Wednesday, November 27, 2024
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प्रदेश में चारधाम यात्रा पर जाने वाले वाहन चालकों के लिए दिशा-निर्देश जारी

देहरादून, प्रदेश परिवहन विभाग ने चारधाम यात्रा पर जाने वाले वाहन चालकों और यात्रियों की सुरक्षा के लिए दिशा- निर्देश जारी किए हैं। गतिमान वाहन में टेप रिकॉर्डर, सीडी प्लेयर, रेडियो का संचालन नहीं करने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही, चप्पल पहनकर वाहन नहीं चलाने की अपील की गई है।

आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी ने बताया कि बनाए गए सभी दिशा-निर्देश चेकपोस्ट, बस अड्डे और स्टेशनों पर चस्पा किए जाएंगे।

चारधाम यात्रा के लिए क्या करें :-

1- चारधाम यात्रा के लिए अनिवार्य रूप से यात्री पंजीकरण कराएं और ट्रिप कार्ड अवश्य लें।
2- व्यावसायिक वाहन ग्रीन कार्ड प्राप्त कर ही यात्रा में जाएं।
व्यावसायिक वाहनों के लिए पर्वतीय मार्गों पर संचालन के लिए चालक के लाइसेंस में पर्वतीय मार्गों का अनिवार्य रूप से पृष्ठांकन कराएं।
3- पर्वतीय मार्गों पर 4225 मिमी से अधिक व्हीलबेस, व्हीलबेस के 60 प्रतिशत से अधिक ओवर हैंग एवं 250 सेमी से अधिक चौड़ाई की वाहन का संचालन अनुमन्य नहीं है।
4- वाहन में फर्स्ट एड बॉक्स, अग्निशमन यंत्र, रस्सी आदि अवश्य रखें।
5- पर्वतीय मार्गों पर वाहन का तकनीकी रूप से ठीक होना आवश्यक है. यात्रा से पूर्व वाहन के ब्रेक, गियर, टायर, स्टेयरिंग की भली-भांति जांच कर लें।
6- वाहन में सदैव सभी वैध प्रपत्र रखें।
7- पर्वतीय मार्गों पर मोड़ पर हॉन अवश्य दें और अपनी लेन में ही चलें।
8- वाहन को सुरक्षित स्थान पर ही पार्क करें एवं पार्क करते समय हैंडब्रेक एवं लकड़ी का गुटका अवश्य लगाएं।
9- पहाड़ी मार्गों पर मौसम खराब होने, भूस्खलन होने के संबंध प्रशासन द्वारा दिये गये गये दिशा-निर्देशों का पालन करें।
10- यात्रा प्रारंभ करते समय एवं वापसी में यात्रा चेकपोस्ट पर वाहन का प्रविष्टि अवश्य कराएं।
11- वाहन में कूड़ा रखे जाने हेतु कूड़ेदान का प्रयोग करें. यात्रा मार्गों पर गंदगी न हो इसके लिए उपलब्ध शौचालयों का ही प्रयोग करें।
12- यात्रा के दौरान यात्रा का पूर्ण आनंद लेते हुए जगह-जगह विश्राम करते हुए यात्रा करें और लगातार ड्राइव न करें।
13- प्राइवेट वाहनों को किराए पर लेकर यात्रा न करें।
14- यात्रा निर्धारित समयावधि में ही पूर्ण करें और यात्रा के दौरान जल्दबाजी न करें।
15- तेज गति से वाहन न चलाएं और बीच-बीच में विश्राम करें.
वाहन में ज्वलनशील पदार्थ पेट्रोल, डीजल, गैस सिलेंडर न ले जाएं।
16- नशे का सेवन कर वाहन न चलाएं‌।
17- यात्रा मार्गों पर कूड़ा/गंदगी न फैलाएं और वाहन में कूड़ेदान लगाएं।
18- वाहन चलाते समय टेप रिकॉर्डर, गाने या रेडियो का संचालन न करें।
19- वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग न करें।
20- यात्रा मार्गों पर रात्रि में वाहन का संचालन कदापि न करें।
21- चप्पल पहनकर वाहन न चलाएं।
22- वाहन में चालक के पास अनावश्यक सामान या पानी की बोतल आदि न रखें।
23- यात्रा के दौरान चालक से बातचीत या नोक-झोंक न करें।
24- वाहन में ओवर लोडिंग न करें और वाहन में घिसे हुए या रिट्रेटेड टायरों का प्रयोग न करें।
25- पर्वतीय मार्गों पर अनावश्यक ओवरटेक न करें, आवश्यक होने पर आगे जाने वाली वाहन के संकेत मिलने एवं पर्याप्त स्थान मिलने पर ही ओवरटेक करें।
26- खुले में शौच न करें और यात्रा मार्गों पर स्थापित शौचालय का प्रयोग करें।

 

‘भूमि प्रबंधन हेतु कृषि वानिकी’ विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ आयोजन

 

देहरादून, कृषि वानिकी भूमि प्रबंधन एवं किसानों की आय वधर्न में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।  कृषि वानिकी पद्धतियों में वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग करके फसलों तथा वृक्षों का संगम करके उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

इसी के ध्यान में रखते हुए विस्तार प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून ने वन विज्ञान केन्द्र व कृषि  विज्ञान केन्द्र के नेटवकिर्ंग के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र धनौरी में  ‘‘भूमि प्रबंधन हेतु कृषि वानिकी’’ विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया।
डा. चरण सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा श्रीमती ऋचा मिश्रा, भा.व.से. प्रमुख, विस्तार प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून से किसानों को सम्बोधित करने और उद्घाटन करने का अनुरोध किया।  अपने संबोधन में उन्होंने कृषि भूमि पर कृषि फसलों के साथ वृक्षों के एकीकरण के माध्यम से आय वृद्धि कि लिए कृषिवानिकी के महत्व और आवश्यकता पर प्रकाश डाला।   उन्होने कृषि वानिकी के विविधीकरण के बारे में भी बात की और बताया कि कैसे वे एक साथ मिलकर प्रजातियों की उत्पादकता में सुधार कर सकते हैं, जिससे बेहतर कृषि वानिकी उत्पादन और आथिर्क लाभ हो सकता है।  उन्होंने प्रशिक्षण का अवलोकन भी किया और प्रतिभागियों से प्रशिक्षण का अधिक से अधिक उपयोग करने का आग्रह किया।

विज्ञान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि वैज्ञानिक तकनीकियों का समावेश करके कृषि वानिकी की जाए तो इससे निश्चित ही किसानों की आय बढ़ेगी और इस दिशा में यह प्रशिक्षण काफी लाभदायक सिद्ध होगा।  कृषि विज्ञान केन्द्र, धनौरी के अधिकारी प्रभारी डा. पुरुषोत्तम सिंह ने भी पेड़ों और कृषि फसलों की भूमिका के बारे में अपने विचार व्यक्त किए।
प्रशिक्षण में आए विषय विशेषज्ञों डा. चरण सिंह, डा. देवेन्द्र कुमार, श्री रामबीर सिंह, डा. विनोद कुमार, डा. योगेन्द्र पाल, डा. विपिन प्रकाश, डा. दीप्ती चैधरी एवं    श्री मोहित हसन ने भी कृषि वानिकी पर किसानों को तकनीकी जानकारी प्रदान की तथा अपने विचार किसानों के साथ साझा किए।  प्रशिक्षण में 42 किसानों ने भाग लिया।

प्रबंधन टीम में शामिल डा. चरण सिंह, डा. देवेन्द्र कुमार, श्री रामबीर सिंह एवं श्री प्रीतपाल सिंह, नवीन चैहान आदि ने प्रशिक्षण कायर्क्रम सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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