Thursday, December 26, 2024
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इंजीनियर, ड्राफ्ट्समैन और डिप्लोमा होल्डर्स ने उत्तराखंड में बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन का किया विरोध

‘लगाया आरोप : प्रस्ताव एक वर्ग विशेष के हित को ध्यान में रखकर बनाया गया है’

देहरादून, शहर के विकास का समुचित जिम्मा जिस विभाग को दिया गया वह जब जनपद में बन रहे अवैध निर्माण और आवासीय अपार्टमेंट के साथ सड़कों के किनारे मानक के विपरीत बन रही दुकानों आदि इन सभी की तरफ आंख मूंदे बैठा है, जिस कारण जनपद में मानकों के विपरीत धड़ल्ले से निर्माण कार्य किये जा रहे हैं, अब तो हद यह हो गयी इंजीनियर, ड्राफ्ट्समैन और डिप्लोमा होल्डर्स ने उत्तराखंड में बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन के विरोध में उतर गये और एमडीडीए के कार्यालय पर प्रदर्शन कर आरोप लगाया कि उनकी सलाह लिए बगैर भवन निर्माण एवं विकास उपविधि उत्तराखंड (संशोधन 2023) का प्रस्ताव जारी कर दिया गया है। उनकी मांग है कि संशोधन प्रस्ताव में उनकी राय भी शामिल की जाए।
एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल इंजीनियर्स एंड टेक्निकल्स के बैनर तले इंजीनियरों, ड्राफ्ट्समैनों और डिप्लोमा होल्डर्स ने प्राधिकरण कार्यालय में प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि प्रस्ताव एक वर्ग विशेष के हित को ध्यान में रखकर बनाया गया है। नए संशोधन अव्यवहारिक हैं, इससे इंजीनियर्स, ड्राफ्टमैन और डिप्लोमा होल्डर्स बेरोजगार हो जाएंगे। उनका कहना है कि जब से विकास प्राधिकरणों का गठन हुआ है, तभी से इंजीनियर, ड्राफ्ट्समैन तथा डिप्लोमा होल्डर्स को सभी प्रकार के मानचित्र बनाने और स्वीकृत कराने की स्वतंत्रता थी, लेकिन 2016 में अध्यादेश के जरिये इंजीनियरों को दो हेक्टेयर और डिप्लोमा होल्डर्स एवं ड्राफ्ट्समैन को 250 वर्ग मीटर के दायरे में बांध दिया गया। नए संशोधन में इस दायरे को भी खत्म करने की साजिश की जा रही है।

प्रदर्शन कर निम्न बदलाव करने की उठाई मांग :

– ड्राफ्ट्समैनों तथा डिप्लोमा होल्डर्स को भवन मानचित्र स्वीकृत कराने की सीमा 100 वर्ग मीटर की बजाय पहले की तरह 250 वर्ग मीटर की जाए। व्यवसायिक मानचित्र बनाने की भी स्वीकृति प्रदान की जाए।

– इंजीनियरों को मानचित्र स्वीकृत कराने की सीमा को 500 स्क्वायर मीटर किया जा रहा है। इसे पहले की तरह दो हेक्टेयर ही किया जाए।

– मैदानी क्षेत्रों में एकल आवास के लिए न्यूनतम प्लॉट एरिया बढ़ाकर 50 मीटर किया जा रहा है, इसे 30 वर्ग मीटर ही रखा जाए। नाले से दूरी पहले ही तरह 5 मीटर रखी जाए।

– मैदानी क्षेत्रों में ओपन पार्किंग 23 वर्ग मीटर के स्थान पर 13.75 वर्ग मीटर की जाए। 250 वर्ग मीटर के मल्टीपल यूनिट में पार्श्व सैटबैक दो मीटर तथा साइड सैटबैक 1.2 मीटर किया जाए।
वहीं एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी के मुताबिक एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल इंजीनियर्स एंड टेक्निकल्स के बताए गए बिंदु शासन को प्रेषित किए जाएंगे। शासन स्तर पर जो भी निर्णय होगा, वह अमल में लाया जाएगा।

दूसरी तरफ बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन को लेकर आर्किटेक्ट्स ने भी बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। उत्तराखंड इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट एसोसिएशन का कहना है कि संशोधन का नया प्रस्ताव प्रापर्टी कारोबार के लिए घातक है। इससे बहुमंजिला इमारत बना पाना संभव नहीं होगा। तीन मंजिल से अधिक ऊंचा भवन बनाने के लिए प्राधिकरण को बड़ी फीस चुकानी होगी, जो आम आदमी के लिए संभव नहीं होगा।

आर्किटेक्ट एसोसिएशन अध्यक्ष डीएस राणा ने कहना है कि नया प्रस्ताव अमल में आया तो दून के पहाड़ी क्षेत्र में दो मंजिल से अधिक ऊंचा भवन बनाने के लिए ग्रीन बिल्डिंग बनवानी पड़ेगी। ऐसी बिल्डिंग बनाने वाली कोई एजेंसी देहरादून में नहीं है। वहीं, ग्रीन बिल्डिंग में सौर ऊर्जा का प्रयोग करना होगा। सीवेज निस्तारण के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाना होगा, जो कि अव्यवहारिक है, पहले 25 फीट की सड़क पर दो मंजिल बिल्डिंग बनती थी। अब सड़क को 40 फीट चौड़ा बनाना होगा। आर्किटेक्ट्स के अनुसार एमडीडीए बताए कि शहर में कहां पर 40 फीट चौड़ी सड़क बनी हुई है। जब सड़क ही इतनी चौड़ी नहीं है तो ऐसा प्रस्ताव क्यों लाया जा रहा है। ग्रुप हाउसिंग के लिए जमीन का दायरा 1000 मीटर से बढ़ाकर 2000 मीटर कर दिया गया है। इससे सीधे तौर पर ग्रुप हाउसिंग प्रभावित होगी। आर्किटेक्ट्स का कहना है कि जब दून में जमीनें ही नहीं हैं, तो दायरा बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। ऐसे में सीधे तौर पर ग्रुप हाउसिंग का काम प्रभावित होगा।

उत्तराखंड इंजीनियर एवं ड्राफ्ट्समैन एसोसिएशन सौंपा एमडीडीए उपाध्यक्ष को ज्ञापन

उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग द्वारा बार बार महायोजना प्लान व बायलॉज में की जाने वाली गलतियों व अपने निजी स्वार्थ के लिए किए जाने वाले छेड़छाड़ के विरोध में उत्तराखंड इंजीनियर एवं ड्राफ्ट्समैन एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष श्री अरविन्द वर्मा जी के मार्गदर्शन में टाउन प्लानिंग विभाग द्वारा तैयार किए गए भवन निर्माण एवं विकास उपविधि संशोधन 2023को निरस्त कर पूर्व की भांति लागू करने की मांग को लेकर एमडीडीए उपाध्यक्ष को अपनी समस्याओं के समाधान हेतु ज्ञापन सौंपा | ज्ञापन सौंपने के बाद सभी लोग टाउन प्लानिंग विभाग में मुख्य टाउन प्लानर श्रीवास्तव का विरोध करने राजीव गांधी काम्प्लेक्स में पहुंचे लेकिन उनके वहां मौजूद न होने पर दूसरेभअधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया, इस दौरान राज्य सरकार व टाउन प्लानर होश में आओ के गर्जना भरे विरोधाभास नारे लगाए गए |
एसोसियेशन से इंजीनियर सुनील दत्त घिल्डियाल ने कहा कि किसी भी जिले के बिल्डिंग बायलॉज विकास प्राधिकरणों के इंजीनियरों तथा पंजीकृत आर्किटेक्ट्स, ड्राफ्ट्समैन एसोसिएशनों के पदाधिकारियों के साथ में बैठकर तैयार किया जाना चाहिए, क्योंकि अपने क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति व वास्तविकता का ज्ञान प्राधिकरणों के अभियंताओं व शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले आर्किटेक्ट, इंजीनियर, ड्राफ्ट्समैन एसोसिएशनों को होता है, गलतियां टाउन प्लानिंग विभाग करता है और जिसका खामियाजा प्राधिकरण कर्मचारी उठाना पड़ता है। वहीं टाउन प्लानिंग विभाग द्वारा हर 3 से 4 महीने में बायलाज इसीलिए बदल दिए जाते हैं क्योंकि यह विभाग बिल्डरों व प्रापर्टी डीलरों के अनुसार महायोजना प्लान व बिल्डिंग बायलॉज तैयार कर राजस्व का हनन करता है। इस समस्या का संज्ञान प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी लेना होगा। अगर उपरोक्त सभी मांग का समाधान न हुआ तो राज्य में इंजीनियरिंग बेरोजगार संगठनों के आम जन को लेकर साथ लेकर धरना प्रदर्शन करने पर हमें बाध्य होना पड़ेगा।

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