हरिद्वार(कुलभूषण)। पतंजलि भारतीय आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान के तत्वाधान में धन्वंतरि त्रयोदशी के उपलक्ष्य में पतंजलि योगपीठ-। स्थित यज्ञशाला में ‘आयुर्वेद फॉर पोषण’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पूज्य स्वामी जी महाराज व पूज्य आचार्य जी महाराज ने महर्षि धन्वंतरि की प्रतिमा का अनावरण कर पुष्प माला अर्पित की तथा समस्त देशवासियों को धन्वंतरि जयंति व दीपावली पर्व की शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
इस अवसर पर पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि महर्षि धन्वंतरि ने आयुर्वेद के रूप में अमृत के समान एक निरापद चिकित्सा पद्धति लोकोपचार हेतु अनुसंधित की जिसका लाभ आज समूची मानवता को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि महर्षि धन्वंतरि के आयुर्वेद रूपी प्रसाद को पाकर सम्पूर्ण मानव जाति धन्य हो गई, इनके दिव्य उपकार के लिए महर्षि धन्वंतरि सदैव पूजनीय हैं। उन्होंने कहा कि सनातनता व नूतनता का समन्वय जब होता है तब जीवन में उत्सव व उत्साह आता है।
पूज्य स्वामी जी ने इटली में चल रहे जी-20 समिट में विद्वानों के विचारों को सुनकर कहा कि यदि हमने नेचर और इन्वायरमेंट के साथ ऐसे ही छेड़छाड़ जारी रखी तो यह मानव जाति के लिए आत्मघाती होगा। सारे विश्व के लिए अपनी कब्र खोदने जैसा होगा। उन्होंने कहा कि वक्त रहते पूरा विश्व योग, यज्ञ, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और इस सनातन संस्कृति की शरण में नहीं आया तो विश्व के लिए यह आत्मघात करने जैसा होगा।
कार्यक्रम में पूज्य आचार्य जी महाराज ने कहा कि आज का दिन धन्वंतरि जयंति का पावन दिन है जिसे पूरा देश धनतेरस के रूप में भी मनाता है। सबको विद्या धन, बुद्धि धन, स्वास्थ्य धन व भौतिक धन की प्राप्ति हो, इसके लिए भगवान् से हमारी प्रार्थना और मंगलकामना। उन्होंने कहा कि धन्वंतरि जयंति के अवसर पर आयुष मंत्रलय की ओर से ‘आयुर्वेद फॉर पोषण’ कार्यक्रम का आयोजन पूरे देश में किया जा रहा है जिसमें पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय पूर्ण मनोयोग से अपनी सहभागिता दर्ज कर रहा है। उन्होंने कहा कि ‘आयुर्वेद फॉर पोषण’ के विषय में इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता डॉ. अनुराग वार्ष्णेय की टीम के पुरुषार्थ से आज ही जनरल ऑफ एक्सपेरिमेंटल फार्मोकोलॉजी में एनिमल मॉडल ऑफ इंफ्लमेशन पर पतंजलि के आयुर्वेदिक दिव्य पेय पर लेख प्रकाशित हुआ है जिसमें सिद्ध हुआ है कि दिव्य पेय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व पोषण के लिए गुणकारी पेय है। आचार्य जी ने यह भी बताया कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने Swinburne University of Technology, Australia के साथ Research Collaboration किया है। पूज्य आचार्य जी ने कहा कि आयुर्वेद को पूरे विश्व में गूंजायमान करने के लिए श्रद्धेय स्वामी जी के नेतृत्व में पतंजलि ने जो कार्य किया है उसे न केवल देश अपितु पूरा विश्व अनुभव करता है।
उन्होंने कहा कि श्रद्धेय स्वामी जी के पुरुषार्थ से स्वदेशी की संकल्पना ही नहीं अपितु स्वदेशी विकल्प द्वारा स्वदेशी का उद्घोष और उसके जन-जन तक जागरण ने इस बार दीपावली में चाइना का दिवाला निकाल दिया है। लगभग पचास हजार करोड़ की भारत की समृद्धि, सम्पत्ति, भारत का धन जो चाइना जाना था, इस बार वह देश में ही रह गया है। उसके बदले हमारे छोटे-छोटे दीप बनाने वाले, कपड़े बनाने वाले व अन्य उत्पाद बनाने वाले भाईयों को इसका लाभ मिला, इसके लिए पूरा देश पूज्य स्वामी जी का ऋणी है।
इस अवसर पर महर्षि धन्वंतरि की वंदना हेतु एक पुस्तिका ‘श्रीधन्वन्तरि-स्तवनम्’ का विमोचन किया गया। पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने आयुर्वेद की विविध प्रस्तुतियाँ चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से कीं जिसमें विजेता प्रतिभागियों को पुरुस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में प्रो. वरखेड़ी, प्रो. ओझा, पूज्या साध्वी देवप्रिया, प्रो. महावीर जी, बहन ऋतम्भरा, भाई राकेश, श्री एन.पी. सिंह, डॉ. अनुराग वार्ष्णेय, स्वामी परमार्थ देव, प्रो. अनिल यादव, बहन आराधना कोल, प्रो. मनोहर लाल आर्य, डॉ. एल.आर. सैनी, बहन साधना तथा पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्यगण उपस्थित रहे।
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