नई दिल्ली ,। केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) और राष्ट्रीय पेंशन स्कीम (एनपीएस) को लेकर एक नई व्यवस्था जारी की है। इस मसले को लेकर आए दिन कर्मचारी, अदालतों में जा रहे हैं। विभिन्न केंद्रीय कर्मचारी संगठन भी आए दिन सरकार पर यह दबाव डालते रहते हैं कि सभी विभागों में पुरानी पेंशन व्यवस्था को दोबारा से लागू किया जाए।
केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सभी सुसंगत पहलुओं पर विचार करने के बाद तथा आगे होने वाली मुकदमेबाजी को कम करने के लिए, एक अहम निर्णय लिया गया है। ऐसे सभी मामलों में जहां दिनांक 31 दिसंबर 2003 को या उससे पूर्व होने वाली रिक्तियों के सापेक्ष भर्ती के परिणाम एक जनवरी 2004 से पहले घोषित किए गए थे, भर्ती के लिए सफल घोषित उम्मीदवार पुरानी पेंशन योजना यानी केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमावली, 1972 के अधीन कवर किए जाने के पात्र होंगे। मतलब, केंद्र सरकार के विभागों में कार्यरत ऐसे उम्मीदवारों को पुरानी पेंशन स्कीम में शामिल होने का एक अंतिम अवसर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा और सदस्य सी. श्रीकुमार ने वित्त मंत्रालय एवं डीओपीटी के अधिकारियों के समक्ष पुरानी पेंशन व्यवस्था को दोबारा से लागू करने की मांग की है। एक जनवरी 2004 से सेना को छोड़कर बाकी सभी केंद्रीय विभागों में एनपीएस लागू किया गया था। यहां तक कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भी पुरानी पेंशन व्यवस्था से बाहर कर दिया गया। कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव, रणबीर सिंह ने इस बाबत केंद्र सरकार में कई मंत्रियों को ज्ञापन दिया है। उनका कहना है कि बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और सीआईएसएफ जैसे केंद्रीय सुरक्षा बलों में वेतन भत्तों को लेकर जवान खुश नहीं हैं। सेना के मुकाबले इन बलों के जवानों को कई सुविधाओं से वंचित रखा गया है। भारतीय सेना को तो वन रैंक वन पैंशन भी दे दिया गया, लेकिन अर्धसैनिक बलों को पुरानी पेंशन भी नहीं दी जा रही।
पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों से आए दिन स्पष्टीकरण देने के लिए डीओपीटी के पास पत्र आते हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय तक भी यह मामला पहुंच चुका है। राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने संसद के मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में बताया, 22 दिसंबर 2003 की अधिसूचना के विशिष्ट उपबंधों को ध्यान में रखते हुए रिक्तियों के लिए विज्ञापन की तारीख या उन रिक्तियों के सापेक्ष चयन के लिए परीक्षा की तारीख को पुरानी पेंशन योजना या राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत कवर किए जाने की पात्रता निर्धारित करने के लिए सुसंगत नहीं माना जाता है। ऐसे उम्मीदवार जिनकी भर्ती प्रक्रिया 31 दिसंबर 2003 को या उससे पहले पूरी हो चुकी थी। पूर्व घोषित परिणामों में उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया था। किसी वजह से उनकी ज्वाइनिंग प्रक्रिया एक जनवरी 2004 को या इसके बाद संभव हो सकी है, उन्हें राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत कवर किया जाता है। ऐसे उम्मीदवारों को अब केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमावली, 1972 के अधीन कवर किए जाने का एक विकल्प दिया जा सकता है।
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