Saturday, September 21, 2024
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बालश्रम वाले एक-एक बच्चे को गोद लेने का लें संकल्प : रेखा आर्य

बाल आयोग ने एक दिवसीय कार्यशाला से दिया बच्चों के बचाव एवम पुनर्वास पर जोर

देहरादून, उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा शनिवार को बालश्रम एवं बालभिक्षावृति उन्मूलन तथा पुनर्वास पर एक दिवसीय कार्यशाला, आईआरडीटी ऑडिटोरियम, सर्वे चौक में आयोजित की गई। इस मौके पर महिला सशक्तिकरण एवम बाल विकास विभाग की मंत्री रेखा आर्या द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की गई।
इस मौके पर मंत्री ने कहा कि कहीं न कहीं बच्चों को बालश्रम में धकेलने के लिए हम ही जिम्मेदार हैं। हम भी समाज को अच्छा बनाने के लिए एक बालश्रम वाले बच्चे को गोद ले सकते हैं, जो कि एक सही समाधान हैं। हमको संकल्प लेना चाहिए ताकि दूसरे लोग भी इससे प्रेरणा लेंगे। कहा की कुछ संस्थाओं में हमने देखा कि वहां बच्चे तो थे लेकिन राशन नहीं था। बच्चों से जब पूछा तो उन्होंने बताया कि आसपास कोई शादी ब्याह हो तो वो लोग खाना दे जाते है। ऐसी संस्थाओं को हमने बंद करवाया तो ऐसा कोई ना करे। संस्था खोली है तो सही काम करें।
वहीं इससे पहले आयोग की अध्यक्ष डा.गीता खन्ना द्वारा समस्त अधिकारियों, विभागों, गैर सरकारी समाज सेवी संस्थाओं तथा श्रोतागणों का अभिवादन कर कार्यशाला का शुभारंभ किया गया।जिसमें उनके द्वारा बालश्रम, बालभिक्षावृत्ति उन्मूलन तथा पुनर्वास जैसे गम्भीर मुद्दों पर आयोग स्तर से जागरूकता फैलाये जाने तथा प्रदेश स्तर पर सभी विभागों को एकजुट होकर कार्यवाही किये जाने हेतु अनुरोध किया गया। उन्होने बताया कि बालश्रम और भिक्षावृत्ति अब ऑरगनाईजड माफिया क्राईम न होकर अभिभावकों द्वार प्रेरित है और उसका कारण गरीबी और अज्ञानता, निम्न स्तर की जीवन शैली, रोटी, कपडा और मकान से जूझते जीवन से ज्ञान और आचरण का एक अव्यवाहरिक व्यवहार है। उनके द्वारा अभिरक्षण पर पुर्नवास में कमी को एक बहुत बडा कारण बताया गया। बच्चों के बचाव व पुर्नवास के महत्व पर जोर देते हुये परिवार की सही परामर्श व मार्गदर्शन दिये जाने हेतु जोर दिया गया।

कार्यशाला में बतौर विशिष्ट अतिथि पुलिस महानिदेशक, अशोक कुमार ने ऑपरेशन मुक्ति पर वक्तव्य प्रस्तुत किया। उनके द्वारा कहा गया कि प्रदेश में पुलिस विभाग द्वारा भिक्षावृत्ति एंव बालश्रम की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान के तहत नुक्कड नाटक कराये जाएंगे। साथ ही आयोग के सभी गम्भीर मुद्दो पर सहयोग का आश्वासन दिया गया। पुलिस विभाग एसपी लॉ एण्ड ऑडर द्वारा बालश्रम और बाल कल्याण पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया गया।

कार्यक्रम मे बालश्रम एवं बालभिक्षावृत्ति पर यूथ इन्नोवेशन द्वारा नाट्य प्रस्तुति का मंचन किया गया, जिसे सभी उपस्थित अधिकारियों व श्रोतागणों द्वारा बहुत सराहा गया।

कार्यशाला में बालश्रमिकों/भिक्षावृति में लिप्त बच्चों की पहचान व रेड, रेस्क्यू एवं पुनर्वास पर सुरेश उनियाल, राज्स समन्वयक, बचपन बचाओं आन्दोलन व श्रम विभाग द्वारा प्रस्तुतीकरण प्रदान किया गया। शिक्षा विभाग से जगमोहन सोनी, उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा द्वारा प्रस्तुतीकरण दिया गया।
ऑपरेशन मुक्ति द्वारा नीरज सेमवाल, सीओ सिटी, (एंटी हयूमन ट्रैफिकिंग युनिट) द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। गायत्री देवी, रेलवे पुलिस फोर्स द्वारा बालश्रमिकों व भिक्षावृति से रेस्क्यू किये गये बच्चों की रिर्पोट सम्बन्धी जानकारी व चुनौतियाँ से अवगत कराया गया।

ममता रौथाण, विधि अधिकारी, उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा बाल श्रम/भिक्षावृति व अधिनियमों व सरकार द्वारा समय समय पर जारी किये गये नियमों व शासनादेशों की जानकारी प्रदान की गई। डा0 अर्जुन सिंह सेंगर, नोडल अधिकारी, बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा असुरक्षित बच्चों की चिकित्सकीय जांच सम्बन्धी जानकारी पर प्रस्तुतीकरण प्रदान किया गया।
अंजना गुप्ता, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा बालश्रमिकों व भिक्षावृति से रेस्क्यू किये गये बच्चों व उनके परिवार की काउंसलिंग, पुनर्वास व वात्सल्य योजना पर आतिथि तक की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
कार्यशाला मेें एन0जी0ओ0 के अनुभव तथा उनकी चुनौतियों पर परिचर्चा कार्यक्रम में चाईल्डलाईन से दीपिका पंवार, रेलवे चाईल्डलाईन से गिरीश डिमरी, आसरा ट्रस्ट से अमित बलोदी /अशोक बिष्ट, समर्पण सोसाईटी से मानसी मिश्रा तथा मैक संस्था से शमिना सिद्दकी द्वारा बालश्रमिकों व भिक्षावृति से सम्बन्धित बच्चों के रेस्क्यू व पुनर्वास में आने वाली चुनौतियों को सांझा किया गया।
सचिव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के प्रतिनिधि मोहित चौधरी द्वारा सभी विचारों के मन्तव्य से निकले निष्कर्षो पर क्रियान्वयन हेतु समन्वयन प्लान पर विभागीय बैठक में प्रस्ताव को सार्थक करने का प्रस्ताव दिया गया।

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डा. गीता खन्ना की प्रेरणा व सफल नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम का डा. एसके सिंह, अनुसचिव द्वारा सफल आयोजन किया गया।कार्यशाला में आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण, धर्म सिंह सम्मिलित हुये।
आयोग के सदस्य विनोद कपरवाण, अधिवक्ता द्वारा कार्यशाला में आये समस्त अधिकारियों, विभागों, गैर सरकारी समाज सेवी संस्थाओं तथा श्रोतागणों का अभिवादन करते हुये विचारों का सारांश प्रस्तुत कर धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

 

भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् की 29वीं वार्षिक आम सभा हुई आयोजित

‘बैठक की अध्यक्षता पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, केन्द्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने की,

देहरादून, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त परिषद, की 29वीं वार्षिक आम बैठक 20 मई को वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता श्री भूपेंद्र यादव, माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, भारत सरकार ने की, जो कि उक्त सोसायटी के अध्यक्ष भी हैं। माननीय मंत्री का स्वागत श्री अरुण सिंह रावत, महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प. और सदस्य सचिव, भा.वा.अ.शि.प. सोसायटी ने किया। बैठक में श्री सी.पी. गोयल, भा.व.से., वन महानिदेशक और विशेष सचिव तथा उपाध्यक्ष, शासक मंडल; पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारी और भा.वा.अ.शि.प. सोसायटी का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न राज्य सरकारों, शिक्षण संस्थानों, वैज्ञानिक संगठनों के गणमान्य सदस्यों तथा भा.वा.अ.शि.प. के वरिष्ठ अधिकारी एवं वैज्ञानिक उपस्थि रहे।
वार्षिक आम सभा की कार्यसूची के अनुसार, वर्ष 2021-22 के लिए भा.वा.अ.शि.प. की वार्षिक रिपोर्ट, वार्षिक लेखापरीक्षित खाते के साथ प्रस्तुत की गई। वार्षिक रिपोर्ट वर्ष के दौरान वानिकी, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के विभिन्न क्षेत्रों में किए गए अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार गतिविधियों का एक संक्षिप्त विवरण है। साथ ही भा.वा.अ.शि.प. के विभिन्न संस्थानों द्वारा पूर्ण की गई विभिन्न परियोजनाओं पर चर्चा की गई है।
इस अवसर पर, माननीय मंत्री ने राष्ट्रीय वन कीट संग्रह (NFIC) का डिजिटाइज्ड डेटाबेस राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने भा.वा.अ.शि.प. के कुछ महत्वपूर्ण प्रकाशनों और प्रौद्योगिकियों जैसे अपशिष्ट प्लास्टिक का बाइंडिंग एजेंट के रूप में उपयोग करके प्लाइवुड पैनलों के निर्माण की तकनीक और विभिन्न वन वनस्पतियों के तहत मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर आधारित एक रिपोर्ट को भी जारी किया |

 

फिल्म निर्देशक सुश्री शाश्वती तालुकदार की दो डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘वाॅल स्टोरीज’ और ‘माहेश्वता देवी’ का दून पुस्तकालय में किया गया प्रदर्शन

 

देेहरादून, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से लैंसडाउन चौक स्थित पुस्तकालय के सभागार में आज अपराह्न चार बजे सुपरिचित लेखिका और फिल्म निर्देशक सुश्री शाश्वती तालुकदार की दो डाक्यूमेंट्री फिल्म वाॅल स्टोरीज और माहेश्वता देवी का प्रदर्शन किया गया।
वाॅल स्टोरीज फिल्म वस्तुतः पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र स्थित में गढ़वाल अंचल की ऐतिहासिक कला यात्रा का सजीव चित्रण प्रस्तुत करती है। गंगा और यमुना नदियों के मध्य दून घाटी के ऐतिहासिक भवनों की दीवारों पर उकेरी गई विविध भित्ति चित्रों के माध्यम सेे स्थानीय जन समाज के जनजीवन, इतिहास और संस्कृति की आकर्षक गाथा को यह फिल्म बखूबी से प्रदर्शित करती है।एक पर्वतीय महिला के वेश में नूरजहाँ के चित्र से आरम्भ होकर, उर्दू के पहले नाटक इंदर सभा के सत्रहवीं से उन्नीसवीं शताब्दी के अंत तक के ये भित्ति चित्र धर्म और इतिहास से सन्दर्भित कला की निम्न और उच्च की सीमाओं को चुनौती देते हैं। फिल्म वॉल स्टोरीज काल्पनिक वार्तालापों का उपयोग करती है, चित्रों के विषय को जीवंत रूप में मानती है। वॉल स्टोरीज विश्वभर के कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रदर्शित हुई है।स्पेन के प्रतिष्ठित ह्युस्का इंटरनेशनल फिल्म महोत्सवमें इसका प्रीमियर शो हुआ है और रोमानिया के बुखारेस्ट फिल्म कला महोत्सव में इसे ‘क्रिएटिविटी अवार्ड‘ मिल चुका है।
महाश्वेता देवी डॉक्यूमेंट्री फिल्म लेखिका महाश्वेता देवी के जीवन और उनके द्वारा किये गये रचनात्मक कामों के बारे में शानदार तरीके से बताने में समर्थ दिखती है। फिल्म में उथल-पुथल भरे बदलाव की आधी शताब्दी के केंद्र में, महाश्वेता देवी का जीवन काल ब्रिटिश दौर, स्वतंत्रता, और औपनिवेशिक उथल-पुथल के बाद के पचास वर्षों तक फैला हुआ दिखाई देता है। उनके लेखन ने भारतीय साहित्य को एक नया जीवन प्रदान दिया है। साथ ही लेखकों, पत्रकारों और फिल्म निर्माताओं की दो पीढ़ियों को प्रेरित किया है। पिछले दो दशकों से एक प्रसिद्ध लेखिका और अथक कार्यकर्ता के तौर पर उन्होंने भारत के डी-नोटिफाइड जनजातियों – खानाबदोश और आदिवासी समूहों के पक्ष में लड़ाई लड़ी है, जिन्हें ब्रिटिश औपनिवेशिक राज्य द्वारा प्राकृतिक अपराधी करार दिया गया था और आज भी इन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। सही मायने में एक अनौपचारिक शैली में, यह फिल्म इस बात की पड़ताल करती है कि महाश्वेता का दैनिक जीवन और लेखन भारत के मूल निवासियों के अधिकारों के लिए किस हद तक समर्पित रहा था। इस फिल्म में बुधन थियेटर का प्रदर्शन शामिल है।
यह विशेष बात है कि फिल्म निर्देशक व निर्माता, शाश्वती तालुकदार, देहरादून से हैं। उन्होंने टेम्पल यूनिवर्सिटी, फिलाडेल्फिया, यूएसए से फिल्म और वीडियो कला में एमएफए और जामिया मिल्लिया इस्लामिया से मास कम्युनिकेशन में एमए किया है। उन्होंने न्यूयॉर्क शहर, यूएसए में माइकलमूर (1999) के टीवी शो में फिल्म और टेलीविजन के सहायक संपादक के रूप में काम करना शुरू किया था तब से वे यूयॉर्क में केबल विजन और दक्षिण कोरिया में केबीएस।एचबीओ, बीबीसी, लाइफटाइम, सनडांस और के लिए परियोजनाओं पर काम कर चुके हैं। उनकी फिल्में बुसान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव सहित मार्गरेट मीड महोत्सव में प्रदर्शित हो चुकी हैं। उनकी प्रायोगिक फिल्में और वीडियो कला दुनिया भर की दीर्घाओं और संग्रहालयों में नियमित रूप से दिखाई जाती हैं। फिल्म निर्देशक व निर्माता शाश्वती तालुकदार की फिल्मों में पुरस्कार विजेता वृत्तचित्र प्लीज डोंट बीट मी सर ! तथा वाॅल स्टोरीज शामिल हैं।
फिल्म प्रदर्शन से पूर्व निर्देशक शाश्वती तालुकदार ने फिल्म के बारे में जानकारी दी। फिल्म प्रदर्शन के बाद दर्शकों ने उनसे फिल्म के कथानक और उससे जुड़े विविध सवाल-जबाव भी किये। इस अवसर पर देहरादून शहर के कई फिल्म प्रेमी, लेखक और पुस्तकालय के युवा पाठक निकोलस हाॅफलैण्ड, डाॅ. योगेश धस्माना, बिजु नेगी सहित अनेक लोग इन दो महत्वपूर्ण वृत्तचित्र फिल्मों के प्रदर्शन के दौरान उपस्थित रहे।

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