देहरादून, उत्तरांचल उत्थान परिषद की ओर से 25वें उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर अलकनंदा इनक्लेव जोगीवाला रिंग रोड में स्थित से्वा निकेतन सभागार में ‘उत्तराखण्ड की वर्तमान दशा, दिशा,जल, जंगल और जमीन जुड़ी समस्याओं का समाधान’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ठाकुर भवानी प्रताप सिंह के द्वारा दीप प्रज्वलित कर विचार गोष्ठी कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। उन्होंने उत्तराखण्ड कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की 70 प्रतिशत बन भूमि एवं मात्र 30 प्रतिशत भूमि आवासीय एवं कृषिगत भूमि है। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में मैदानी क्षेत्रों की तुलना में आवागमन एवं जीवन यापन की समस्याएं अधिक गम्भीर एवं जटिल हैं। उन्होंने सरकार को इन जटिलताओं को दूर करने को अत्यंत आवश्यक बताया।
परिषद के संरक्षक प्रेम बुड़ाकोटी ने उत्तराखण्ड राज्य की मांग के लिए यहां के लोगों के संघर्ष एवं बलिदान की याद करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड विशेषकर सीमांध्र एवं पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के लिए लगातार पलायन बड़ी चिन्ता का विषय है। इस पर सभी लोगों एवं सरकार को गम्भीर चिन्तन-मनन एवं चर्चा कर कारगर नीति बनाने पर विचार करना चाहिए।ज्ञएवं दीप प्रज्वलन के पश्चात सभी अतिथियों का बैज अलंकरण, माल्यार्पण, पुष्प गुच्छ व प्रतीक चिन्ह भेंट एवं शाल ओढ़ाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्युत विभाग के अवकाश प्राप्त अधिशासी निदेशक श्री हिमांशु अवस्थी के द्वारा की गई।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रखर राज्य आन्दोलन कारी एवं समाजसेवी दिगम्बर सिंह नेगी ने अपने संबोधन में पर्वतीय क्षेत्रों के पलायन के कारण लगातार खाली हो रहे गांव पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न होने के बावजूद गांवों में रोजगार सृजन न होना कहीं न कहीं सरकार की जल जंगल एवं जमीन, कृषि एवं अनुसांगिक ब्यवसाय आधारित उद्यम स्थापित करने कारगर नीति का अभाव है। कार्यक्रम में आमंत्रित बतौर विशिष्ट वक्ता डी०ए०वी० (पी०जी०) कालेज देहरादून की प्रवक्ता डा० रश्मि रावत ने अपने सम्बोधन में कहा कि उत्तराखण्ड को हिमालय की गोद में बसा भारतीय ज्ञान, परम्परा एवं अध्यात्मिक शक्ति का केन्द्र है। उन्होंने आधुनिक शिक्षा में बच्चों में नैतिक शिक्षा एवं संस्कारों के नितांत अभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए माता-पिता एवं अभिभावकों को बच्चों को केवल किताबी ज्ञान नहीं बल्कि सृजनात्मक संस्कार दिये जाने को समय की आवश्यकता बताई।
कार्यक्रम में बतौर विशेषज्ञ वक्ता शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर ने उत्तराखण्ड में जगह-जगह मूल निवास 1950 एवं भू-कानून की मांग के आंदोलनों का उल्लेख करते हुए इनके कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में डा० माधव प्रसाद मैठाणी ने हाल ही में जगह-जगह बच्चियों एवं महिलाओं के सिर अष्लील हरकतें एवं लव जिहाद जैसी घटनाओं में वृद्धि को सुनियोजित षड्यंत्र की आशंका ब्यक्त करते हुए सम्पूर्ण समाज को सजग एवं सतर्क होकर इसके खिलाफ मजबूती से अआवाज उठाने व ऐसी बुराइयों का डटकर करने की आवश्यकता बताई।
समाजिक क्षेत्र में विशिष्ट कार्य के लिए 300 से अधिक महिला समूह के माध्यम से स्वरोजगार में योगदान हेतु श्रीमती गौरी तोमर, जैविक उत्पाद श्री अन्न एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य हेतु धाद संस्था के श्री विजय जुयाल तथा सामाज सेवी एवं वयोवृद्ध भूतपूर्व सैनिक आर्नरी कैप्टन उमेद सिंह रावत को अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया।
सभा के अन्त में कार्यक्रम अध्यक्ष हिमांशु बडोनी ने मंचासीन अतिथियों एवं कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का आभार व्यक्त कर उन्हें धन्यवाद दिया गया।
कार्यक्रम में उत्तरांचल उत्थान परिषद के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपाध्यक्ष श्रीमती ऊषा रावत, भारती डिमरी, सरिता सिंह संगठन मंत्री शम्भू प्रसाद पुरोहित, डी.एन.उनियाल, आनन्द सिंह रावत, डी..डी.चौनियाल, नरेश चन्द्र कुलाश्री, सुरेंद्र नौटियाल, शम्भू प्रसाद सती, विजय सिंह बिष्ट, मानवेन्द्र प्रसाद तिवारी, नत्थी सिंह राणा आदि तथा बड़ी संख्या मातृशक्ति एवं अन्य सामाजिक सेवी विचार गोष्ठी में उपस्थित रहे।
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