Monday, November 25, 2024
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स्वर्गीय राजेन्द्र धस्माना की स्मृति में उनके पैतृक गांव में बनेगा भव्य साहित्य एवं कला केंद्र

“प्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय राजेन्द्र धस्माना की छठी पुण्य तिथि पर एकेश्वर के मलेठी गांव में किया गया आयोजन”

पौड़ी, नब्बे के दशक में भारतीय दूरदर्शन के समाचार संपादक रहे, गांधी वांग्मय के अंतिम दस अध्यायों के मुख्य संपादक रहे वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व प्रसिद्ध साहित्यकार स्वर्गीय राजेन्द्र धस्माना की छठी पुण्य तिथि के अवसर पर आज उनके पैतृक ब्लॉक एकेश्वर के मलेठी गांव में राजेंद्र धस्माना स्मृति का आयोजन किया गया। सामाजिक व साहित्यिक संस्था मेरु मुल्क व उनीता धस्माना के संयुंक्त तत्वाधान में आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में अथितियों और राजेन्द्र धस्माना के साथ रहे लोगों ने उनके साहित्य, पत्रकारिता, सामाजिक सरोकारों व उनके जीवन के अनेक अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला।
पौड़ी गढ़वाल में एकेश्वर ब्लॉक के सतपुली में आज प्रातः सबसे पहले कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड व गढ़वाल संसद तीरथ सिंह रावत, प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना, गढ़वाल के प्रसिद्द लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, परिवर्तन पार्टी के नेता पीसी तिवारी व जेएनयू की प्रोफेसर व स्वर्गीय राजेन्द्र धस्माना की छोटी बहन उनीता ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि स्वर्गीय राजेन्द्र धस्माना वास्तव में हमारे राज्य की अमूल्य निधि थे। जिन्होंने उत्तराखंड को देश की राजधानी दिल्ली में एक अलग पहचान दी। रावत ने कहा कि वे जीवन भर दिल्ली में रहे लेकिन उनकी आत्मा व मन हमेशा गढ़वाल में रहता था। उन्होंने कहा कि उनका जो योगदान साहित्य ,पत्रकारिता व राज्य निर्माण में था उसको आज की व भविष्य की पीढ़ियों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी है और इसके लिए किए जा रहे प्रयासों में वे अपना पूर्ण सहयोग देंगे।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि राजेन्द्र धस्माना निर्भीक व फक्कड़ प्रवृत्ति के थे। साथ ही वह साफ दिल के व्यक्ति थे। उन्होंने उत्तराखंड के 1994-95 के आंदोलन के दौरान राजेन्द्र धस्माना जी की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि जब वे मुज्जफरनगर कांड के पीड़ितों के बयान व साक्ष्य पूरे गढ़वाल में जा कर एकत्रित कर रहे थे तो अचानक वे लोक गायक चंद्र सिंह राही जी के साथ मेरे घर पहुंच गए। मेरे पिताजी जो उनके रिश्ते में चाचा लगते थे और उनके हम उम्र भी थे। उनकी उनसे बहुत छनती थी। उस दौरान उनकी दो तीन घंटे तक बात होती रही। मैंने उनसे प्रणाम करके मुलाकात की तो वे मुझसे केवल इतना बोले अरे सूर्यकांत तुम मुलायम सिंह को समझाते क्यों नहीं ? और फिर वे पिता जी से गप शप करने लगे।
उनके जाने के बाद मुझे पिताजी ने बताया कि कई लोगों ने उनको हमारे यहां आने के लिए मना किया, किंतु उन्होंने कहा मैं अपने युवाकाल में उनके साथ काफी दिन रहा और वहां जरूर जाउंगा। धस्माना ने कहा कि केंद्र सरकार के दूरदर्शन के संपादक होते हुए वे जंतर मंतर पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल हो जाते थे। जन सरोकारों के लिए ये उनकी निर्भीकता भी थी और अपने लोगों के लिए लगाव भी।
प्रसिद्द लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने उनके साहित्य कविता नाटक के क्षेत्र में योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉक्टर योगेश धस्माना ने राजेन्द्र धस्माना के गांधी पर किये गए कार्य व गांधी वांग्मय के अंतिम दस ग्रंथों के मुख्य सम्पादन पर संस्मरण सुनाए। रंग कर्मी वेद प्रकाश बेदवाल, स्वरूप धस्माना व शैलेन्द्र मैठाणी ने भी स्वर्गीय राजेन्द्र धस्माना के कृतित्वों पर प्रकाश डाला।
समारोह में यह तय किया गया कि स्वर्गीय राजेन्द्र धस्माना की बहन उनीता की देख रेख में उनके पैतृक गांव बगयाली में एक साहित्यिक व सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की जाएगी। जहां राजेन्द्र धस्माना जी व उत्तराखंड के अन्य साहित्यिक सांस्कृतिक व कला के क्षेत्र में योगदान देने वाले लोगों के कार्यों को संकरक्षित करने व उनका प्रचार प्रसार करने का कार्य किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध रंगकर्मी गणेश कुकसाल ने किया।

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