देहरादून, उत्तराखंड़ त्रिस्तरीय पंचायत संगठन में प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा पंचायती राज मंत्री को पत्र लिखकर क्षेत्र प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव आम जनता से कराए जाने पर तत्काल निर्णय लिए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि आम जनता से चुनाव होने पर खरीद फरोख्त की प्रक्रिया बंद हो जाएगी। इससे पंचायती राज व्यवस्था और मजबूत होगी।
उत्तराखंड़ की पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज अपने कार्यकाल में क्षेत्र प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव आम जनता से कराए जाने की बात कई मर्तबा कह चुके हैं।
राज्य सरकार की ओर से एक प्रस्ताव भी भारत सरकार को दिया गया है। उत्तराखंड के 12 जनपदों में त्रिस्तरीय पंचायत 2025 शुरू होने वाला है। अभी तक क्षेत्र प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव पुरानी पद्धति से होगा या नई पद्धति से इस पर कोई स्पष्टता नहीं दिख रही है।
संगठन के राज्य संयोजक जगत मर्तोलिया ने कहा कि अनुच्छेद 243 (ग) के 5क में जैसा तय करे राज्य सरकार स्पष्ट लिखा हुआ है। इसलिए कुछ राज्यों में ग्राम प्रधान का चुनाव जनता से तथा कुछ राज्यों में वार्ड मेंबर द्वारा किया जाता है।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद के 5ख में जिला पंचायत अध्यक्ष तथा क्षेत्र प्रमुखों के चुनाव की व्यवस्था दी गई है। जिसमें क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत सदस्यों में से चुने जाने की व्यवस्था लागू गई है। उन्होंने कहा कि 5ख में भी 5क की तरह राज्य सरकारों को अधिकार दिए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार को अध्यादेश लाकर अनुच्छेद में बदलाव लाना चाहिए ताकि राज्य सरकार ने राज्य अपनी इच्छानुसार क्षेत्र प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव कर सके। उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था के चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता तथा सुधार लाने के लिए जनता के द्वारा क्षेत्र प्रमुख तथा जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव कराया जाना आवश्यक है।
इस पर मुख्यमंत्री तथा पंचायती राज मंत्री को तत्काल सरकार का पक्ष उत्तराखंड की जनता के सामने रखना चाहिए।
तीन बच्चों का नियम पहले सांसद, विधायकों पर हो लागू
देहरादून, संगठन ने त्रिस्तरीय पंचायत के विभिन्न पदों में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए तीन बच्चों का नियम थोपने पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने कहा कि जब विधायक तथा सांसदों के चुनाव में बच्चों की संख्या की अनिवार्यता नहीं है तो पंचायत चुनाव में इस प्रकार का नियम बनाना लोकतंत्र का मजाक है। उन्होंने कहा कि पहले सांसद तथा विधायकों के लिए अनिवार्य की जाए। उसके बाद पंचायत में लागू किया जाए।
ज्ञात रहे 25 जुलाई 2019 के बाद 3 से अधिक बच्चे वाले चुनाव नहीं लड़ सकते है। इस कानून को काला कानून बताते हुए तत्काल इस पर रोक लगाने की मांग की। इससे एक पंथ की जनसँख्या में भारी बढ़ोत्तरी होने का आशंका है।