देहरादून, उत्तराखंड में डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं ऐसे में एनएचएम के मिशन डायरेक्टर राजेश कुमार ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को सख्त चिट्ठी लिखी | गौरतलब हो डेंगू रोग राज्य में एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में परिलक्षित हो रहा है। डेंगू रोग को महामारी का रूप लेने से रोकने के लिये आपको समय-समय पर राज्य स्तर ने उचित दिशा निर्देश व सहयोग प्रदान किया जा रहा है। इसी क्रम में कृपया अधोहस्ताक्षरी द्वारा पूर्व में प्रेषित पत्र संख्या UKHFWS/NHM/NVEDCP/2022/1446 दिनांक 25/07/2022 का सन्दर्भ ग्रहरा करने का कष्ट करें जिसके द्वारा मुख्य सामेव महोदय उत्तराखण्ड शासन द्वारा डेंगू रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु दिये गये दिशानिर्देश आपको आवश्यक कार्यवाही करने हेतु प्रेषित किये गये थे।
असाधारण शिक्षक असंभव को भी संभव बना देते हैं, राज्यपाल ने शिक्षाविदों एवं कला साधकों को दिया ‘‘संस्कृति के सारथी” सम्मान
देहरादून, हरियाणा में गुरूग्राम, संस्कृति के सारथी संस्था द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) ने प्रतिभाग किया। इस दौरान कार्यक्रम में उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले 15 शिक्षाविदों एवं कला साधकों को ‘‘संस्कृति के सारथी सम्मान’’ प्रदान किये।
वही इस मौके पर राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि शिक्षक की ताकत असाधारण होती है। शिक्षक के कार्य समय की दिशा बदल सकते हैं। वे कभी भी साधारण नहीं होते हैं, असाधारण शिक्षक असंभव को भी संभव बना देते हैं।
इस दौरान उत्तराखण्ड राज्यपाल ने कहा कि आज देश आज़ादी के ‘अमृत महोत्सव’ के बाद अब स्वर्णिम सपनों को साकार करने में लग चुका है। नए सपनों, नए संकल्पों को सच करने के लिए एक नये मुकाम पर पहुँच गया है। आने वाले 25 वर्ष हमारे देश को स्वर्णिम सोपानों पर आगे बढ़ाने वाले हैं।
साथ ही उन्होनें कहा कि आज के बच्चे स्वर्णिम भारत के निर्माण में भूमिका निभाएंगे। आज के विद्यार्थी शिक्षा, ज्ञान, कौशल, मेहनत, लगन, परिश्रम और साधना के बल पर भारत को समृद्ध, सशक्त और विश्वगुरू के रूप में स्थापित करेंगे। इन सब सपनों के पीछे हमारे गुरुओं का सबसे बड़ा योगदान होगा।
उन्होंने कहा कि देश की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इन सपनों को साकार बनने के लिए ही तैयार की गयी है। यह नीति हमारे शिक्षकों की सक्रियता के बल पर ही धरातल पर उतरेगी। इस शिक्षा नीति को अपने परिश्रम की पराकाष्ठा और बौ़द्धक कुशलता से लागू करेंगे और अपने भविष्य को स्वर्णिम बनाएंगे।
वही इस अवसर पर उत्तराखण्ड राज्यपाल ने कहा कि संस्कृति के सारथी एक ऐसी संस्था है जो विगत 10 वर्षों से गुरुग्राम में शिक्षा के गुणवत्ता में वृद्धि एवं कला, साहित्य और संगीत के माध्यम से समाज में भारतीय संस्कृति के संवर्धन के लिए कार्य कर रही है जो सराहनीय कार्य है। इस अवसर पर संस्था के पदाधिकारी और कई लोग उपस्थित रहे।
प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में देश की तीन बड़ी संस्थाओं द्वारा पद्मश्री डॉ.
बी.के.एस. संजय को किया सम्मानित
देहरादून, सम्मान पाना सबको अच्छा लगता है लेकिन सम्मान किसी खास व्यक्ति या संस्था द्वारा दिया जाए तो सम्मान पाने वाले के जीवन में इसका महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि सम्मान उत्प्रेरक का काम करता है। ऐसी ही संस्थाऐं हैं विश्व प्रसिद्ध माउंट आबू स्थित प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, अंर्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विकलांगों के प्रति समर्पित उदयपुर, राजस्थान की नारायण सेवा संस्थान एवं इंदौर, मध्यप्रदेश स्थित लगभग 150 साल पुराने ट्रस्ट द्वारा संचालित वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय जिसने हाल ही में हमारे प्रदेश के प्रतिष्ठित पद्म श्री से सम्मानित ऑर्थाेपीडिक सर्जन डॉ. बी. के. एस. संजय को सम्मानित किया।
माउंट आबू में आयोजित माइंड बॉडी मेडिसिन सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन राजयोगिनी डॉ. रतन मोहिनी द्वारा किया गया जिसमें कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि पद्मश्री डॉ. बी. के. एस. संजय के अतिरिक्त ब्रह्माकुमारी संस्था के पदाधिकारी डॉ. बनारसी लाल शाह, डॉ. अशोक मेहता, डॉ. प्रदीप मिड्डा, राजयोगी मृत्युंजय भाई इत्यादि सम्मिलित थे। उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान ब्रह्माकुमारी संस्था की ओर से मेडिकल विंग के सचिव डॉ. बनारसी लाल शाह द्वारा डॉ. बी. के. एस. संजय को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
डॉ. संजय ने ब्रह्माकुमारी में अपने संबोधन में बताया कि विचार किसी भी कार्य का प्रथम स्रोत है। परिवर्तन एक सार्वभौमिक सत्य है और किसी भी व्यक्ति एवं समाज में बदलाव लाने के लिए विचारों का बदलना एक सहज सस्ता और सरल उपाय है। राजयोग के उपयोग से न केवल मानसिक और आध्यात्मिक बदलाव लाया जा सकता है बल्कि शारीरिक और भौतिक भी।
राजयोग द्वारा मनुष्य अधिक क्रियाशील, कार्यकुशल और जागरूक बन जाता है। राजयोग मनुष्य में जीवन के प्रति मूलभूत परिवर्तन ला देता है। वह संसारी होते हुए भी विदेही होता है इसी कारण वह न केवल पारिवारिक बल्कि समाज के लिए भी एक लाभदायक अंग बन जाता है।
गौरतलब है कि डॉ. संजय नेे वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय के अभिनंदन 2022 समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेकर आए हुए छात्र-छात्राओ, शिक्षकों, अभिभावकोें एवं कर्मचारियों को अपने संबोधन में जीवन में सफलता के मूल मंत्र बताए। उन्होंने बताया कि जीवन में सफलता पाने के लिए व्यवहार, ज्ञान और कौशल महत्वपूर्ण है और यह भी इसी क्रम में। व्यवहार का योगदान लगभग 50 प्रतिशत से ज्यादा होता है जबकि ज्ञान का 30 प्रतिशत तथा कौशल का योगदान 10 प्रतिशत ही होता है। इसी तरह से उन्होंने कहा सोने के अंडे देने वाली भ्म्छ एच फॉर हेल्थ, ई फॉर एजुकेशन एवं एन फॉर न्यूट्रिशन किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक विकास के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
नारायण सेवा संस्थान के सभागार में आए हुए लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पैरों के चलने का महत्व हृदय और फेफड़ों से ज्यादा है। यदि हम सब लोग अपने पैरों से चलते ना होते तो हम सब आज यहां नहीं पहुँच पाते जहां पहुँच गए हैं। शिक्षित एवं स्वस्थ व्यक्ति ना केवल अपने काम पूरे कर सकता है बल्कि वह औरों के काम में भी सहयोग दे सकता है और सहयोग ही हमारे जीवन का आधार है।
डॉ. संजय अपने प्रदेश उत्तराखण्ड का परचम देश-विदेश में फहरा रहे हैं। यह न केवल डॉ. संजय के लिए बड़े गौरव की बात है बल्कि यह पूरे प्रदेश वासियों के लिए भी गौरव की बात है कि डॉ. संजय जैसे समाज सेवी को अंर्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ब्रह्माकुमारी, नारायण सेवा संस्थान एवं वैष्णवी ट्रस्ट जैसी संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया।
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