देहरादून, हजारों पेड़ों की कटाई से जुड़ी मूर्खतापूर्ण योजनाओं को समाप्त करने की अपनी मांग को जारी रखते हुए, देहरादून के लंबे समय से पीड़ित नागरिक एक बार फिर एक साथ आए और एक अनोखे तरीके से दून घाटी के घटते हरित आवरण पर अपनी निराशा व्यक्त की।
सफेद कपड़े पहने लोग देहरादून में विभिन्न परियोजनाओं के लिए काटे गए हजारों पेड़ों और काटे जाने वाले हजारों पेड़ों के लिए शव यात्रा का हिस्सा बनने के लिए परेड ग्राउंड स्थित अशोक स्तंभ पर रविवार की सुबह एकत्र हुए। राजीव गांधी स्टेडियम के पास ‘पेड़ों के कब्रिस्तान’ से मृत पेड़ों की टहनियों की अर्थी, जो घाटी की खोई हुई हरियाली का प्रतीक है, को सभा की महिलाओं ने कंधा दिया। मुंह पर काली पट्टी बांधे मौन लोगों का गमगीन जुलूस परेड ग्राउंड से सचिवालय तक चला।
शव यात्रा के अंत में ज्योत्सना, अजय शर्मा, विजय भट्ट और करण ने सभा को संबोधित किया। मेड बांय बीटीडी के सदस्यों द्वारा एक नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया गया। देहरादून के विभिन्न समूहों के सदस्य और कई आम नागरिक इस शव यात्रा का हिस्सा थे।
इस शव यात्रा के माध्यम से देहरादून के नागरिक प्रशासकों और सत्ता में बैठे लोगों से अपील करते हैं कि वे मौजूदा विकास मॉडल पर ‘पुनर्विचार’ करें। हम सभी एक ही पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं और पेड़ों को बेरहमी से काटकर हम न केवल अपने लिए बल्कि अपने बच्चों के लिए भी ‘अर्थी’ तैयार कर रहे हैं।
‘पेड़ों का कब्रिस्तान’ राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम के पास के इलाके को नाम दिया गया है, जहां सैकड़ों मृत पेड़ खड़े हैं। इन पेड़ों का दो साल पहले सहस्त्रधारा रोड से प्रत्यारोपण किया गया था, लेकिन उनमें से कोई भी जीवित नहीं बचा।
आज के प्रदर्शन में जया, रवि चोपड़ा, जगमोहन मेंहदीरत्ता, राम लाल, अनूप नौटियाल, नितिन मलेथा, कमला पंत, अनीश लाल, विजय भट्ट, पंकज छेत्री हिमांशु अरोरा, करन ज्योत्सना शंशक आदि के साथ बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी युवा और आमजन मौजूद रहे l
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