(एल. मोहन लखेड़ा )
देहरादून, उत्तराखंड़ राज्य बने दो दशक से अधिक का समय हो गया लेकिन अभी भी पहाड़ की जनता अपने हक हकूकों के लिये आंदोलित है, राज्य में मूल निवास कानून लागू करने और इसकी कट ऑफ डेट 26 जनवरी 1950 घोषित किए जाने और प्रदेश में सशक्त भू-कानून लागू किए जाने की मांग को लेकर देहरादून में आज पूरे उत्तराखण्ड़ से आम जनमानस का जन सैलाब एकजुट होकर मूल निवास स्वाभिमान महारैली का हिस्सा बना। दून में इस महारैली में बड़ी संख्या में युवा और तमाम सामाजिक और राजनीतिक संगठन शामिल होने प्रदेश भर से पहुंचे हैं। लोग परेड मैदान में सुबह से एकत्रित होने लगे और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। भू कानून को लेकर आयोजित रैली परेड ग्राउंड से शुरू होकर जलूस की शक्ल में काॅन्वेंट स्कूल से होते हुए एसबीआई चौक, बुद्धा चौक, दून अस्पताल, तहसील चौक होते हुए कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंची। इसके बाद शहीद स्मारक पर सभा का आयोजन किया गया।
सभा को संबोधित करते हुये मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि यह उत्तराखंड की जनता की अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है। सरकार की ओर से विभिन्न माध्यमों से संघर्ष समिति से जुड़े सदस्यों से संपर्क कर रैली का टालने का अनुरोध किया गया था। उन्होंने कहा कि हम सरकार की इस पहल और सक्रियता का सम्मान करते हैं, लेकिन यह जन आंदोलन है, जिसका नेतृत्व उत्तराखंड की आम जनता कर रही है। इसलिए इस आंदोलन से संबंधित कोई भी फैसला आम जनता के बीच से ही निकलेगा।
राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने कहा कि विषम भौगोलिक स्थिति वाले राज्य को आजादी 42 शहादतों के बाद मिली है। हमारी मांग रही है कि राज्य में 1950 का मूल निवास लागू हो साथ ही हिमाचल की तर्ज पर भू कानून लागू हो और इसके लिए हम सभी लामबंद हो चुके हैं इसका आगाज आज हो चुका है और यदि इसमें कोई हीलाहवाली की गई तो आने वाले समय में हम इससे भी बड़ा जन सैलाब सड़क पर उतारेंगे। जगमोहन नेगी व हर्षपति काला ने सरकार से मांग की है कि अब राज्य आंदोलन की तर्ज पर मूल निवास और भू कानून लागू कराने हेतु अब जन मानस सड़क पर आ चुका है अब सरकार को पुनः इसको 371 के अंतर्गत हमारे हक हकूक सुरक्षित किये जाएं अन्यथा जन आंदोलन खड़ा होगा, डी. एस. गुसाईं ने कहा कि जिन उद्देश्य को लेकर राज्य की मांग की गई हम उससे छूटते चलें गये हमारे उत्तराखण्ड मेँ बसे नागरिकों कें मूल निवासियों का रोजगार पर दिक्कत , छोटे छोटे ठेकेदार कें हक मारे गये , जमीनी छीन गई , रोजगार एजेंसियां भी बाहरी प्रदेशों से अतिक्रमण हो गया। अब सरकार को सशक्त भू कानून और मूल निवास पर गंभीरता पूर्वक जल्द से जल्द विधानसभा में नियम बनाएं।
गौरतलब हो कि राज्य बनने के बाद से ही भू कानून की मांग की जाती रही है, लेकिन राज्य अब तक सत्तारूढ़ सरकारों ने इस ओर कोई सकारात्मक पहल नहीं की और नियमों की अनदेखी कर यहां औने-पौने दाम में जमीनें खरीद कर उसमें होटल-रिजॉर्ट बनाए जाते रहे हैं और पहाड़ से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे धीरे धीरे नेपथ्य में चले गये, जहां इस भूकानून रैली का हिस्सा बनने के लिये प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने खुद लोगों का आह्वान किया, वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान भी यहां के युवाओं ने सशक्त भू कानून और मूल निवास की मांग जोरशोर से उठाई थी | महारैली में उत्तराखंड के कई जिलों के लोग, सामाजिक संगठन, राजनीतिक दलों के नेता कार्यकर्ता व राज्य आंदोलनकारी भी शामिल हुए। जबकि राज्य में हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून लागू करने की मांग लगातार की जा रही है, वर्ष 2002 में सरकार की तरफ से सावधान किया गया कि राज्य के भीतर अन्य राज्य के लोग सिर्फ 500 वर्ग मीटर की जमीन ही खरीद सकते हैं, लेकिन वर्ष 2007 में इस प्रावधान में एक संशोधन कर दिया गया और 500 वर्ग मीटर की जगह 250 वर्ग मीटर की जमीन खरीदने का मानक रखा गया, वहीं 6 अक्टूबर 2018 को भाजपा की तत्कालीन सरकार इसमें संशोधन करते हुए नया अध्यादेश लाई, जिसमें उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि सुधार अधिनियम 1950 में संशोधन करके दो और धाराएं जोड़ी गई | इसमें धारा 143 और धारा 154 के तहत पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को ही खत्म कर दी गई है, यानी राज्य के भीतर बाहरी लोग जितनी चाहे जमीन खरीद सकते हैं |
आज की महारैली में जगमोहन सिंह नेगी, ओमी उनियाल, रामलाल खंडूड़ी, प्रदीप कुकरेती, जनकवि डा. अतुल शर्मा, अशोक वर्मा, विशम्भर खंकरियाल, पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत, महेन्द्र रावत, सतेन्द्र भण्डारी, डी. एस. गुसाईं, विक्रम सिंह भण्डारी, मोहन नेगी , युद्धवीर सिंह चौहान, प्रेम सिंह नेगी, विनोद असवाल, मोहन खत्री, जयदीप सकलानी, वेदा कोठारी, बीर सिंह रावत, सुमित थापा, डा. एस पी सती, सुमन भण्डारी, महेन्द्र बिष्ट, चन्द्र मोहन सिंह नेगी, विरेन्द्र गुसांई, बाल गोविन्द डोभाल, सुरेश नेगी, राजेश पान्थरी, मोहन रावत, सतेन्द्र नौगांई, संतन रावत, सुशील चमोली, सुनील जुयाल, नवीन रमोला, विजय वर्धन डण्डरियाल, सुलोचना भट्ट, राधा तिवारी, सत्या पोखरियाल, सुनीता रावत, प्रभात डण्डरियाल, राकेश थपलियाल, बिना बहुगुणा, अंजली पन्त, रामेश्वरी रावत, सरोजनी रावत, सुलोचना गुसांई आदि शामिल रहे।
सख्त भू कानून भाजपा सरकार ही लेकर आएगी : भट्ट
वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भू कानून को लेकर स्पष्ट किया कि हमारी सरकार राज्य निर्माण की मूल अवधारणा के संरक्षण को लेकर कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कठोरतम नकल निरोधक और धर्मांतरण कानून के बाद मूल निवासियों के हित में सख्त भू कानून भी भाजपा सरकार ही लेकर आएगी।
स्थानीय हितों का मुद्दा उठा :
राज्य सरकार की मंशा थी कि इस नियम में संशोधन करने के बाद राज्य में निवेश और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन अब सरकार के इस फैसले का विरोध होने लगा है. इसके साथ ही राज्य में मूल निवास की अनिवार्यता 1950 लागू करने की मांग की जा रही है. 1950 से राज्य में रह रहे लोगों को ही स्थाई निवासी माने जाने की मांग उठ रही है |
भू कानून और मूल निवास का मुद्दा बढ़ायेगा सियासी तापमान : माहरा
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने इसे सराहनीय कदम बताया है, उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को गैर राजनीतिक होना चाहिए, वहीं लोकसभा चुनाव को छह महीने से कम समय बचा है ऐसे में देवभूमि में भू कानून और मूल निवास का मुद्दा आने वाले दिनों में राज्य के सियासी तापमान को बढ़ा सकता है |
संघर्ष समिति की ये हैं प्रमुख मांगें :
– प्रदेश में ठोस भू कानून लागू हो।
– शहरी क्षेत्र में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो।
– ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।
– गैर कृषक की ओर से कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे।
– पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे।
– राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार की ओर से विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान या लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
– प्रदेश में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय निवासी का 25 प्रतिशत और जिले के मूल निवासी का 25 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।
– ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।
रैली में यह संगठन रहे शामिल :
उत्तराखंड़ क्रांति दल, सुराज सेवा दल, बद्री केदार विकास समिति, चार धाम महापंचायत,भैरव सेना, उत्तराखंड बेरोजगार संघ,आर्यन छात्र संगठन, उत्तराखण्ड महिला मंच, उत्तराखण्ड़ आंदोलनकारी मंच, उत्तराखण्ड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद, चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति,
नशा उन्मूलन संस्था ॠषिकेश, कृनक बागवान उधमी संगठन, उत्तराखण्ड कांग्रेस कमेटी, राष्ट्रीय उत्तराखण्ड सभा (यूपी इकाई),
ज्योति सभा एवं गढ़वाल सभा मेरठ, अखिल हिन्दू वाहिनी, राष्ट्रीय पावर पार्टी, कुर्माचल सास्कृतिक परिषद, गढ़वाल भ्रात मंडल क्लेमनटाउन, पहाड़ी पार्टी,
राठ महासभा, हिमगिरी सोसाइटी, आर्यवृत विद्यार्थी महासंघ, उत्तराखण्ड स्टूडेंट फेडरेशन पूर्व सेवानिवृित कर्मचारी संगठन |
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