देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से पहले सीएम का चेहरा घोषित करने की चर्चाओं को खारिज करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि चुनाव सामूहिक नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। जब कांग्रेस जीतकर आएगी तब हाईकमान तय करेगा कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा और कौन मंत्री। सोमवार को अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में प्रीतम ने कहा कि हाईकमान ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का निर्णय ले लिया है।
दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के दून दौरे और मुफ्त बिजली के वादों को प्रीतम ने छलावा करार दिया।
कहा कि आप का प्रदेश में कोई राजनीतिक आधार नहीं है। इसी प्रकार के झूठे प्रलोभन देकर वो जनता का ध्यान खींचना चाहती है। उत्तराखंड और दिल्ली के हालात में बहुत ज्यादा अंतर है। भाजपा के 100 यूनिट बिजली देने की घोषणा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ऊर्जा मंत्री को पहले ऊर्जा निगम की माली हालत और प्रदेश के राजस्व की स्थिति की समीक्षा कर लेनी चाहिए। कांग्रेस भी चाहती है कि प्रदेश के हर व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मुहैया कराए, लेकिन इसके लिए कांग्रेस विधिवत रूप से जमीनी अध्ययन करने के बाद अपना घोषणा पत्र तैयार करेगी।
प्रभारी ने कोर्डिनेशन कमेटी की आपात बैठक बुलाई
भाजपा और आम आदमी पार्टी को सक्रिय होता देख कांग्रेस भी हरकत में आ गई। प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कोर्डिनेशेन कमेटी की आपात बैठक बुला ली। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह आज सुबह ही दिल्ली रवाना हो गए। पूर्व सीएम हरीश रावत भी दिल्ली में ही हैं। राष्ट्रीय सचिव काजी निजामुद्दीन भी दिल्ली पहुंच गए हैं। कमेटी के बाकी 10 सदस्य भी दिल्ली पहुंच रहे हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देना चाहती है। नेता प्रतिपक्ष और नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी कांग्रेस ज्यादा दिन सस्पेंस बनाए नहीं रखना चाहती। जिस प्रकार प्रदेश में बाकी राजनीतिक दल सक्रिय हैं, उसमें इस लेटलतीफी का कांग्रेस को ही नुकसान हो रहा है।
नेता प्रतिपक्ष-अध्यक्ष को चयन को सोनिया-राहुल को भेजा पत्र
पूर्व एआईसीसी सदस्य योगेंद्र खंडूरी ने कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का चयन जलद से जल्द करने की मांग की। दोनों को पत्र भेजते हुए खंडूरी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह¸्दयेश के निधन के एक महीने बाद भी नए नेता प्रतिपक्ष के चयन पर कुछ नहीं हो पाया है। प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर भी पार्टी के भीतर असहज स्थितियां बन रही हैं। इसलिए जल्द से जल्द इस पर निर्णय ले लिया जाना चाहिए। इसका आगामी विधानसभा चुनाव में सकारात्मक असर नजर आएगा।
Recent Comments