नैनीताल, उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में अंतिम मोहलत देते हुए तीन महीने के अंदर लोकायुक्त की नियुक्ति करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने लोकायुक्त कार्यालय में तैनात 17 कर्मचारियों को लोकायुक्त मद से वेतन देने पर भी रोक लगा दी है।
हल्द्वानी गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल को युगलपीठ में सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं किया है। अदालत के आदेश के बावजूद आज तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की गयी है।
दूसरी ओर सरकार से लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अदालत से छह महीने की अतिरिक्त मोहलत मांगी गई जिसे अदालत ने खारिज कर दिया है और तीन महीने के अंदर नियुक्ति करने की निर्देश दिए।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि लोकायुक्त कार्यालय में कुल 26 कर्मचारी तैनात हैं। इनमें से नौ कर्मचारी रेरा में काम कर रहे हैं। शेष 17 कर्मचारियों को लोकायुक्त फंड से वेतन दिया जा रहा है। इसके बाद अदालत में 17 कर्मचारियों के लोकायुक्त फंड से वेतन जारी करने पर भी रोक लगा दी।
अदालत ने कहा कि जब तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की जाती तब तक कर्मचारियों को लोकायुक्त फंड से वेतन न दिया जाए। अदालत ने कर्मचारियों को उनके मूल विभाग या अन्यत्र समायोजित करने के बात कही।
याचिका करता की ओर से वर्ष 2021 में इस मामले को चुनौती देते हुए कहा गया कि सरकार प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर रही है। लोकायुक्त के कार्यालय पर प्रतिवर्ष खर्च दो से तीन करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा है।
सभी जांच एजेंसी सरकार के अधीन हैं और ऐसे में भ्रष्टाचार जैसे मामलों की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है।
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