‘1 जुलाई को 12 जनपदों में होगा धरना-प्रदर्शन, वार्ड सदस्य, ग्राम प्रधान, क्षेत्र तथा जिला पंचायत के 70 हजार निर्वाचित प्रतिनिधि करेंगे आंदोलन’
पिथौरागढ़, “एक राज्य एक पंचायत चुनाव” के नारे के साथ उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने त्रिस्तरीय पंचायतों का 2 वर्ष कार्यकाल बढ़ाए जाने की अपनी पुरानी मांग को लेकर आर- पार के संघर्ष का ऐलान कर दिया। सरकार इस मांग पर लिखित आश्वासन नहीं देती है तब तक आंदोलन नियमित रूप से संचालित होंगे। 24 जून को राज्य के12 जनपदों के समस्त विकास खंडों से प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजने के साथ आंदोलन का बिगुल बजेगा।
पंचायत संगठन के कोर कमेटी की ऑनलाइन बैठक में संगठन के संयोजक जगत मर्तोलिया, जिला पंचायत अध्यक्ष संगठन की प्रदेश अध्यक्ष सोना सजवान, क्षेत्र प्रमुख संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ दर्शन सिंह दानू, जिला पंचायत सदस्य संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप भट्ट, ग्राम प्रधान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भास्कर सम्मल ने प्रतिभाग किया।
बैठक में बातचीत करने के बाद तय किया गया है कि 24 जून से उत्तराखंड में इस पुरानी मांग को लेकर आंदोलन को शुरु किया जाएगा। बैठक की जानकारी देते हुए संयोजक जगत मर्तोलिया ने बताया कि 24 जून को उत्तराखंड के 12 जनपदों के प्रत्येक विकासखंड में त्रिस्तरीय पंचायतों के समस्त सदस्य जमा होकर प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजेंगे।
इस अवसर पर विकासखंड स्तर पर बैठक आयोजित कर आंदोलन को प्रभावी बनाने के लिए बातचीत भी की जाएगी।
1 जुलाई को उत्तराखंड के 12 जनपद मुख्यालयों में त्रिस्तरीय पंचायतों के सदस्य धरना-प्रदर्शन करते हुए जिला अधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को पुनः ज्ञापन भेजेंगे।
12 जनपद में एक साथ पत्रकारों से वार्ता करते हुए आंदोलन की अगली रणनीति का भी घोषणा करेंगे।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में 2001 में राज्य सरकार के द्वारा एक वर्ष तीन माह का कार्यकाल बढ़ाया गया था। आज भी राज्य के ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत के कार्यालयों में लगे साइन बोर्ड इसके प्रमाण है। उन्होंने बताया कि हरिद्वार में राज्य सरकार के द्वारा वर्ष 2020 के बाद दो बार कार्यकाल बढ़ाया गया है। देश के विभिन्न राज्यों ने अध्यादेश लाकर पंचायत का कार्यकाल बढ़ाकर कानूनी आधार भी उत्तराखंड की सरकार को दिया है।
उन्होंने कहा कि जब भी कार्यकाल बड़े है, प्रशासको की जगह निर्वाचित प्रतिनिधियों को कार्य करने का अवसर प्रदान किया गया है।
उन्होंने बताया कि चुनाव आचार संहिता के कारण आंदोलन को स्थगित किया गया था।अब उत्तराखंड के 12 जनपदों में आंदोलन को तेज करने के लिए रणनीति बना ली गई है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार जनपद को भी सहयोग के लिए आमंत्रण भेजा जा रहा है।
हम “एक राज्य एक पंचायत चुनाव” के नारे के साथ इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए एकजुट है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह पंचायत प्रतिनिधियों को आंदोलन में जाने से पहले बातचीत के लिए बुलाकर इस मांग का समाधान निकाले।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के “एक देश एक चुनाव” के नारे का हम समर्थन करते हैं अब मुख्यमंत्री की बारी है कि वह “एक राज्य एक पंचायत चुनाव” पर तत्काल फैसला ले।
आंदोलन से भविष्य में होने वाले टकराव की स्थिति से बचने के लिए राज्य सरकार को बड़ा दिल रखते हुए आगे आना चाहिए।
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