Thursday, March 28, 2024
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दून में गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट का हुआ आगाज, वहीं स्टेडियम के बाहर धरने पर बैठे पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट

आखिर क्यों..? हीरा बिष्ट बैठे धरने पर, उत्तराखंड क्रिकेट को माफिया के पंजों से निकालना जरूरी

देहरादून, राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट टूर्नामेंट गोल्ड कप का आज दून में आगाज हो गया है। रायपुर स्थित महाराणा स्पोर्ट्स कॉलेज के मैदान में उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के बीच उद्घाटन मैच क्रिकेट टूर्नामेंट का शुभारंभ हुआ। प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रतियोगिता का उद्घाटन किया। लेकिन स्टेडियम के बाहर गोल्ड कप आयोजन कमेटी में शामिल नहीं करने पर पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने धरना दिया। इस दौरान बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी साथ रहे धरने के बीच काले झंडे भी लहराए गए।

महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में सुबह आयोजन शुरू होने से पहले पूर्व मंत्री एवं दून में गोल्ड कप के आयोजकों में शामिल रहे हीरा सिंह बिष्ट गेट के सामने सड़क पर धरने पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि उनसे सलाह मशवरा लिए बगैर फैसले लिए गए। वहीं अंदर वन मंत्री सुबोध उनियाल ने प्रतियोगिता का शुभारंभ किया। हीरा सिंह बिष्ट के धरने पर मंत्री सुबोध उनियाल वह कुछ नहीं बोले। सीएयू के अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला ने कहा कि हीरा सिंह बिष्ट आज भी सदस्य, उनका धरना देने से गलत संदेश गया। मामला जल्द सुलझेगा। जोत सिंह गुनसोला ने सुबोध उनियाल से प्रतियोगिता के आयोजन में सहयोग मांगा। साथ ही कहा कि सीएयू गोल्ड कप आयोजन के लिए अपनी ओर से 25 लाख रुपये देगा। सुबोध उनियाल ने 5 लाख रुपये देने की घोषणा की।

उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन में वर्मा खानदान (सचिव माहिम वर्मा-पिता संरक्षक पीसी वर्मा) की तानाशाही और माफिया किस्म के कारनामों की छाया गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट पर भी पड़ गयी, आयोजक गोल्ड कप क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के पद से खुद को हटा के मदन कोहली को बिठाने के विरोध में पूर्व मंत्री और सीएयू अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट ने शुक्रवार को महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज के मुख्य गेट पर सैकड़ों समर्थकों और दून नगर निगम के अनेक पार्षदों के साथ आधे दिन तक धरना दिया। उन्होंने वर्मा खानदान और सीएयू अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला से भी तीखे सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर उनको हटाने और दूसरे को अध्यक्ष बनाने के फैसलों का प्रस्ताव कब आया? किस बैठक में ये मंजूर हुए? उन्होंने कहा कि वह इन सब गोरखधंधों को जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक ले जायेंगे और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और रजिस्ट्रार के साथ ही बीसीसीआई व इनके खातों को संभाल रहे बैंकों तक गड़बड़झाले की पूरी रिपोर्ट करेंगे। इस दौरान प्रतियोगिता का उद्घाटन करने पहुंचे मंत्री सुबोध उनियाल और अन्य वर्मा खानदान समर्थकों को काले झंडे दिखाए, उनके खिलाफ नारेबाजी की।
देहरादून में क्रिकेट को करीब से जानने वालों को मालूम है कि बिना हीरा के क्रिकेट में एक पत्थर उठाया नहीं जा सकता था। एक लाल पैसा या कौड़ी इकट्ठी कोई और नहीं कर सकता था। हीरा तिवारी सरकार में मंत्री बने तो शिष्य होने का प्रसाद देते हुए पीसी वर्मा को श्रम संविदा बोर्ड का अध्यक्ष भी बनवाया था। वह खुद तब श्रम मंत्री थे। माहिम को भी उन्होंने उत्तराखण्ड़ तकनीकी विश्वविद्यालय में उपनल से बाबू की नौकरी लगवाई थी और उस समय हीरा सिंह बिष्ट तकनीकी शिक्षा मंत्री भी थे।
उत्तराखंड क्रिकेट को आगे बढ़ाने में हीरा सिंह बिष्ट का अहम् योगदान रहा, लेकिन उन्होंने खुद को आगे रखने के बजाए पीसी वर्मा को ही ये श्रेय लेने का मौका दिया। बीसीसीआई की मान्यता मिलने के बाद से वर्मा खानदान ने जबर्दस्त तेवर दिखाए और रंग बदले। तमाम उल्टे-सीधे काम किए। इन सबका विरोध करने लगे तो हीरा को पहले अध्यक्ष की कुर्सी से हटवा दिया गया। उनकी जगह जोत सिंह लाए गए। जल्द ही जोत सिंह और वर्मा खानदान में दूरगामी संधि हो गई। आज देश में सबसे ज्यादा विवादित और बदनाम उत्तराखंड़ क्रिकेट एसोसिएशन हो चुकी है। चयन में घपले,वासिम जाफ़र के साथ माहिम के मजहबी विवाद के बाद, घूस खा के खिलाड़ियों को टीम में लेने के मामलों में गुड़गाँव पुलिस यहाँ के ओहदेदारों के गले में फंदे अपने हाथों से लगाए बैठी है। फिजियोथेरेपिस्ट को हेड कोच से अधिक मोटी तनख्वाह देने, नियुक्तियों में मनमानी, अपने ही खासमखासों को बिना प्रक्रिया नौकरी देने, सीईओ के इस्तीफ़ों-जीएम के नौकरी छोड़ देने, मैदान में खिलाड़ियों के साथ दुर्व्यवहार को ले के तमाम आरोपों ने उत्तराखंड को देश भर में कुख्यात कर दिया है। बीजेपी की त्रिवेन्द्र सरकार ने उसके खिलाफ जांच बिठाई है। एपेक्स काउंसिल में चहेते सरकारी लोगों को रखने और उनको वोटिंग का अधिकार गैर कानूनी तौर पर देने के चलते भी माहिम और पीसी आरोपों के घेरे में हैं। हितों के टकराव ढेरों और बिना कोषाध्यक्ष के दस्तखत और मंजूरी के करोड़ों रूपये बैंक से निकालने के आरोप भी बेहद संगीन हैं। कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी को भी मुखर हो के गलत क्रियाकलापों का विरोध करने की सजा के तौर पर कोषाध्यक्ष कार्यों से अलग कर दिया गया है। उनको एपेक्स की बैठकों में नहीं बुलाया जा रहा। वह एपेक्स सदस्य आज भी हैं।

धरने पर बैठे पूर्व मंत्री बिष्ट ने पत्रकारों से कहा, `मैंने क्रिकेट के लिए जिंदगी दे दी। बोर्ड से मान्यता लेने के लिए क्या-क्या नहीं के। क्रिकेट माफिया की आँखों में मान्यता मिलने के बाद से ही खटकने लगा था। मौका मिलते ही उन्होंने पहले सीएयू फिर गोल्ड कंप टूर्नामेंट आयोजन से ही बाहर कर दिया। ये सब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मेरे साथ एपेक्स सीएयू के कई ओहदेदार और सदस्यों के साथ ही, खेल प्रेमियों और पार्षदों की फौज है। बोर्ड-आँख मूँदे घड़ियाल की तरह सोये रजिस्ट्रार ऑफिस और मुख्यमंत्री से ठोस शिकायत की जाएगी। बैंकों से भी सफाई तलब की जाएगी कि बिना कोषाध्यक्ष के दस्तखत के वह करोड़ों रूपये के भुगतान कैसे कर सकता है? कोई ये बता सकता है कि मुझे क्यों और किस नियम के तहत हटा दिया गया? अध्यक्ष तो मैं ही था, मैं ही इस बाबत कुछ नहीं जानता’, उनके साथ सीएयू के उपाध्यक्ष संजय रावत, संयुक्त सचिव अवनीश वर्मा और कोषाध्यक्ष पृथ्वी सि़ह नेगी, सदस्य रोहित चौहान और तेजेंद्र सिंह और निगम पार्षद, काँग्रेस नेता पंकज क्षेत्री भी धरने पर बैठे। सभी ने कहा कि उत्तराखंड क्रिकेट को माफिया के पंजों से निकालना जरूरी है। पूर्व मंत्री ने धरने से उठने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी से उम्मीद जताई कि वह खेल और खिलाड़ियों की भावनाओं को देखते हुए कोई ठोस निर्णय अवश्य लेंगे |

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