Saturday, May 4, 2024
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उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन के बैनर तले 17 अप्रैल से निकाली जायेगी “सीमांत बचाओ” यात्रा

पिथौरागढ़, उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन के बैनर तले मुनस्यारी तथा धारचूला में “सीमांत बचाओ” यात्रा 17 अप्रैल से निकाली जाएगी। मुनस्यारी तथा धारचूला को इनर लाइन की परिधि में पुनः लाने तथा भूमि की खरीद फरोख्त पर रोक लगाने की मांग के इर्दगिर्द यात्रा चलेगी। यात्रा के लिए नौलड़ा से गाला तक की दूरी तय की गई है। 243 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह सीमांत क्षेत्र की पहली यात्रा है।
मुनस्यारी तथा धारचूला तहसील में एनजीओ तथा रिजोर्ट, होम स्टे,खेती के नाम पर पांच सालों के भीतर बाहरी लोगों की आवाजाही बढ़ गई है। जनजाति तथा अनुसूचित जाति समुदाय की भूमि पर ग़ैर क़ानूनी कब्जा किया जा रहा है। नियम विरुद्ध लीज किए जा रहे है। जिनका राजस्व विभाग में कोई भी लेखा जोखा नहीं है।
चीन तथा नेपाल सीमा क्षेत्र में बसे मुनस्यारी तथा धारचूला में बाहरी लोगों की बढ़ती आवाजाही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी ख़तरा बन सकता है। इस आशंका से चिंतित उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने मुनस्यारी के नौलड़ा से धारचूला के गाला तक “सीमांत बचाओ” यात्रा निकालने की घोषणा की।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष तथा सीमांत क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने आज इस यात्रा का ऐलान किया।
उन्होंने कहा कि सीमांत की आजीविका, संस्कृति एवं समाज के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह यात्रा ऐतिहासिक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जमीन को लीज में लेकर खेती की ठेकेदारी के द्वार खोलना उत्तराखंड सरकार की सबसे बड़ी भूल है।
उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं जनजाति समुदाय की जमीनों को नियम विरुद्ध लीज तथा स्टाम्प पेपर पर इकरार नामा बनाकर बाहरी लोगों द्वारा ख़रीदा जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग की भाषा में रह स्टाम्प ड्यूटी में चोरी है। इस पर दोनों पक्षों पर मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि इस यात्रा के माध्यम से हम अनुसूचित जाति एवं जनजाति के अलावा सीमांत क्षेत्र में रहने वाली पिछड़ी जातियों की जमीन को सुरक्षित रखने के लिए नौलडा तथा जौलजीबी से पुनः इनर लाइन को लागू करने की मांग करेंगे।
इनर लाइन लागू होने के बाद अनुसूचित जाति एवं जनजाति के साथ ही शेष समुदाय की भूमि की खरीद भी प्रतिबंधित हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस यात्रा में उत्तराखंड में एक सख़्त भू- कानून की मांग को भी उठाया जाएगा।
इनर लाइन को पहले एक साज़िश के तहत हटाया गया था, उसके बाद सीमांत क्षेत्र में हुई घुसपैठ की जांच कर बाहरी लोगों को चिन्हित कर सीमांत क्षेत्र से बाहर निकालने की मांग उठायेंगे।
उन्होंने कहा उत्तराखंड में कौसानी, चौकोड़ी, बिनसर, भीमताल, नैनीताल, मसूरी सहित चार धाम यात्रा क्षेत्र अब स्थानीय लोगों का नहीं रहा। इन क्षेत्रों में भारी घुसपैठ ने मूल निवासियों को नौकर तथा घुसपैठियों को मालिक बना दिया है। अब इनकी नजर तेजी से आदि कैलाश पर्वत तथा साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में उभर रहे मुनस्यारी तथा धारचूला पर है।
उन्होंने कहा कि यात्रा का मक़सद स्थानीय लोगों को जागरूक करना भी है।
इसके लिए साहित्य भी वितरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस यात्रा की सफलता के लिए राजनैतिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से भी सहयोग लिया जाएगा।

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