Tuesday, November 26, 2024
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साहस एवं राष्ट्र प्रेम की प्रतिमूर्ति थे महाराणा प्रताप  

हरिद्वार 19 जनवरी (कुल भूषण) अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने महाराणा प्रताप के बलिदान दिवस पर श्रद्वांजलि सभा का आयोजन महाराणा प्रताप सभागार राजपूत धर्मशाला परिसर मे किया। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के 424 वे बलिदान दिवस के अवसर पर क्षत्रिय बन्धुओं ने महाराणा प्रताप के बलिदान को नमन किया।
श्रद्वांजलि सभा की अध्यक्षता करते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामबीर सिंह सिसौदिया ने कहा कि महाराणा प्रताप का सबसे बडा शत्रु अकबर था। जिनके बीच लडाई व्यक्तिगत द्वेष नही बल्कि सिद्वान्तों एवं मूल्यों की लडाई थी।

क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष ठाकुर यशपाल सिंह राणा ने कहा कि महाराणा प्रताप ने अपने जीवनकाल में सदैव दया वीरता शौर्य एवं बलिदान को प्राथमिकता दी। जिसके बल पर उन्होने मुगलो की दासता अस्वीकार करते हुए वीरता से मातृइभूमि के लिए जीवन न्यौछावर करने को बेहतर माना।

महासभा के महामंत्री डा शिवकुमार चैहान ने   कहा इतिहास में प्रमाण मिलता है कि अपने उत्तरार्ध के बारह वर्षो तक महाराणा ने मेवाड में सुशासन स्थापित करते हुए उन्नत जीवन दिया। कार्यक्रम का संचालन योगेन्द्रपाल सिंह राठौर ने किया। श्रद्वांजलि सभा मे डा बिजेन्द्र सिंह चैहान अजब सिंह चैहान महेन्द्र नेगीए मनवीर तोमर सतपाल सिंह पुण्डीर मदन पुण्डीर सुधीर चैहान आदि उपस्थित रहे।

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