवेदनशीलता और साक्ष्य आधारित निर्णय को एक साथ लेकर चले। उन्होंने मेडिकल छात्रों और शिक्षकों से अपील की कि वे अनुसंधान को प्राथमिकता दें और तकनीकी प्रगति को अपनाएं। एम्स ऋषिकेश के निदेशक और आयोजन समिति ने बताया कि यह कार्यशाला देश में मेडिकल एजुकेशन को ग्लोबल स्टैंडर्ड पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। कार्यक्रम के दौरान प्रस्तुतियाँ, केस स्टडीज और पैनल चर्चा के ज़रिए प्रतिभागियों को व्यावहारिक दृष्टिकोण भी सिखाया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य था चिकित्सकों और स्वास्थ्य पेशेवरों को क्लीनिकल मामलों में ‘एविडेन्स बेस्ड प्रैक्टिस’ को अपनाने के लिए प्रशिक्षित और प्रेरित करना। यह कार्यशाला डिपार्टमेंट ऑफ एविडेन्स सिंथेसिस, सेंट्रल लाइब्रेरी एम्स ऋषिकेश और अंतरराष्ट्रीय मेडिकल प्रकाशन संस्था वोल्टर क्लूवर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई। कार्यशाला का शुभारंभ केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में चिकित्सकों का योगदान केंद्रीय भूमिका में है। एक सक्षम, संवेदनशील और वैज्ञानिक सोच रखने वाला स्वास्थ्य तंत्र ही देश की असली पूंजी है। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर प्रयास कर रहा है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या कम हो सके। उन्होंने डॉक्टरों से आह्वान किया कि वे आपात स्थिति में सड़क दुर्घटना पीड़ितों को समय पर मदद देने में निर्णायक भूमिका निभाएं। एम्स ऋषिकेश प्रशासन ने कहा कि यह कार्यशाला देश में चिकित्सा शिक्षा को साक्ष्य और वैज्ञानिक पद्धतियों के साथ जोड़ने की दिशा में एक बड़ी पहल है। भविष्य में इस तरह के विशेषज्ञ-आधारित कार्यक्रमों को नियमित रूप से आयोजित किया जाएगा।
एम्स ऋषिकेश में आयोजित साक्ष्य आधारित चिकित्सा शिक्षा पर वृहद कार्यशाला के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री अजय टम्टा ने चिकित्सकों से आह्वान किया कि वे उपचार की नवीनतम तकनीकों का उपयोग कर हर रोगी के जीवन को बचाने में पूरी निष्ठा से जुटें। उन्होंने कहा कि यह कार्य राष्ट्र को सशक्त बनाने की दिशा में सीधा योगदान है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सिर्फ सेवा नहीं, राष्ट्र निर्माण का एक स्तंभ है। जब डॉक्टर हर रोगी के लिए नवीनतम और सटीक इलाज अपनाते हैं, तो वह भारत को स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी विकसित बनाते हैं। कार्यशाला की सह-अध्यक्षता कर रहीं संस्थान की कार्यकारी निदेशक और डिपार्टमेंट ऑफ एविडेंस सिंथेसिस की प्रमुख प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि एविडेंस सिंथेसिस एक गंभीर वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो प्रयोगशालाओं, केस स्टडीज़ और शोध के ज़रिए ज्ञान उत्पन्न करती है। शैक्षणिक अनुसंधान कार्यों के दौरान जनरेट होने वाला एविडेंस भविष्य की चिकित्सा नीतियों और उपचार विधियों के लिए बेहद अहम होता है। प्रो. सिंह ने चिकित्सकों से आग्रह किया कि वे अपने शोध आधारित निष्कर्षों को अवश्य प्रकाशित कराएं, ताकि वैश्विक चिकित्सा समुदाय को लाभ हो सके।
वोल्टर क्लूवर ग्लोबल ग्रोथ मार्केट्स इंडिया की वाईस प्रेजिडेन्ट रूचि तुषीर ने डिजिटल स्वास्थ्य उपकरणों के उपयोेग और इसके प्रभाव के बारे में बारीकी से बताया। उन्होने कहा कि वोल्टर्स क्लूवर विश्वसनीय नैदानिक तकनीक और साक्ष्य-आधारित समाधान प्रदान करता है जो चिकित्सकों, रोगियों, शोधकर्ताओं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की अगली पीढ़ी को प्रभावी निर्णय लेने और स्वास्थ्य सेवा में बेहतर परिणाम देगा। कार्यशाला के दूसरे सत्र में वोल्टर क्लूवर की अपर निदेशक शीनम अग्रवाल ने जनरल में आर्टिकल प्रकाशित करवाने के बारे में चिकित्सकों को विस्तार पूर्वक जानकारी दी। कार्यशाला के दौरान साफटवेयर अप टू डेट, डिस्कवरी प्लेटफार्म, ओविड आदि ऑन लाईन डिजिटल टूलों के उपयोग के संबन्ध में विस्तार से बताया गया।
कार्यशाला के समन्वयक और संस्थान के वरिष्ठ पुस्तकालयाध्यक्ष व सूचना अधिकारी संदीप कुमार सिंह ने कहा कि कार्यशाला में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) के साथ अप टू डेट एक्शन के माध्यम से नैदानिक निर्णय और साक्ष्य उपयोग को सशक्त बनाने पर जोर दिया गया। साथ ही मेडिकल क्षेत्र में एविडेन्स टूल, पुस्तकें, आर्टीकल पब्लिकेशन व अनुसंधान आदि के माध्यम से लाभ लेने के बारे में भी चिकित्सकों को जागरूक किया गया।

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