Tuesday, April 30, 2024
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गढ़वाली कुमाऊनी लोक भाषाओं के उत्थान के लिए सरकारी स्तर पर कोई प्रयास नहीं हुए: नरेंद्र सिंह नेगी

देहरादून। लोकभाषाओं को सम्मान सिर्फ सरकारी प्रयासों से नहीं मिलने वाला, इसके लिए हमें व्यक्ति एवं समाज के स्तर से पहल करनी होगी। हमें लोकभाषाओं के प्रति हीनता के भाव त्यागना होगा। तभी हम नई पीढी़ को अपनी संस्कृति एवं परंपराओं से जोड़ पाएंगे। इसकी शुरुआत हमें भाषण, गोष्ठी व सम्मेलनों से नहीं, अपने घर से करनी होगी। हमें यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए कि इस राज्य का जन्म ही लोक की स्वतंत्र पहचान कायम करने की मांग को लेकर हुआ।
यह बात हाल ही में वर्ष 2018 के प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी सम्मान से नवाजे गए उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने रविवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब की ओर से क्लब सभागार में आयोजित संवाद कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद इन इक्कीस वर्षों में गढ़वाली-कुमाऊंनी व अन्य लोक भाषाओं के उत्थान के लिए सरकारी स्तर से कोई जमीनी प्रयास नहीं हुए। आज हमारे पास लोकभाषा अकादमी तक नहीं है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि आज की पीढी़ युवा बडी़ संख्या में गढ़वाली-कुमाऊंनी लिख और गा रहे हैं। देश ही नहीं पूरी दुनिया में उत्तराखंडी लोकगायकों को बडे़ मानोयोग से सुना जा रहा है।

उन्होंने कहा कि उनके लिए सबसे बडा़ पुरस्कार लोक से मिला स्नेह है। इसलिए इस प्रतिष्ठित संगीत नाटक आकादमी सम्मान को वो लोक के उन स्तंभों को समर्पित कर रहे हैं, जो बिना किसी चाह के पूरे मनोयोग से बोली-भाषा के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं। नेगीदा ने भाषा की समृद्धि के लिए सभी से आसन्न जनगणना के दौरान भरे जाने वाले फार्म के भाषा कालम में अपनी मातृभाषा गढ़वाली, कुमाऊंनी व जौनदारी दर्ज करने की भी अपील की।

इस दौरान नेगीदा ने आपने प्रसिद्ध गीत धरती हमरा गढ़वाला़ की कतगा रौंत्यालि़ स्वाणि चा भी सुनाया।
उत्तरांचल प्रेस क्लब के अध्यक्ष जितेंद्र अंथवाल ने कहा कि नेगी को प्रतिष्ठित संगीत नाटकअकादमी सम्मान मिलना महज व्यक्ति नहीं, बल्कि उत्तराखंड की बोली-भाषा, संस्कृति और लोक परंपराओं का सम्मान है। नेगी उत्तराखंड की लोक संस्कृति के ध्वज वाहक हैं। नेगी कवि हैं, गीतकार हैं, लोकगायक हैं और साथ ही एक गूढ़ चिंतक और लोकवाद्यों के विशेषज्ञ भी। इस मौके पर क्लाब परिवार की ओर से लोकगायक नेगी को स्मृति चिह्न प्रदान करने के साथ शाल ओढा़कर सम्मानित किया गया।
इसके अलावा क्लब को साउंड सिस्टम प्रदान करने वाले राज्य आंदोलनकारी जयदीय सकलानी को भी स्मृति चिह्न भेंट किया गया। इससे पूर्व प्रेस क्लब के महामंत्री ओपी बेंजवाल ने लोकगायक नेगी समेत सभी मेहमानों व लोक साहित्य प्रेमियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में साहित्यकार नंदकिशोर हटवाल, संदीप रावत, कवि एवं गीतकार मदन डुकलान, ईश्वरी प्रसाद उनियाल, क्लब के पूर्व अध्यक्ष योगेश भट्ट, क्लब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनमोहन शर्मा, कनिष्ठ उपाध्यक्ष गीता मिश्रा, संयुक्त मंत्री दिनेश कुकरेती व नलिनी गोसाईं, संप्रेक्षक विनोद पोखरियाल, सदस्य राजकिशोर तिवारी, प्रवीण बहुगुणा, नेगीदा के पुत्र लोकगायक कविलास नेगी आदि मौजूद रहे।

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