(देवेन्द्र चमोली)
रुद्रप्रयाग, केदारनाथ यात्रा से किस तरह कम समय में करोड़पति बनना है जिला पंचायत रुद्रप्रयाग से सीखा जा सकता है। यहां मेहनतकस घोड़े खच्चरों संचालकों की मेहनत पर जिस तरह डाका डाला जा रहा है वह चौकाने वाला है ।
“माल खाये मदारी, मार खाये बंदर” वाली कहावत जिला पंचायत के कारनामों पर सटीक बैठती है। मेहनत करे कोई , मालामाल बने कोई ओर। बहरहाल मामला उछलने के बाद गद्दी कर पर रोक लगा दी गई है।
जिला पंचायत द्वारा केदारनाथ यात्रा में हो रही लाखों करोडों की वसूली का मामला सामने आया है। बिना टेंडर के इस हैरतअंगेज कारनामे से स्पष्ट होता है कि कुछ लोगों को सीधे फायदा पहुंचाने के लिये ये सब खेल चल रहा है। मामले का तब खुलासा हुआ जब स्थानीय निवासी शिशुपाल रावत ने इस भ्रष्टाचार की शिकायत देश के प्रधानमंत्री से की | उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे शिकायती पत्र के माध्यम से अवगत कराया कि
जिला पंचायत द्वारा घोड़े खच्चरों से गद्दी कर के नाम पर प्रतिदिन 80 रुपये प्रति घोड़ा खच्चर के ले रहे है। जिला पंचायत द्वारा घोड़े खच्चरों के लिये इस वसूली के एवज में महज 200 से 300 रु. लागत का एक कंबल दिया जाता है वो भी सभी घोड़ा खच्चर संचालकों तक नही पहुंच पाता है।
केदारनाथ यात्रा में सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जिला पंचायत द्वारा टेंडर की प्रक्रिया अमल मे लाई जाती है । लेकिन इसबार जिला पंचायत ने बिना टेंडर के ही करोड़ों रुपये का ये काम बिना टेंडर के दे दिया है। बताया जा रहा है कि केदारनाथ सेवा समिति के नाम से रजिस्टर एक संस्था को ये काम सिर्फ सीडीओ के अनुमोदन पर दे दिया गया है
बतादें कि प्रतिदिन केदारनाथ में 5 हजार तक घोड़े खच्चर चलते हैं और 80 रुपये के हिसाब से प्रतिदिन लाखों की वसूली उक्त संस्था द्वारा की जा रही है, गद्दी कर के नाम पर बिना टैंडर डाले जमकर हो रही इस वसूली के पीछे कई सफेदपोशों का फायदा पहुंचाने का मंतब्य दिख रहा है।
वहीं जब इस संदर्भ में अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि समय कम होने की वजह से टेंडर नही हो पाया और सीडीओ के अनुमोदन पर उन्होंने ये काम केदारनाथ सेवा समिति को दे दिया।
मुख्य विकास अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि गद्दी शुल्क संचालन में कुछ अनियमितता आने की शिकायत मिली है। जिसमें जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अग्रिम आदेशों तक इस प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है।
भले ही भ्रष्टाचार के इस मामले में सभी पल्ला झाड़ने की फिराक में जुटे हों, लेकिन गद्दी शुल्क के नाम पर वसूली से ये साफ हो गया कि धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की उमड़ रही भीड़ कुछ लोगों की काली कमाई का जरिया बनी हुई है।
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