देहरादून, हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान ‘जाड़ी’ विभिन्न स्वैछिक संगठनों, पंचायतों, सरकारी विभागों, स्कूलों व शिक्षकों के साथ मिल कर वर्ष 2017 से बीज बम अभियान चला रहा है।
यह जानकारी प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुये जाड़ी संस्था के द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने दी, इस अवसर पर श्री सेमवाल ने कहा कि अभियान में जन भागीदारीता बढा़ने हेतू वर्ष 2019 से उत्तराखण्ड़ के साथ देश के अन्य राज्यों में प्रति वर्ष 9 जुलाई से 15जुलाई तक बीज बम अभियान सप्ताह मनाया जाता है। इस वर्ष बीज बम अभियान सप्ताह को 15 राज्यों में विभिन्न स्वैछिक संगठनों, सरकारी विभाग, पंचायत व शिक्षक साथियों के साथ मनाया जायेगा। इस वर्ष बीज बम अभियान सप्ताह का लाईव शुभारम्भ सामाजिक कार्यकर्ता श्री जयंत कुमार जी करेगें। सप्ताह के दौरान बीज बम बना कर खाली स्थानों व वनों मे फेंके जायेगें । शिक्षक साथियों के द्वारा छात्र छात्राओं को घर गावँ में ही बीज बम अभियान सप्ताह मनाने के लिये प्रेरित किया जायेगा।
अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली व मानव एवं वन्यजीवों के बीच बढे संघर्ष को कम करने के लिये जाड़ी संस्थान द्वारा वर्ष 2017 से उत्तराखंड व देश के अन्य राज्यों मे बीज बम अभियान चलाया जा रहा। अभियान को विस्तार देने के लिये वर्ष 2019 से प्रति वर्ष 9 जुलाई से 15 जुलाई तक बीज बम अभियान सप्ताह मनाया जाता। विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी 9 जुलाई से 15 जुलाई तक बीज बम अभियान सप्ताह मनाया जा रहा है।
अभियान के सहयोगी श्री जे.पी. मैठाणी ने कहा की अभियान से जन जन को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।उत्तराखण्ड की सबसे बड़ी समस्या में से एक वन्यजीवों का आंतक है। आये दिन कुछ न कुछ अप्रिय घटना घटती रहती है। सरकार को अभियान को अपनी योजनाओं में प्राथमिकता से जो जोड़ना चाहिये।
अभियान से जुड़े श्री विकास पन्त ने कहा की वन्यजीवों के आन्तक का एक ही स्थाई समाधान है वनों में वन्यजीवों के लिये भोजन की व्यवस्था हो, इसका बीज बम अभियान एक मात्र समाधान है |
बीज बम बनाने की विधि :
बीज बम को बनाने के लिये मिटटी, कम्पोस्ट और पानी को मिलाकर गोला बनाते है। गोले के अन्दर जलवायु के अनुसार दो बीज रख देते है। चार दिन छांव में सूख जाने के बाद कही भी जंगल में डाल देते है और अनुकूल वातावरण मिलने पर बीज बम अकुरित हो जाता है |
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