Thursday, March 28, 2024
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काशी से दुनिया की सबसे लंबी रिवर क्रूज यात्रा 10 जनवरी 2023 से होगी शुरू

वाराणसी, काशी से दुनिया की सबसे लंबी रिवर क्रूज यात्रा 10 जनवरी 2023 से वाराणसी से शुरू होगी। वाराणसी से डिब्रूगढ़ तक का सफर करीब 52 दिनों में तय होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गंगा विलास क्रूज के टाइम टेबल का विमोचन शुक्रवार को वाराणसी के रविदास घाट से किया है। 52 दिनों की यह यात्रा भारत व बांग्लादेश के 27 रिवर सिस्टम से होकर गुजरेगी तथा 50 से अधिक अहम जगहों पर रुकेगी, जिनमें विश्व विरासत स्थल भी शामिल हैं।

यह जलायन राष्ट्रीय उद्यानों एवं अभ्यारण्य से भी गुजरेगा, जिनमें सुंदरबन डेल्टा और काजीरंगा नेशनल पार्क भी शामिल हैं। लंबी यात्रा उबाऊ न हो, इसलिए क्रूज पर गीत संगीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम, जिम आदि सुविधाएं होंगी। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के मुख्य अभियंता रविकांत ने बताया कि गंगा विलास भारत में निर्मित पहला जलयान है। यह आधुनिक सुविधाओं से युक्त और पूरी तरह सुरक्षित है। क्रूज 80 पर्यटकों को लेकर 32 सौ किलोमीटर की यात्रा 52 दिनों में पूरा करेगा। मुख्य अभियंता रविकांत ने बताया कि यह यात्रा एक ही जलयान द्वारा की जाने वाली दुनिया की सबसे लंबी यात्रा होगी। गंगा विलास जलयान में 18 सुइट्स होंगे।

गंगा विलास क्रूज वाराणसी से अपनी यात्रा शुरू करेगा और बक्सर, रामनगर, गाजीपुर से गुजरते हुए 8वें दिन पटना पहुंचेगा। पटना से यह 20वें दिन कोलकाता पहुंचेगा। अगले दिन यह बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश करेगा। 15 दिन यह बांग्लादेश की जलसीमा में रहेगा। वहां से यह कोलकाता आएगा और बोगीबील (डिब्रूगढ़) पहुंचेगा। वाराणसी-डिब्रूगढ़ क्रूज को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर चलाया जाएगा। क्रूज की टिकट की कीमत इसे चलाने वाली कंपनी ही निर्धारित करेगी। सभी तरह के पर्यटकों को देखते हुए क्रूज पर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। वाराणसी-डिब्रूगढ़ क्रूज को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर चलाया जाएगा।
क्रूज की टिकट की कीमत इसे चलाने वाली कंपनी ही निर्धारित करेगी। सभी तरह के पर्यटकों को देखते हुए क्रूज पर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। जलमार्ग विकास प्रोजेक्ट-2 (जिसे अर्थ गंगा) भी कहा जाता है। जलयान प्राधिकरण गंगा नदी पर 62 लघु सामुदायिक घाटों का विकास व अपग्रेड कर रहा है। इनमें से 15 यूपी में, 21 बिहार में, 3 झारखंड में और 23 पश्चिम बंगाल में हैं। यूपी के वाराणसी और बलिया के बीच 250 किलोमीटर में घाट विकसित किए जा रहे हैं।

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