देहरादून, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कहा कि राज्य सरकार के हरिद्वार महाकुंभ के अनियोजित, अनियंत्रित व असंयमित आयोजन से उत्तराखंड समेत पूरे उत्तर भारत में कोरोना विस्फोट हुआ। 20 दिनों में उत्तराखंड मृत्यु दर में देश में सबसे आगे पहुंच गया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) के कोविड कंट्रोल रूम की ओर से जूम मीटिंग में प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण को लेकर प्रदेश संगठन का पक्ष रखा।
राज्य मुख्यालय व जिला स्तर पर पार्टी कंट्रोल रूम की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए उन्होंने बताया कि छोटे राज्य में कोविड-19 से मरने वालों का आंकड़ा तीन हजार को छू रहा है। अब तक दो लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। सक्रिय मामले 56627 हैं। प्रदेश की भाजपा सरकार की वजह से ये हालात बने हैं। राज्य में आक्सीजन सिलिंडरों, आक्सीजन बेड, आइसीयू व वेंटिलेटर की कमी बनी हुई है। इलाजा की कमी की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है।
उन्होंने एआइसीसी से अनुरोध किया कि आक्सीजन के खाली सिलिंडरों की व्यवस्था कराने में मदद की जाए। आक्सीजन बैंक संचालित कर रहा उनका ट्रस्ट खाली सिलेंडर खरीदने को तैयार है। उन्होंने बताया कि एआइसीसी के केंद्रीय कंट्रोल रूम ने आश्वस्त किया कि राज्य को हरसंभव मदद दी जाएगी। एआइसीसी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बताया कि चिकित्सा परामर्श के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेसस का पैनल अच्छा कार्य कर रहा है। प्लाज्मा की उपलब्धता के बारे में सूचनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर साझा किया जा रहा है। जूम मीटिंग का संचालन एआइसीसी सचिव मनीष चतरथ ने किया |
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र लिखकर कोरोना मरीजों और उनके स्वजनों की दयनीय दशा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मंत्रालय के साथ मुख्यमंत्री कितना न्याय कर पा रहे हैं, इसका आकलन उन्हें करना चाहिए। बेहतर होगा कि वह सूबे को स्वास्थ्य मंत्री दें।
इंटरनेट मीडिया पर अपने पत्र में उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में आक्सीजन की कमी के कारण कई संक्रमितों ने प्राण त्याग दिए हैं। आक्सीजन बेड बड़ी मुश्किल से मिल रहे हैं। आइसीयू व सीसीयू के लिए महाभारत हो रही है। अस्पतालों में कोई यह बताने वाला नहीं है कि मरीजा का हाल कैसा है। मरीजों को अस्पतालों में कोरोना से लड़ने योग्य भोजन या खुराक मिल रही है या नहीं, इसका अता-पता नहीं है। उन्होंने कहा कि वह अपने बहनोई से बातचीत कर रहे थे और दो घंटे के बाद उनके शरीर छोड़ने की खबर आ गई। उन्होंने कहा कि इस कालखंड मतें स्वास्थ्य कर्मचारियों के हितों की अत्यंत उपेक्षा हो रही है। उपनल कर्मचारी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं।
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