Sunday, December 22, 2024
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पीपीपी मोड़ में संचालित अस्पतालों को कार्य प्रणाली में सुधार को एक माह की मोहल्लत

देहरादून, राज्यभर में पीपीपी मोड़ में संचालित अस्पतालों की समीक्षा बैठक में विभागीय मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि यदि संबंधित अस्पतालों ने एक माह के भीतर जन अपेक्षाओं के अनुरूप अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया तो सरकार ऐसे अस्पतालों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए अनुबंध समाप्त करने की कार्यवाही सुनिश्चित करेगी। बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज सहित आधा दर्जन विधायकों ने प्रतिभाग करते हुए अपने विधानसभा क्षेत्रों में संचालित पीपीपी मोड़ अस्पतालों में क्षेत्रीय जनता को आ रही समस्याएं गिनाई। जिस पर विभागीय मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ऐसे अस्पतालों की लगातार निगरानी करने तथा शासन को मासिक रिपोर्ट भेजने को कहा।

सूबे के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने विधानसभा स्थित सभागार में प्रदेश भर में पीपीपी मोड़ में संचालित अस्पतालों के संचालकों एवं विभागीय अधिकारियों की बैठक ली। जिसमें कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज सहित संबंधित क्षेत्रों के आधा दर्जन विधायकों ने प्रतिभाग किया। बैठक में विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र में संचालित पीपीपी मोड़ अस्पतालों की समस्याएं रखी। विधायकों ने पीपीपी मोड़ में चल रहे अस्पतालों के गैरजिम्मेदाराना रवैये, डाक्टरों की कमी जैसे अन्य कई गंभीर मुद्दे बैठक में रखे। जिस पर विभागीय मंत्री डा. रावत ने पीपीपी मोड़ अस्पताल संचालकों को कार्यप्रणाली में सुधार लाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि यदि संबंधित अस्पतालों ने एक माह के भीतर अपनी कार्यप्रणाली में जन अपेक्षाओं के अनुरूप सुधार नहीं लाया तो सरकार ऐसे अस्पतालों के विरूद्ध अनुबंध समाप्त करने की कार्यवाही से गुरेज नहीं करेगी। डा. रावत ने बताया कि सरकार का मकसद पीपीपी मोड़ के माध्यम से स्थानीय स्तर पर जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। अस्पताल संचालकों की जिम्मेदारी है कि वह अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित कर लोगों की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों को दूर करें। विधायकों एवं स्थानीय जनता के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए उन्होंने अस्पताल संचालकों को संपर्क अधिकारी नियुक्ति करने के निर्देश दिये। डा. रावत ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा वह पीपीपी मोड़ में संचालित अस्पतालों की लगातार निगरानी कर प्रत्येक माह रिपोर्ट शासन को भेजें। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान क्षेत्रवासियों ने पीपीपी मोड़ में संचालित अस्पताल बीरोंखाल में अव्यवस्था की शिकायतें की तथा स्वयं उन्होंने पाया कि अस्पताल में विशेषज्ञ डाक्टर व टेक्निशियन गायब मिले। यही नहीं क्षेत्रवासियों ने बताया कि काफी दिनों तक अस्पताल की ओपीडी भी बंद रही जिस कारण क्षेत्रवासियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा।

बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, विधायक टिहरी धन सिंह नेगी, विधायक सल्ट महेश जीना, विधायक रामनगर दिवान सिंह बिष्ट, घनसाली विधायक शक्ति लाल शाह, पूर्व विधायक एवं नगर पालिका अध्यक्ष पौड़ी यशपाल बेनाम, सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी, अपर सचिव स्वास्थ्य एवं मिशन निदेशक एनएचएम सोनिका, स्वास्थ्य महानिदेशक डा. तृप्ति बहुगुणा, सीएमओ टिहरी संजय जैन, डा. ए.एस. चौहान, डा. रमेश कुमार, डा. शैलेन्द्र सिंह, डा. रमेश सिंह राणा, डा. आशीष गुसांई, डा. एमबी पंत, डा. पीयूष, डा. संतोष कुंवर, डा. गौरव रतूड़ी, डा. प्रतिभा कोहली, दीपक गोयल, अभिषेक दुबे, अम्बेश बाजपेय सहित विभागीय अधिकारी एवं पीपीपी मोड़ अस्पतालों के प्रतिनिधि उपस्थिति रहे।

विभाग की बेहत्तरी के लिए स्वास्थ्य मंत्री ने पूर्व महानिदेशकों से लिये सुझाव

देहरादून,
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहत्तर बनाने एवं आम जनमानस तक विभाग की पहुंच बनाने के उद्देश्य से सूबे के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. धन सिंह रावत ने आज विधानसभा में सूबे के पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशकों की बैठक बुलाई। डा. रावत ने कहा कि सूबे की स्वास्थ्य सुविधाओं को और सुदृढ़ बनाने के लिए इस क्षेत्र में कार्य कर रहे विशेषज्ञों से सुझाव एवं सलाह ली जायेगी। जिसके लिए उन्होंने 150 दिनों का लक्ष्य विभागीय अधिकारियों को दिया है। इस क्रम आज उत्तराखंड के प्रथम महानिदेशक स्वास्थ्य डा. आई.एस.पाल सहित आधा दर्जन पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशकों ने बैठक में प्रतिभाग कर अपने सुझाव रखे।

बैठक में अपने अनुभवों को साझा करते हुए डा. पाल ने कहा कि राज्य के स्वास्थ्य केन्द्रों के बेहत्तर संचालन के लिए मेडिकल उपकरणों के रख-रखाव के साथ ही पैरामेडिकल स्टॉफ एवं टेक्निशियन्स को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि अस्पताल में आने वाले मरीजों का बेहत्तर उपचार किया जा सकेगा। डा. आर.पी. भट्ट ने कहा कि प्रदेशभर के अस्पतालों में फिजिशियन एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों की तैनाती अति आवश्यक है। डा. डी.एस. रावत ने ब्लॉक एवं जिला अस्पतालों में आपसी समन्वय को जरूरी बताया। उन्होंने बच्चों में होने वाले गम्भीर रोगों की पहचान हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण दिये जाने पर बल दिया। डा. अमिता उप्रेति ने कहा कि आशा वर्कर्स को विशेष प्रशिक्षण देकर गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभियान में लगाया जा सकता है। डा. आशा माथुर ने कहा कि गर्भवती महिलाओं पर विशेष ध्यान देने के साथ ही चिकित्सालयों में प्रसव की सुविधाए बढ़ाई जानी चाहिए। इस मौके पर डा. आर.सी.एस. सयाना एवं डा. आर.सी. आर्य ने भी अपने सुझाव रखे।

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