नयी दिल्ली, कर्ज के बदले नकद घोटाले में गिरफ्तार की गईं चंदा कोचर कभी एक शक्तिशाली बैंकर हुआ करती थीं और उन्होंने अपनी अगुवाई में आईसीआईसीआई बैंक को देश में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। कोचर फोर्ब्स की दुनिया के दिग्गज लोगों की सूची में नियमित रूप से शामिल रहती थीं। लेकिन केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को ऋण देने में बरती गई कथित अनियमितताओं के सिलसिले में बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया।
कोचर दंपती को शनिवार को मुंबई की एक विशेष अदालत में पेश किया गया। सुनवाई की दौरान अदालत ने चंदा कोचर और उनके पति को 26 दिसंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेज दिया। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दोनों जवाब देने में आनाकानी कर रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। आईसीआईसीआई बैंक ने मई, 2018 में वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये के ऋण देने में कोचर की कथित भूमिका के बारे में शिकायत मिलने के बाद उनके खिलाफ जांच शुरू की थी। कर्ज देने से कोचर के पति दीपक कोचर को फायदा हुआ था।
विवाद गहराने पर कोचर छुट्टी पर चली गई थीं और समय-पूर्व सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। हालांकि बाद में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। समूह के तत्कालीन चेयरमैन के वी कामत की पसंदीदा रहीं कोचर ने 1984 में एक प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में आईसीआईसीआई में काम शुरू किया था। इसके बाद 1990 के दशक की शुरुआत में आईसीआईसीआई एक वाणिज्यिक बैंक बन गया। उन्हें 2009 में प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी के रूप में कामत का उत्तराधिकारी चुना गया। उनके उत्थान के कारण शिखा शर्मा (एक्सिस बैंक की पूर्व प्रमुख) ने भी बैंक छोड़ दिया, जो समूह में उनसे वरिष्ठ थीं। जांच एजेंसी द्वारा इस मामले में जल्द ही पहला आरोपपत्र दाखिल किए जाने की संभावना है, जिसमें वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के साथ कोचर दंपती को भी नामजद किया जा सकता है(साभार प्रभासाक्षी)।
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