हरिद्वार( कुलभूषण), चैत्र पूर्णिमा स्नान के मौके पर महाकुंभ के अंतिम शाही स्नान में कोरोना महामारी का असर साफ देखने को मिला। हरकी पैड़ी समेत विभिन्न घाटों पर सुबह चार बजे ब्रह्ममुहूर्त में स्नान शुरू हो गया था। लेकिन बेहद कम संख्या में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचे। अब सुबह 9 बजकर 30 मिनट से अखाड़ों का स्नान क्रम शुरू होगा। दोपहर तक सभी 13 अखाड़ों का शाही स्नान संपन्न हो गया। हरिद्वार मेला पुलिस से जारी आंकड़ों के अनुसार, दोपहर तीन बजे तक करीब 30 हजार श्रद्धालुओं ने स्नान किया। स्नान करने वाले ज्यादातर श्रद्धालु स्थानीय थे।
आम श्रद्धालुओं के बाद सबसे पहले पंचायती अखाड़ा निरंजनी के संतों ने स्नान किया। आराध्य देव भगवान कार्तिकेय और मां गंगा की पूजा अर्चना के बाद संतों ने गंगा में डुबकी लगई। इसके बाद संत लौट गए। संतों ने शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए स्नान किया। वहीं, इसके बाद पंचदशनाम जूना अखाड़ा, पंच अग्नि, आह्वान अखाड़ा के संत हरकी पैड़ी पहुंचे और आराध्य देव और गंगा पूजन के बाद शाही स्नान शुरू किया
कोरोना संकट के बीच हरिद्वार महाकुंभ में चैत्र पूर्णिमा के मौके पर अंतिम शाही स्नान पर संतों ने कोरोना से बचाव का संदेश भी दिया। संत बेहद ही कम संख्या में बिना लाव लश्कर के गंगा स्नान के लिए पहुंचे। इस दौरान संतों ने मास्क लगाया और अन्य लोगों को भी मास्क लगाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही शारीरिक दूरी के साथ गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। वहीं, बैरागी संत बड़ी संख्या में पहुंचे।
सुबह 9 बजकर 30 मिनट तक हरकी पैड़ी पर आम श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इसके बाद सबसे पहले पंचायती अखाड़ा निरंजनी के संत स्नान के लिए पहुंचे। आराध्य देव भगवान कार्तिकेय और मां गंगा की पूजा अर्चना के बाद संतों ने गंगा में डुबकी लगाई।
संतों ने शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए स्नान किया। वहीं, इसके बाद पंचदशनाम जूना अखाड़ा, पंच अग्नि, आह्वान अखाड़ा के संत हरकी पैड़ी पहुंचे और आराध्य देव और गंगा पूजन के बाद शाही स्नान शुरू किया। इसके बाद बैरागियों का स्नान शुरू हुआ।
स्नान करने वाले तीनों बैरागी अखाड़ों के संतों की संख्या करीब एक हजार थी। जबकि प्रत्येक अखाड़े के लिए 100 संतों के स्नान का नियम था, चैत्र पूर्णिमा के शाही स्नान के दौरान प्रत्येक अखाड़े से 50 से 100 संतों को ही शामिल किया गया। उनके शाही जुलूस में वाहनों की संख्या भी बेहद सीमित रही। जूना अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत हरि गिरि और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत रविंद्र पुरी, महानिर्वाणी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी के अनुसार कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए सभी संतों ने स्नान किया | महाकुंभ के अंतिम शाही स्नान में निरंजनी अखाड़े के संतों ने 10.45 बजे तक स्नान किया और 11.05 बजे रोड़ी वापस पहुंचें। वहीं, जूना, अग्नि और आह्वान अखाड़े के संत 10.50 बजे ब्रह्मकुंड पहुंचे। उन्होंने 11.20 बजे तक स्नान किया और करीब 11.40 बजे रोड़ी छावनी में वापस लौट गये, इसके बाद बैरागियों की निर्माणी, दिंगबर और निर्मोही अखाड़े की तीनों अणियां ब्रह्मकुंड पहुंचीं और 1.30 बजे तक स्नान किया। पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के संत 2.50 बजे ब्रह्मकुंड पहुंचें। 3.20 तक स्नान करने के बाद 3.40 बजे रोड़ी पहुंचे।
वहीं, पंचायती अखाड़ा नया उदासीन के संत 4.50 बजे ब्रह्मकुंड पहुंचे और 5.05 बजे तक स्थान करने के बाद लौटे। निर्मल अखाड़े के संत पांच बजे ब्रह्मकुंड पहुंचें और 5.25 बजे तक स्नान किया।
बता दें कि महाकुंभ समापन से पहले ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद दो फाड़ हो गई है। बैरागी अखाड़ों ने अलग से अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद का गठन किया है। श्रीपंच दिगम्बर अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत रामकृष्ण दास नगरिया को सर्वसम्मति से परिषद का अध्यक्ष चुना गया है।
संन्यासी अखाड़ों महाकुंभ सिर्जन की घोषणा के बाद बैरागी और संन्यासी अखाड़ों के बीच तनाव पैदा हो गया था। आखिरकार लंबे समय तक चले गतिरोध अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद बैरागी और संन्यासी अखाड़े एक दूसरे से अलग हो गए।
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