हरिद्वार 5 फरवरी (कुल भूषण) आयुर्वेद व वनस्पति में हमारे जीवन की आरोग्यता का मूलमंत्र समाहित है जिसे वर्तमान भौतिकवादी विकास की दौड के चलते हम भूलते जा रहे है। जिसके परिणाम स्वरूप हमें विभिन्न रोगों का शिकार होना पड रहा है। यह कहना है श्रीराम कालेज करनाल की नैनसी इण्डिया का वह गुरूकुल कांगडी समविश्वविधालय में चल रहे औषधीय पादप कुम्भ में आयोजित वेबीनार में अपने विचार रख रही थी।
उन्होंने कहा कि प्रकृति द्वारा मिली अपनी इस प्राचीन विधा आयुर्वेद व वनस्पति के ज्ञान को आमजन तक पहुचाने की दिशा में वह पिछले काफी समय से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि समाज में जागरूकता के माध्यम से ही हम अपने देश व समाज को विश्वपटल पर पुनः आयुर्वेद व वनस्पति विज्ञान के माध्यम से अपनी प्रतिभा को सिद्ध कर सकते हैं। यह वह विज्ञान है जो सामाजिक उपेक्षा के चलते कही पीछे छुट गया था आज विश्व के कई विकसित देश आयुर्वेद व वनस्पति विज्ञान को पेटेंट कराने की दिशा में लगे है। जबकी इन दोनों विधाओं का हमारे देश में अथाह भण्डार समाहित हैं। आज जरूरत इस बात की है कि हम अपनी इस प्राचीन विधा को समझे तथा इसका उपयोग जनहीत में करने के लिए आगे आकर इसका अध्ययन करे।
पतंजलि विश्वविद्यालय से जुडे युवा प्रखर वक्ता विनय कुमार ने कहा कि आयुर्वेद दुनिया की सबसे प्राचीन चिकित्सा विद्या हैै। जहां आधुनिक चिकित्सा पद्धति अपने को असहाय महसूस करती है वहाॅ से आयुर्वेद का उद्गम होता है। आयुर्वेद को विश्वपटल पर पहचान दिलाने में योगगुरू स्वामी रामदेव महाराज व आचार्य बालकृष्ण बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है जिसे दुनिया के कई देशों व शोध संस्थाओं ने स्वीकार किया है। आयुर्वेद को बढावा देने की दिशा में कई कदम उठाये गये है इस दिशा में अभी ओर अधिक कार्य किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जरूरत है तो उन्हें उचित अवसर उपलब्ध कराये जाने की इस दिशा में गुरूकुल कांगडी द्वारा आयोजित पादप औषधि महाकुम्भ एक सार्थक कदम है जिसने युवाओं को इस दिशा में कार्य करने व अपनी प्रतिभा को समाज के सामने लाने के लिए अवसर उपलब्ध कराया है।
निश्चय ही आने वाले समय में यह पादप महाकुम्भ युवाओं के लिए प्रेरणा का मार्ग बनेगा जिसकेे माध्यम से वह अपने प्राचीन आयुर्वेदिक व वनस्पति विज्ञान को विस्तार से जान व समझ सकेगें।
इस मौके पर डा0 एनण् मोहनए डा0 नीतिका खेतवालए गौतम खट्टर व मोहित जोशी ने भी अपने विचार रखे। वेबीनार का संचालन नीतिश खेतवाल ने किया। कार्यक्रम के संयोजक डा0 सतेन्द्र राजपूत ने आयोजन के बारे में विस्तार से प्रतिभागियों को जानकारी देते हुए उनका परिचय कराया। इस मौके पर विभाग के समस्त शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियो ने प्रतिभाग किया।
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