Friday, April 26, 2024
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मुख्यमंत्री केजरीवाल ने किया कचरे से बिजली बनाने के प्लांट का उद्घाटन

नई दिल्ली,  (हि.स.)। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गाजीपुर मुर्गा मंडी में मंगलवार को कचरे से बिजली बनाने के प्लांट का उद्घाटन किया। इस मौके पर केजरीवाल ने कहा कि आज से इस प्लांट पर कचरा डालना शुरू किया जाएगा। 30 दिन बाद इसमें बिजली उत्पादन शुरू होगा। इस प्लांट में गाजीपुर की तीनों मंडियों का कचरा डाला जाएगा। इसमें 15 टन कूड़े से 1500 यूनिट बिजली बनेगी। यह प्लांट भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की निसर्गुरुणा तकनीक पर बनाया गया है। प्लांट को 4.20 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इसमें 15 टन कचरे से रोजाना 1500 यूनिट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इस बिजली से मंडी रोशन होगी। बची हुई बिजली को बेचा जाएगा।

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड (डीएएमबी) के सहयोग से गाजीपुर मुर्गा मंडी में करीब 500 वर्ग मीटर भूमि में कचरे से बिजली बनाने का प्लांट बनवाया गया है। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) की तकनीक का इस्तेमाल कर निजी एजेंसी ने इसका निर्माण किया है। इस प्लांट के लिए गाजीपुर सब्जी मंडी, फूल मंडी, मुर्गा व मछली मंडी से कचरे की व्यवस्था की जाएगी। इन मंडियों से ज्यादातर गीला कूड़ा निकलता है। सब्जी मंडी के कचरे में सड़ी हुई सब्जियां और पत्ते ज्यादा होते हैं। फूल मंडी से गले फूल और डंडियां कचरे में आती हैं। मछली और मुर्गा मंडी से अवशेष निकलते हैं। प्लांट में इस कचरे से पहले मिथेन गैस बनाई जाएगी। फिर गैस से टरबाइन के जरिए बिजली बनाई जाएगी।

मंत्री गोपाल राय ने कहा कि कूड़े से बिजली बनाने वाले प्लांट का मुख्यमंत्री केजरीवाल ने द्वारा गाजीपुर मंडी में शुभारंभ किया गया। मंडी के अपशिष्ट का निस्तारण इस पावर प्लांट में होगा। इस प्लांट से बिजली के साथ-साथ खाद का भी उत्पादन होगा।

इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री गोपाल राय सहित अन्य नेता एवं अधिकारी मौजूद रहे।

खास बात यह है कि हम लोग घरों में बेकार समझकर जिस कचरे को फेंक देते हैं। यहां पर उसे नष्ट करने के साथ-साथ उससे बिजली भी बनायी जा रही है। इस प्लांट के सबसे महत्वपूर्ण कंट्रोल रूम में कचरे से बिजली बनने की प्रक्रिया पर बारीकी से नज़र रखी जाती है। इस कंट्रोल रूम के जरिए कचरे के सिस्टम में पहुंचकर बिजली बनने के तमाम चरणों की मानिटरिंग होती है। यहां पर तीन कैमरों के जरिए प्लांट के भीतर की तस्वीर लगातार मिलती रहती है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि कचरे को सुखाकर हाई टंपरेचर पर जलाया जाता है। यहां तापमान 800 से 1000 डिग्री सेल्सियस रहता है और इस प्रक्रिया में कचरे से निकलने वाली हानिकारक गैसों का प्रभाव कम हो जाता है। वहीं, जो गैस बची रहती हैं, उन्हें कंडेंसर के जरिए निष्प्रभावी कर दिया जाता है।

उल्लेखनीय है कि इस प्लांट को बनने में ढाई वर्ष का समय लगा है। वर्ष 2018 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। सितंबर में यह बनकर तैयार हो गया था। बार्क की टीम ने परीक्षण कर प्लांट चालू करने की अनुमति दे दी थी।

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