Friday, March 29, 2024
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हाईकोर्ट का आदेश : बिना नोटिस डेयरी तोड़ना अफसरों पर पड़ा भारी, करवाना होगा दोबारा निर्माण

देहरादून, बिना नोटिस दिये अतिक्रमण के विरुद्ध की गई कार्रवाई में डेयरी को तोड़ना जिला प्रशासन को भारी पड़ गया। हाईकोर्ट ने इस पर जिला प्रशासन ने सख्त निर्देश देकर ध्वस्त की गयी दुकानों के निर्माण का आरेश दे दिया | मामला राजपुर रोड पर जाखन का है, जहां गत वर्ष 24 अक्टूबर को अतिक्रमण पर कार्रवाई में नव अंजली डेयरी की दो दुकानें ध्वस्त की गई थीं। डेयरी स्वामी ने प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ अदालत की शरण ली थी। अपर जिला जज (द्वितीय) बृजेंद्र सिंह की अदालत ने मामले में स्टेट आफ उत्तराखंड की ओर से कलेक्टर, एमडीडीए उपाध्यक्ष, एसडीएम और सिंचाई विभाग के चार अफसरों को तीस दिन के भीतर डेयरी का दोबारा निर्माण कराने व डेयरी संचालक को हर्जाने के तौर पर दस लाख रुपये की राशि देने के आदेश दिए हैं।

अदालत में दी शिकायत में दून विहार इंजीनियर्स एन्क्लेव जाखन के निवासी रमेश चंद और उनकी पत्नी संतोष ने प्रशासन पर उनकी संपत्ति तोड़ने का आरोप लगाया था। आरोप था कि उनकी नव अंजली डेयरी के नाम से टीनशेड में दो दुकानें थीं। दावा यह भी किया गया कि यह संपत्ति कभी सड़क का हिस्सा नहीं रही। आरोप है कि प्रशासन की टीम ने 24 अक्टूबर-20 को डेयरी तोड़ दी, जबकि 19 नवंबर को इसे पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया।
डेयरी मालिक रमेश के अनुसार उन्हें प्रशासन ने नोटिस ही नहीं दिया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अंतर्गत तीन हफ्ते पहले नोटिस दिया जाना चाहिए। फिर अगले तीन हफ्ते सुनवाई और अगले चार हफ्ते में जिलाधिकारी को निर्णय लेना चाहिए थे। अधिवक्ता टीएस बिंद्रा की ओर से प्रशासन की टीम पर सुप्रीम कोर्ट के नियम न मानने का आरोप लगाया गया। डेयरी मालिक ने 20 लाख रुपये प्रतिपूर्ति व दोबारा निर्माण कराकर देने की मांग रखी थी।
सुनवाई के बाद अदालत ने नोटिस के बिना निर्माण तोड़ने की शिकायत सही पाई। अदालत ने प्रशासन की टीम को अगले 30 दिन के भीतर डेयरी का निर्माण उसी सूरत में कराने के आदेश दिए, जैसा ध्वस्त करने से पहले था। तत्कालीन एसडीएम गोपाल राम बेनिवाल, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीके सिंह, सहायक अभियंता अरुण कुमार सिंह व विजय सिंह रावत एवं जिलेदार युसूफ पर 10 लाख रुपये हर्जाना लगाया गया। अदालत ने आदेश दिए हैं कि उक्त पांचों को संयुक्त रूप से हर्जाना डेयरी मालिक को देना होगा।

पलायन के नासूर दर्द को बयां करेगी “ब्यखुनी कू छैल”, ओटीटी पर भी होगी रिलीज

देहरादून, प्रज्ञा आर्ट्स की सीनियर थिएटर डायरेक्टर लक्ष्मी रावत एक बार फिर चर्चा में हैं। लक्ष्मी रावत को उनके नाटकों, उत्तराखंड में समय-समय पर आयोजित थिएटर वर्कशॉप, उत्तराखंडी और हिंदी फिल्मों और विज्ञापनों में उनके प्रदर्शन के लिए जाना जाता है। इस बार वह अपनी फिल्म “ब्यखुनी कू छैल” को लेकर चर्चा में हैं। जिसमें लक्ष्मी रावत न केवल अभिनय कर रही हैं बल्कि फिल्म का निर्देशन भी खुद कर रही हैं। 2020 में लक्ष्मी रावत द्वारा उत्तराखंड की शौर्यगाथों को समर्पित एक कलेन्डर बनाया गया था जिसकी चारों तरफ तारीफ हुई। उसमें उत्तराखंड के उभरते युवा फोटोग्राफर एंड सिनेमेटोग्राफर प्रणेश असवाल ने फोटोग्राफी की थी। इस फिल्म में एक बार फिर प्रणेश कैमरा करते दिखेंगे।

लक्ष्मी रावत के अनुसार मैंने हिंदी नाटकों से अभिनय शुरू किया और गढ़वाली नाटकों के साथ निर्देशन करना शुरू किया और आज मैं ज्यादातर नाटक उत्तराखंडी पृष्ठभूमि से करती हूँ। मैं थिएटर में आई और देखा कि थिएटर उन चीजों को दूर करने में मदद नहीं करता है जो आपको असहज महसूस कराती हैं, लेकिन यह सिखाती है कि अगर आप कड़ी मेहनत करते हैं, तो आप वह कर सकते हैं जो आप उन सभी असहज चीजों के साथ करना चाहते हैं।

लक्ष्मी रावत ने कहा रंगमंच की एक सुंदरता है – यहां सभी के लिए एक जगह है। आप कई अलग-अलग चीजों में प्रतिभाशाली हो सकते हैं। अगर आपको मंच पर रहना पसंद नहीं है, तो हमारे पास बैक स्टेज है। अगर आप चमकना चाहते हैं तो मंच है। सबके लिए कुछ न कुछ है। आप यहां हर किसी से प्यार करते हैं, चाहे आप कोई भी हों या कुछ भी करते हों।

मैं अपने छात्रों को स्टेज एक्टिंग के साथ-साथ कैमरा एक्टिंग के बारे में भी बताना चाहती थी, इसलिए मैंने शॉर्ट फिल्मों की ओर रुख किया और अब मैं फीचर फिल्म की तैयारी कर रही हूं। साथ ही लक्ष्मी रावत इस साल भी कैलेण्डर बनाने जा रही हैं। इस वर्ष उनका विषय पलायन होगा मगर वो उसे एक अलग ही अंदाज़ में दिखाने की तैयारी में हैं।

कैलेंडर और फिल्म दोनों ही प्रज्ञा आर्ट्स, असवाल एसोसिएट और दामोदर हरी फाउंडेशन के बैनर तले संयुक्त प्रयासों से बन रही है। असवाल एसोसिएट के मालिक रतन असवाल उत्तराखंड के एक जाने माने चिंतक हैं एवं दामोदर हरी फाउंडेशन के संस्थापक संदीप शर्मा दिल्ली में रहने वाले उत्तराखंड के लोगों के बीच एक जाने माने चेहरे हैं। फिल्म और कैलेंडर दोनों ही उत्तराखंड में शूट होंगे। जल्द ही लोकेशन फाइनल करने टीम प्रज्ञा आर्ट उत्तराखंड के अलग-अलग हिंस्सों में जायेगी।

जहाँ कैलेंडर में पलायन को आप एक अलग रूप में देखेंगे। वहीँ फिल्म की कहानी उत्तराखंड में नई पीढ़ी के पलायन और पीछे रह जाने वाली उनकी पुरानी पीढ़ी के अकेलेपन पर प्रश्न करती है। नई पीढ़ी की तरक्की देखने की ललक हमें बहुत आगे तक तो ले जाती है मगर पीछे छोड़ जाती है। कुछ ऐसी नाकामयाबी जो ज़ख्म बन जाती है और कभी-कभी तो नासूर और नासूर कभी ठीक नहीं होते। उन ठीक ना होने वाले नासूर का दर्द बयां करेगी यह फिल्म। फ़िल्म बहुत कुछ पाने के लिए बहुत कुछ को छोड़कर जाने वाले लोगों के लिए एक प्रश्न होगी जिसका जवाब देखने वाले को खुद खोजना होगा। हमारी कोशिश रहेगी की हम इसे ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाएँ।

 

ग्रीन हिल्स संस्था चलाएगी ई-वेस्ट कलेक्शन कार्यक्रम, होगी बोकाशी विधि से कम्पोस्टिंग की शुरुआत

देहरादून, इस वर्ष गांधी जयंती के अवसर पर ग्रीन हिल्स संस्था 20 सितंबर से 4 नवंबर दिवाली तक ई-वेस्ट कलेक्शन का एक कार्यक्रम चला रही है। कचरा एक कीमती रिसोर्स भी हो सकता है यदि घर में ही उसका पृथक्करण उसी जगह पर किया जाए जहां पर वह कचरा पैदा हो रहा है, साथ ही घर के अंदर ही कंपोस्ट बनाने के लिए शहर के कुछ हिस्सों में बोकाशी विधि से कम्पोस्टिंग की शुरुआत भी करने जा रही है। कम्पोस्टिंग का आरंभ आफिसर्स कॉलोनी और नरसिंह बाड़ी के उन घरों से किया जाएगा जो लोग इसके लिए इच्छुक होंगे।

इस समय ई-वेस्ट एक बहुत बड़ी समस्या हो चुका है और भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट पैदा करने वाला देश बन चुका है। ई-वेस्ट का निस्तारण जब उचित सुविधाओं के साथ नहीं किया जाता है तब उससे निकलने वाले हैवी मेटल्स वातावरण को प्रदूषित करते हैं और हवा, जमीन, पानी को अपूर्णीय क्षति पहुंचाते हैं। हम सौभाग्य शाली हैं की उत्तराखंड (रूड़की) में एक ऐसी फैक्टरी है जहां ई-वेस्ट की आधुनिक तकनीकों के साथ उचित तरीके से रिसायकलिंग की जाती है।

प्रकृति को हमारा दीपावली उपहार :
ई-वेस्ट कलेक्शन के लिए अल्मोड़ा शहर, कसार देवी क्षेत्र, रानीखेत, चौबटिया और मझखाली के विद्यालयों, दुकानों, होटलों आदि में कलेक्शन बॉक्सेस रखे जाएंगे, जिसमें सभी लोग अपने ई-वेस्ट को स्वयं जाकर जमा कर सकते हैं। ई-वेस्ट यानि कि कोई भी वह सामान जिसे इस्तेमाल करने के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है और जो अब किसी काम के नहीं रहते चाहे वो कितने भी कीमत के रहे हों, जैसे कि मोबाईल फोन, चार्जर्स, कैमरा, कैलकुलेटर्स, विडिओगेम्स, म्यूजिक सिस्टम, टीवी, बल्ब, वाशिंग मशीन, इलेक्ट्रिक वायर, फ्रिज, मिक्सर ग्राइन्डर्स , लैपटॉप्स, टौर्च, बैटरी, अवन इत्यादि| प्रशासन की मदद से ग्रीन हिल्स के द्वारा एक पिक अप गाड़ी वयवस्था करी जाएगी, जिससे यदि कोई भारी सामान हो तो उसे उठा लिया जाएगा। इस ई-वेस्ट को रुड़की स्थित अटेरो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को भेजा जाएगा। जहां इसकी रीसाइक्लिंग की जाएगी । हम आप सब को आमन्त्रित करते है की इस अवसर का लाभ उठाएं और पर्यावरण के संरक्षण मे योगदान दें और हैवी मेटल्स से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को कम करने में सहायक हों। ई-वेस्ट कलैक्शन कार्य को लाल फैमिली फाउंडेशन नई दिल्ली द्वारा सहयोग दिया जा रहा है।

बिना स्थान के बोकाशी द्वारा कंपोस्टिंग :
घर से निकलने वाले 60% से ज़्यादा कचरे से खाद बनाई जा सकती है| और उसके उपयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जा सकती है। जब गीला कचरा बाकी कूड़े के साथ मिक्स हो जाता है तो मिथेन गैस छोड़ता है जिससे बहुत बदबू आती है, और यह ग्लोबल वार्मिंग भी करता है । इस गीले कचरे से खाद बनाने की एक जापानी विधि है जिसे बोकाशी विधि कहते है । इस विधि से किचन के अंदर ही डिकम्पोज़ किया जा सकता है। जिससे मक्खी, मच्छर भी नहीं फैलते है, और बदबू भी नहीं आती है ।

इस कार्य की शुरुआत ग्रीन हिल्स द्वारा शहर के कुछ हिस्सों के 100 घरों मे की जाएगी जो घर इस कार्य को करने के इच्छुक होंगे । बोकाशी एक जापानी विधि है, जिसमें आप अलग से रखे हुए सब्जी एवं फलों के छिलके, चायपत्ती, बचा हुआ खाना, अंडे के छिलके, मांस, मछली आदि को दिन मे एक बार अपने बोकाशी बिन मे डालकर उसके ऊपर दो मुट्ठी हमारे द्वारा तैयार किया गया इनोकुलेन्ट पाउडर समान रूप से बुरक दें और कसकर ढक्कन बंद कर दे |जब तक बोकाशी बिन ना भर जाए तब तक इस प्रक्रिया को रोज करते रहें| कुछ दिनों मे बोकाशी बिन मे थोड़ा पानी ईकट्ठा होने लगेगा इसे नल खोलकर एकत्रित कर लें| इस पानी मे 10 हिस्सा साफ पानी मिलाकर पैाधों मे डाल सकते है यह बहुत अच्छी खाद है | इसे नालियों अथवा सेप्टिक टैंक मे भी डाला जा सकता है | जब एक बोकाशी बिन भर जाए तब दूसरे बोकाशी बिन का इस्तेमाल इसी तरह करें| बोकाशी बिन से पानी लगातार लगाकर एकत्रित करते रहें| ग्रीन हिल्स की टीम द्वारा इसे कंपोस्ट पिट मे खाली किया जाएगा| आप स्वयं भी इस कंपोस्टिंग प्रोग्राम मे प्रतिभाग करें और अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित करें|

जिला अधिकारी महोदय ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है और कहा है कि कार्य की शुरुआत उनके घर से की जाए। यह पायलेट प्रोजेक्ट 19 सितम्बर से ऑफिसर कलोनी और नरसिंहवाडी से प्रारंभ किया जाएगा । धीरे-धीरे अन्य स्थानों पर भी शुरू किया जाएगा । यदि यह कार्य सफल होने पर विस्तृत रूप मे किया जाएगा तो इससे चारों तरफ की फैली गंदगी साफ होगी । और साथ ही बंदरों का उत्पात भी कम होगा । और शहर के कचरे को ट्रन्चिंग ग्राउन्ड पहुचाने के खर्चे में भी कमी आएगी । बोकाशी पायलेट प्रोजेक्ट के लिए बैनीयन टूअर्स प्रा० लि० मुंबई द्वारा सहयोग दिया जा रहा है । ये दोनों ही पहल स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण के लिए बहुत आवश्यक हैं।

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