Friday, November 15, 2024
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मानवीय संवेदनाओं के मर्मस्पर्शी प्रकृटीकरण पर भट्ट जी खरे उतरते हैं : सोमवारी लाल उनियाल ‘प्रदीप‘

-कविता संग्रह ‘मैं देख रहा हूँ‘ का हुआ लोकार्पण
-‘कमल‘ की कविताओं में सामाजिक संवेदनशीलता हुई मुखरित

देहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से शनिवार को कवि हर्ष मणि भट्ट ‘कमल’ के कविता संग्रह ‘मैं देख रहा हूँ‘ का लोकार्पण और उसके बाद उस पर चर्चा का एक कार्यक्रम किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि, साहित्यकार व पत्रकार सोमवारी लाल उनियाल ‘प्रदीप‘ ने की और उत्राखण्ड भाषा संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. मुनिराम सकलानी, जनकवि डॉ. अतुल शर्मा और कवि व साहित्यकार राजेन्द्र ‘निर्मल‘ इस कार्यक्रम के अतिथि वक्ता थे। कार्यक्रम का संचालन युवा कवि व पत्रकार वीरेन्द्र डंगवाल ‘पार्थ‘ ने किया। वक्ताओं ने हर्ष मणि भट्ट ‘कमल’ के कविता संग्रह के कविताओं और उसके विविध पक्षों पर प्रकाश डालते हुए उस पर बातचीत की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सोमवारी लाल उनियाल ‘प्रदीप‘ ने कहा कि एक मध्यम वर्गीय आदमी के अनुभूत सत्य को खूबसूरती के साथ कवि ने यथार्थता के साथ सरल शब्दों में कविताएं पेश की हैं। मानवीय संवेदनाओं के मर्मस्पर्शी प्रकृटीकरण पर भट्ट जी खरे उतरते हैं। आज के मूल्यहीन माहौल में जब शोषण, भ्रष्टाचार और एकाधिकार की आसुरी प्रवृत्तियां प्रबल हैं ऐसे में कवि कर्म अत्यंत कठिन चुनौती भरा मार्ग है, और कमल ने अपनी धारदार लेखनी चलायी है।
जनकवि डॉ. अतुल शर्मा ने कहा कि इन कविताओं में सामाजिक संदर्भ और संवेदनशीलता दृष्टव्य है। सच कहने की क्षमता और साहस इन कविताओं में नजर आती है। भाषा में सरलता व मौलिकता है। कविता क्रांति हो या परिस्थिति और पोस्ट कार्ड इन सभी मंे समकालीन जीवन दृष्टि मुखरित है।
डॉ.मुनिराम सकलानी ने कविता संग्रह में निहित कविताओं को रचनाधर्मिता और सर्जनशीलता के बहुआयामी धरातल को छूने वाली बताया। कहा कि इनकी कविताओं में सुकोमल हृदय की प्यास और कहीं -कहीं वेदना के स्वर भी उभरे हैं। इन्होंने प्राकृतिक बिम्बों की मनमोहक सृष्टि कर कविताओं को कलात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है।
राजेंद्र निर्मल ने कवि का परिचय और उनकी काव्ययात्रा पर चर्चा करते हुए बताया कि उनके दो काव्य संग्रह कुरेडी का बीच एवं अमर पथ वर्ष 1978 व 1987 में प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ भट्ट के शोध प्रबंध का विषय छायावाद के संदर्भ में कवि चंद्रकुंवर बर्तवाल के काव्य का मूल्यांकन है। कवि विगत 50 वर्षों से अधिक समय से साहित्यिक कार्य में सक्रिय हैं। उनकी कविताएं मौलिक, संवेदनशील व अनुभूतियों से ओतप्रोत हैं।
डॉ. हर्षमणि भट्ट ‘कमल‘ ने अपने संग्रह पर बात रखते हुए कहा कि पर्वतीय जन जाग उठा कविता ने अपनी पचास वर्ष की काव्ययात्रा पूरी कर ली है। जबकि पावस मास इसी स्वतंत्रता दिवस पर अपनी 50 वर्षीय यात्रा पूरी करने जा रही है। सुधी पाठक कविता का जो मूल्यांकन करेंगे वही कविता का सही मूल्यांकन होगा।
समारोह का संचालन करते हुए कवि व गीतकार वीरेन्द्र डंगवाल ‘पार्थ‘ ने कहा कि डॉ हर्षमणी भट्ट के काव्य संग्रह में आधी सदी के समय की यात्रा निहित है। कवि के जीवन अनुभव से उपजी एक-एक रचना पाठक की अपनी कविता है। यह काव्य संग्रह विशुद्ध रूप से साहित्यिक है जिसे पाठक अपना स्नेह देंगे।
उल्लेखनीय है कि इस काव्य संग्रह में डॉ. हर्षमणि भट्ट ‘कमल‘ की विभिन्न पृष्ठभूमि एवं संदर्भ की 57 कविताएं समाहित हैं। पहली कविता बच्चा में मां और बच्चे की ममता, दशा एवं दिशा का मार्मिक एवं हृदयस्पर्शी चित्र प्रस्तुत हुआ है। बच्चे को मेरे देश का देवता और बच्चे के घर को मेरे देश का मंदिर बताया गया है। प्रमुख तौर पर महंगाई, बरबादी, मैं देख रहा हूं, अध्यात्म और विज्ञान, परिस्थिति, नेक सलाह, पोस्टकार्ड, महामूर्ख बन गया हूं, श्रद्धा सुमन सर्वेश्वर जी को, एक टुकड़ा जिंदगी, भाव भूमि, शब्दों का स्वभाव, राजनीति, भाषा जनजन की आशा, संत रोजी की आत्मकथा, पावस मास, सूना प्रदेश और पर्वतीय जन जाग उठा है महत्वपूर्ण हैं।
कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार केशव दत्त चंदोला, निशा रस्तोगी, प्रेम पंचोली , पी. एस. नेगी, दर्द गढ़वाली, पुष्पलता ममगाईं, विनोद सकलानी, डॉ. मनोज, शांति प्रकाश जिज्ञासु,सुरेन्द्र सिंह सजवान व सुंदर सिंह बिष्ट सहित शहर के अनेक रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक ,पत्रकार, साहित्यकार सहित दून पुस्तकालय के युवा पाठक उपस्थित रहे।

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