नई दिल्ली, पूरा विश्व जहां एक तरफ कोविड19 के कहर से जूझ रहा है जहां महीनेभर के लॉकडाउन के बावजूद इंग्लैंड के कुछ हिस्सों में कोरोना का नया वेरिएंट लगातार फैल रहा है, जबकि कोरोना का पुराना रूप इस लॉकडाउन से नियंत्रण में आ गया। यूके में संक्रमण के ट्रेंड्स को देखते हुए किए अध्ययन के बाद यह चिंता जाहिर की गई है कि अगर यह नया रूप ऐसे ही पकड़ बनाता रहा तो दुनिया के लिए कोरोना महामारी को काबू करना बहुत मुश्किल हो सकता है।
यह नया वेरिएंट B.1.1.7 पहली बार बीते साल सितंबर मध्य में यूके में मिला था और तब से अब तक यह ब्रिटेन के कई हिस्सों में फैल गया है और अब यह कई देशों तक भी पहुंच गया है। इस वेरिएंट के जेनेटिक कोड में 23 बदलाव हुए हैं, जिनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो बहुत तेजी से फैल सकते हैं। इस नए वेरिएंट के तेजी से फैलने की वजह से ही कई देशों को ब्रिटेन की यात्रा पर प्रतिबंध लगाना पड़ा।
अभी तक भारत सहित कुल 33 देशों ने यह पुष्टि की है कि कोरोना का नया स्ट्रेन उनके देश में भी पाया गया है। दुनियाभर में स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस नए स्ट्रेन की जिनोमिक सर्विलांस शुरू कर दी है और साथ ही कई देशों में टीकाकरण भी शुरू किया जा चुका है ताकि इस नए स्ट्रेन पर काबू किया जा सके।
नए अध्ययन से यह भी पता लगा है कि कोरोना का नया वेरिएंट न सिर्फ तेजी से फैलता है बल्कि यह युवा लोगों में ज्यादा असर करता है, जबकि अब तक कोरोना वायरस बुजुर्गों में ज्यादा तेजी से फैल रहा था।
इस रिपोर्ट को गुरुवार को जारी किया गया। रिपोर्ट को तैयार करने वालों के मुताबिक, ‘हमें ऐसे सबूत मिले हैं कि नवंबर 2020 में लॉकडाउन जैसी नीतियां कोरोना के पुराने रूप को काबू करने में सफल रही लेकिन इसी दौरान लॉकडाउन जैसे अन्य प्रतिबंध नए वेरिएंट को रोकने में असफल रहे।’
यह अध्ययन इंपीरियल कॉलेज लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड, द वेलकम संगर इंस्टिट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंगम और कोविड-19 जीनोमिक्स यूके कंजोर्टियम ने मिलकर की है।
इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वाइस डीन नील फर्ग्यूसन ने बताया, ‘इस अध्ययन से पता लगा है कि नया वेरिएंट बहुत तेजी से फैलता है और इस पर काबू पाना बहुत मुश्किल हो सकता है। इसलिए हमें जल्द से जल्द वैक्सीन शुरू करनी होगी।’
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