‘समाज में क्रियाशील संस्थाओं की बैठक, उत्तराखंड़ की पर्वतीय भाषा बोली के विकास के लिए कारगर कदम उठाने की जरूरत’
देहरादून, उत्तराखंड की पर्वतीय भाषा बोली की दशा और दिशा को लेकर समाज में क्रियाशील संगठनों/संस्थाओं की बैठक सर्वे चौक स्थित न्यू दून स्पाइस रेस्टोरेंट में संपन्न हुई । बैठक में उत्तराखंड की पर्वतीय भाषा बोली के विकास के लिए कारगर कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया गया । बैठक में प्रतिभाग करते हुए उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, गैरसैंण राजधानी अभियान कर्मी मनोज ध्यानी ने कहा उत्तराखंड की अवाम जो पलायन कर तराई आदि में बस चुकी है जब तक अपनी मूल भाषा बोली को दैनिक व्यवहार में नहीं उतारती है,
तब तक भाषा-बोली के विकास की बात एक कोरी कल्पना मात्र बनी रहेगी | मनोज ध्यानी ने सुझाव दिया कि क्षेत्रीय भाषा-बोली के विकास के लिए इसके प्रति प्राकृतिक रूप में आकर्षण पैदा किया जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि सरकार के ऊपर निर्भर रहने से बेहतर है कि भाषा-बोली को समाजिक व्यवहार की दिनचर्या बनाई जाए। आधुनिक विज्ञान से लेकर गणित व अर्थशास्त्र तक विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषा बोली में विकसित किए जाने चाहिए । उत्तराखंड के वाणिज्य व व्यापार में भी क्षेत्रीय भाषा बोली अहम रूप से प्रयोग में की जानी चाहिए ।
पूर्व सैन्य अधिकारी श्री सतीश सती ने पर्वतीय भाषा बोली के उत्थान को बेहद आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की पर्वतीय भाषा बोली में किया जाने वाला संवाद आत्मीयता का भाव संचारित करती हैं। राज्य मान्यता पत्रकार श्री सोहन सिंह रावत ने कहा कि पर्वतीय भाषा बोली के क्षेत्र में कार्य करने वाले पत्रकार व पत्रकारिता को जिस प्रकार का समर्थन सरकार द्वारा किया जाना चाहिए वह नहीं होता है। उन्होंने पर्वतीय भाषा बोली के विकास के लिए प्रोत्साहन नीति को ठोस बनाने पर बल दिया। प्रख्यात फुटबॉल कोच विरेंद्र सिंह रावत ने पर्वतीय भाषा बोली के विकास के लिए विभिन्न शासनादेश, नियमन विनियमन के प्रकाशन को पर्वतीय भाषा बोली में भी करने का सुझाव दिया।
न्यू दून स्पाइस रेस्टोरेंट के संस्थापक सुभाष रतूड़ी ने कहा कि वह कतर देश से उत्तराखंड में सिर्फ इसलिए आए कि उत्तराखंड की मौलिकता पर कार्य कर सकें। उन्होने बताया कि उन्हे उत्तराखंड के उत्पाद से बनी ‘मंडुवे की चाय’, ‘मंडुवे की काफी’, ‘मंडुवे के मोमो’, ‘मंडुवे की लस्सी’, ‘मंडुवे के बर्गर’ आदि को प्रचलन में लाने के लिए अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ती है। बैठक में आरटीआई लोक सेवा के सचिव श्री किरण किशोर ने पर्वतीय भाषा बोली के लिए लगातार परिचर्चा करने की जरूरत पर बल दिया ।
बैठक में निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड में प्रचलित भाषा बोली के प्रचलन को बढाने के लिए आज की बैठक उपरान्त न्यू दून स्पाइस रेस्टोरेंट में आने वाले उन सभी ग्राहकों को जो कि गढ़वाली, कुमाऊँनी, गुर्खाली, जौनसारी, जौनपुरी, आदि में संवाद करेंगे, उनको पारितोषिक रूप में 5 प्रतिशत छूट प्रदान की जाएगी। व सभी प्रतिभाग करने वाले सदस्य आपस में सारा संवाद क्षेत्रीय भाषा बोली में ही करेंगे। यह भी निर्णय लिया गया कि क्षेत्रीय भाषा बोली के विकास हेतु 36 चारधाम एसोसिएट्स के निर्देशन में व्यापक सृजनात्मक अभियान उत्तराखंड के समाज के बीच छेड़ा जाए। व प्रत्येक माह में अनिवार्य रूप में समीक्षा बैठक संपन्न की जाए। बैठक में निर्णय लिया गया कि न्यू दून स्पाइस रेस्टोरेंट के प्रमुख शेफ श्री दर्शन सिंह पर्वतीय भाषा बोली के अभियान के संचालन का दायित्व भार संभालेंगे। व पूर्व सैन्य अधिकारी श्री सतीश सती इसके कार्यवाहक संचालक होंगे।
बकौल सीईओ 36 चारधाम एसोसिएट्स श्री मनोज ध्यानी ने बताया कि “अपणु खानपान,अपणु भाषा-बोली अभियान” नारे के साथ पर्वतीय भाषा बोली अभियान 36 चारधाम एसोसिएट्स के तत्वावधान में चलाया जाएगा व इसमें विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत संस्थान / संगठनों को जोड़ा जाएगा। न्यू दून स्पाइस रेस्टोरेंट अपणु खानपान विंग की प्रमुख कार्यदायी दायित्व भार संभालेगी।
उन्होने बताया कि “अपणु खानपान,अपणु भाषा-बोली अभियान” बेहद व्यापक अभियान होगा जिसके तहत गढ़-कुमौं-गुर्खा विमर्श, गढ़-कुमौं-गुर्खा जनसंवाद, गढ़-कुमौं-गुर्खा कौथिग, गढ़-कुमौं-गुर्खा परिचर्चा, गढ़-कुमौं-गुर्खा वादविवाद प्रतियोगिता, गढ़-कुमौं-गुर्खा चित्रकला प्रतियोगिताएं व संयुक्त रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि भी व्यापक स्तर पर आयोजित किए जाएंगे। व इसका विस्तारित ब्लू प्रिंट उत्तराखंड राज्य सरकार को भी सहभागिता आमंत्रण हेतुसौंपा जाएगा। “अपणु खानपान,अपणु भाषा-बोली अभियान” का श्रीगणेश 14 जनवरी को पर्वतीय सांस्कृतिक पर्व खिचड़ी संक्रांति (मकर संक्रांति) से प्रारंभ किया जाएगा।
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