Saturday, April 27, 2024
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मुख्यमंत्री जी..! 17 दिन बीते, आपकी घोषणा के बाद भी जारी नहीं हुआ शासनादेश

ऋषिकेश, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा राज्य आंदोलनकारियों के लिए की गई घोषणा के 17 दिन बीतने के बाद भी शासनादेश जारी न होने से राज्य आंदोलनकारियों में आक्रोश है।
शुक्रवार को राज्य के अलग-अलग हिस्सों में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी समिति उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच की बैठक में वक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं को अमल करने में अफसर देरी कर रहे हैं।

ऋषिकेश की गोपाल कुटी में हुई उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति व उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच की बैठक में वक्ताओं ने मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद शासनादेश जारी न होने पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री ने खटीमा में राज्य आंदोलनकारियों के लिए चार घोषणा की थी, लेकिन 17 दिन बीतने के बाद भी सरकारी तंत्र ने अभी तक आदेश जारी नहीं किया है , जिससे राज्य आंदोलनकारियों में आक्रोश है।

उन्होंने कहा कि प्रतीत होता है कि ब्यूरोक्रेट सरकार का आदेश पालन करने में टालमटोल कर रहे हैं। वक्ताओं ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि गृह विभाग को मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार तुरंत आदेश जारी करने के आदेश करने चाहिए थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है।

बैठक में मुख्य रूप से वेद प्रकाश शर्मा, बलवीर नेगी, डीएस गुसांई,गंभीर सिंह मेवाड़, विक्रम भंडारी, युद्धवीर चौहान, ओम रतूड़ी, महेंद्र सिंह बिष्ट, जयप्रकाश खंडूडी, दीपक रतूड़ी, नरेश ध्यानी, उमेश कंडवाल, शीला ध्यानी, पूर्णिमा बडोनी, सुशीला सजवान, शकुंतला नेगी, जयंती नेगी,बसंती नेगी, सत्येंबरी मनोड़ी, जयंती पटवाल, पूर्णा राणा, विशंभर दत्त डोभाल, विनोद लखेड़ा, बृजेश डोभाल, प्रेमलाल आदि अनेक आंदोलनकारी उपस्थित थे।

-बैठक में मुख्य रूप से वेद प्रकाश शर्मा, बलवीर नेगी, डीएस गुसांई,गंभीर सिंह मेवाड़, विक्रम भंडारी, युद्धवीर चौहान, ओम रतूड़ी, महेंद्र सिंह बिष्ट, जयप्रकाश खंडूडी, दीपक रतूड़ी, नरेश ध्यानी, उमेश कंडवाल, शीला ध्यानी, पूर्णिमा बडोनी, सुशीला सजवान, शकुंतला नेगी, जयंती नेगी,बसंती नेगी, सत्येंबरी मनोड़ी, जयंती पटवाल, पूर्णा राणा, विशंभर दत्त डोभाल, विनोद लखेड़ा, बृजेश डोभाल, प्रेमलाल आदि अनेक आंदोलनकारी उपस्थित थे |
वक्ताओं ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वे अधिकारियों को तुरंत आदेश करें ताकि राज्य अधिकारी अपना चिन्हीकरण करवा सके। यदि ऐसा नहीं हुआ तो मजबूरन आंदोलनकारियों को धरने व प्रदर्शन के लिए बाध्य होना पड़ेगा,जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। बैठक में मुख्य रूप से वेद प्रकाश शर्मा, बलवीर नेगी, डीएस गुसांई,गंभीर सिंह मेवाड़, विक्रम भंडारी, युद्धवीर चौहान, ओम रतूड़ी, महेंद्र सिंह बिष्ट, जयप्रकाश खंडूडी, दीपक रतूड़ी, नरेश ध्यानी, उमेश कंडवाल, शीला ध्यानी, पूर्णिमा बडोनी, सुशीला सजवान, शकुंतला नेगी, जयंती नेगी,बसंती नेगी, सत्येंबरी मनोड़ी, जयंती पटवाल, पूर्णा राणा, विशंभर दत्त डोभाल, विनोद लखेड़ा, बृजेश डोभाल, प्रेमलाल आदि अनेक आंदोलनकारी उपस्थित थे।

वहीं, मसूरी में भी उत्तराखंड आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से दो सितंबर को की गई राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की घोषणा पर तत्काल शासनादेश जारी करने की मांग की। मंच के संरक्षक जय प्रकाश उत्तराखंडी और अध्यक्ष देवी गोदियाल ने कहा कि शीघ्र चिह्नीकरण का शासनादेश जारी नहीं हुआ तो मंच अपना संघर्ष तेज करेगा। बैठक में केदार सिंह चौहान, सुंदर सिंह कैंतुरा, डा. मुकुल बहुगुणा, एजाज अहमद अंसारी, सुंदरलाल, नवीन , राजेश शर्मा, कुंदन सिंह पंवार, मंगसीर सिंह आदि मौजूद रहे |

क्या कहा था मुख्यमंत्री ने

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने छूट गए पृथक राज्य आंदोलनकारियों को चिन्हित करने की प्रक्रिया फिर कराने तथा आंदोलनकारियों की मृत्यु होने पर उनके आश्रितों के लिए पेंशन जारी रखने की घोषणा की थी ।

उधमसिंह नगर जिले के खटीमा में शहीद स्मारक पर पृथक राज्य आंदोलन के दौरान मारे गए आंदोलनकारियों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों को सम्मान स्वरूप प्रमाण पत्र प्रदान किए गए हैं परंतु अनेक राज्य आंदोलनकारी इससे छूट गए हैं।

 

उन्होंने कहा था कि 30 जुलाई 2018 के बाद राज्य आंदोलनकारियों को चिन्हित नहीं किया गया और इसके लिए नया शासनादेश जारी किया जाएगा ।

 

इसके अलावा, ऐसे राज्य आंदोलनकारी जिन्हें 3100 रू की पेंशन अनुमन्य की गई है, उनकी मृत्यु के पश्चात उनके आश्रित पत्नी या पति को भी 3100 रूपए प्रतिमाह की पेंशन जारी रखी जाएगी ।

धामी ने विभिन्न विभागों में कार्यरत राज्य आंदोलनकारियों को सेवा से हटाए जाने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार द्वारा पुनर्विचार याचिका दाखिल कर ठोस पैरवी करने की भी घोषणा की थी

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