Friday, November 15, 2024
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पीएनबी समेत 3 बैंकों ने लाखों ग्राहकों को दिया झटका, अब पहले से ज्यादा चुकानी होगी ईएमआई

नई दिल्ली, देश के प्रमुख बैंकों में शुमार आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने लगभग होम लोन समेत सभी तरह के कर्ज को महंगा कर दिया है। इससे तीनों बैंकों के लाखों लोनधारकों को बड़ा झटका लगा है। ग्राहकों को अब लोन की ईएमआई अधिक चुकानी पड़ेगी। इन तीनों बैंकों ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (रूष्टरुक्र) में इजाफा किया है। बैंकों की वेबसाइटों के अनुसार, नई ब्याज दरें एक अगस्त से प्रभावी हो चुकी हैं।

आईसीआईसीआई बैंक :

आईसीआईसीआई बैंक ने सभी टेन्योर के लिए एमसीएलआर में 5 बीपीएस की बढ़ोतरी की है। आईसीआईसीआई बैंक की वेबसाइट के अनुसार एक रात, एक महीने की एमसीएलआर दर 8.35 प्रतिशत से बढ़कर 8.40 प्रतिशत कर दी गई है। आईसीआईसीआई बैंक में तीन महीने, छह महीने की एमसीएलआर क्रमश: 8.45 प्रतिशत और 8.80 प्रतिशत तक बढ़ा दी है। वहीं, एक साल की एमसीएलआर दर को 8.85 प्रतिशत से बढ़ाकर 8.90 प्रतिशत कर दिया है।

बैंक ऑफ इंडिया :

बैंक ऑफ इंडिया ने चुनिंदा अवधि के कर्ज पर रूष्टरुक्र में इजाफा किया है। बैंक ने ओवरनाइट लोन के लिए रूष्टरुक्र को 7.95 फीसदी और एक महीने के लिए 8.15 फीसदी कर दिया है। तीन महीने और छह महीने के लिए रूष्टरुक्र की दर में क्रमश: 8.30 फीसदी औऱ 8.50 फीसदी रख गई है। बैंक ने एक साल से लिए रूष्टरुक्र को 8.70 फीसदी और तीन साल के लिए 8.90 फीसदी तय किया है।

पीएनबी ने किया इतना इजाफा :

पंजाब नेशनल बैंक ने ओवरनाइट रूष्टरुक्र को 8.10 फीसदी कर दिया है. एक महीने के टेन्योर के लिए रूष्टरुक्र को 8.20 फीसदी बैंक ने रखा है। वहीं, तीन, महीने और छह महीने का रूष्टरुक्र अब 8.30 फीसदी और 8.50 फीसदी है। एक साल के लिए रूष्टरुक्र अब 8.60 फीसदी और तीन साल के लिए 8.90 फीसदी है।

क्या है एमसीएलआर…?

अप्रैल 2016 से ऋण के लिए लिए जाने वाले ब्याज की जगह बैंकों में एमसीएलआर का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। जब आप किसी बैंक से कर्ज लेते हैं तो बैंक द्वारा लिए जाने वाले ब्याज की न्यूनतम दर को आधार दर कहा जाता है। आधार दर से कम दर पर बैंक किसी को लोन नहीं दे सकता। इसी आधार दर की जगह पर अब बैंक एमसीएलआर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी गणना धनराशि की सीमांत लागत, आवधिक प्रीमियम, संचालन खर्च और नकदी भंडार अनुपात को बनाए रखने की लागत के आधार पर की जाती है। बाद में इस गणना के आधार पर लोन दिया जाता है। यह आधार दर से सस्ता होता है। इस वजह से होम लोन जैसे लोन्स भी इसके लागू होने के बाद से काफी सस्ते हुए हैं।

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