Wednesday, December 25, 2024
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सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश छूट एवं आरक्षण का मामला : गढ़वाल विश्वविद्यालय प्रशासन का आरोप, उनके विरूद्व द्वेषपूर्ण माहौल बनाया जा रहा

(एल मोहन लखेड़ा)

देहरादून, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय ने कहा है कि सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश छूट एवं आरक्षण के सम्बन्ध में कतिपय तत्वों द्वारा लगातार भ्रामक व अपुष्ट सूचनाएं प्रसारित कर विश्वविद्यालय प्रशासन के विरूद्व द्वेषपूर्ण माहौल बनाया जा रहा है और यह जताने का प्रयास किया जा रहा है कि प्रवेश सम्बन्धित उक्त समस्याओं के निराकरण हेतु विश्वविद्यालय द्वारा कोई प्रयास नही किये जा रहे हैं। प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में
विवि ने आगे कहा है कि त्रिपूरा आदि पूर्वाेत्तर राज्यों एवं जवाहार लाल नेहरू विश्वविद्यालय का हवाला देते हुए छात्र आन्दोलनों के बीच कई गलत सूचनाएं आग में घी डालने जैसा काम कर रही है। गलत सूचनाओं के आदान-प्रदान से छात्र भ्रमित हो रहे हैं जिससे आन्दोलित छात्र-छात्राओं के आन्दोलन को समाप्त करने के लिए कोई सकारात्मक निर्णय निकलकर नहीं आ रहा है।
विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लगातार आन्दोलन कर रहे छात्र-छात्राओं के मध्य उक्त विषयों पर स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है एवं इसी क्रम में छात्र प्रतिनिधियों के साथ 30 अगस्त को वार्ता की गई थी। वार्ता में छात्र प्रतिनिधियों द्वारा जेएनयू में उत्तराखण्ड के पर्वतीय जिलों के छात्र-छात्राओं को 3 प्रतिशत छूट मिलने की बात कही गई। साथ ही त्रिपुरा विश्वविद्यालय में बिना सीयूईटी के प्रवेश मिलने की बात कहकर इसी आधार पर हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने जो मुद्दे रखे उनपर विश्वविद्यालय ने संज्ञान लिया।
विवि द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि लेकिन सम्बन्धित विश्वविद्यालयों से सम्पर्क करने पर उक्त सूचनाएं पूरी तरह से निराधार पाई गई। त्रिपुरा विश्वविद्यालय में जहां सीयूईटी के आधार पर ही प्रवेश दिये जाने की सूचना प्राप्त हुई है। वहीं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में मात्र जम्मू कश्मीर राज्य के छात्र-छात्राओं के लिए प्रत्येक विभाग में स्नातक में 5 प्रतिशत तथा स्नातकोत्तर में 3 प्रतिशत सीटों को आरक्षित होने की जानकारी प्राप्त हुई है।
कहा गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन स्पष्ट करना चाहता है कि इस केंद्रीय विश्वविद्यालय में सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश संपूर्ण देश के लिए यूजीसी एवं शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के स्तर पर निर्धारित प्रवेश व्यवस्था है एवं प्रवेश में आरक्षण भी केंद्र स्तर पर पूर्व निर्धारित मानकों के अनुरूप देय है। तथापि सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश में आ रही दिक्कतों, प्रवेश परीक्षा से वंचित रह गये प्रवेशार्थियों एवं छात्रों की मांग व जनभावना के अनुरूप विश्वविद्यालय द्वारा यूजीसी व केंद्र सरकार से छूट हेतु निरन्तर अनथक प्रयास जारी हैं। इसी क्रम में विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रयासों से यूजीसी द्वारा उक्त विषय पर एक बैठक आयोजित की गयी है साथ ही इन विषयों पर विश्वविद्यालय विद्या परिषद् तथा कार्य परिषद् की बैठक भी प्रस्तावित है। तद्नुसार विश्वविद्यालय प्रशासन प्रवेश सम्बन्धी उक्त समस्याओं के प्रति पूर्ण संवेदनशील है एवं पूर्ण गम्भीरता से इनके निदान हेतु निरन्तर प्रयासरत है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने विभिन्न माध्यमों के जरिए आन्दोलनरत विद्यार्थियों एवं आम जनमानस से अपील की है कि उत्तराखण्ड के इस एकमात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय की सुचारू शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन में योगदान प्रदान करें।

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