“प्राथमिक विद्यालय कोट तल्ला में आज बच्चे प्रोजेक्टर से पढ़ाई करते है, कंप्यूटर ज्ञान के साथ साथ बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है. शिक्षा व पर्यावरण के प्रति शिक्षक सतेन्द्र भंडारी के समर्पण ने लोगों पर ऐसी छाप छोड़ी कि लोग उन्हे गुरु द्रौण के नाम से भी पुकारने लगे”।
(देवेन्द्र चमोली)
रुद्रप्रयाग- जहां एक ओर दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रो में सरकारी स्कूलो के प्रति लोगों के मोह भंग होने के चलते स्कूलों के बंद होने का सिलसिला जारी है वहीं अपनी निष्ठा समर्पण के बलबूते एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने सरकारी स्कूलों के प्रति मोह भंग होते लोगों में नई उम्मीद जगाई है। यही नहीं शिक्षा के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट कार्य के बलबूते प्रदेश में एक अलग पहचान बनाई है। यही कारण है कि आज लोगं उन्हे गुरु द्रौण के नाम से भी पुकारने लगे है।
हम बात कर रहें हैं अगस्त्यमुनी विकास खण्ड के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय कोट तल्ला में सेवारत शिक्षक सतेन्द्र भंडारी की जिन्होने शिक्षा के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण के छैत्र में अनुकरणीय उदाहरण स्थापित कर जनपद ही नहीं वरन प्रदेश भर में खूब ख्याति बटोरी है। स्कूल व छात्रो के प्रति उनका समर्पण इस कदर है कि वे लोगों के बीच गुरु द्रौण के नाम से भी विख्यात हो गये हैं।
मूल रूप से भटवाड़ी ग्राम निवासी शिक्षक सतेन्द्र भंडारी ने सरकारी विद्यालयों से लोगों के होते मोह भंग को एक चुनौती के रुप में लिया और अपने संसाधनों से ही अपने विद्यालय को एक माडल के रुप में विकसित कर सरकारी स्कूल के प्रति लोगों की धारणा को बदलने के लिये मजबूर किया। आज उनका विद्यालय कोट तल्ला शिक्षा के छैत्र के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण मे एक अनुकरणीय उदाहरण बना है। छोटे से गांव के प्राथमिक विद्यालय में आज भी 20 से अधिक बच्चे अध्ययनरत है।
शिक्षक सतेन्द्र भंडारी ने अपने प्रयासों से विद्यालय कोट तल्ला में न केवल आज प्राईवेट विद्यालयों की तरह वे सारी जरुरी सुविधाएं उपलब्ध कराई बल्कि छात्रों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ते हुये विद्यालय परिसर व आस पास विभिन्न प्रजाति के पौधो का ऐसा मिश्रित बन उगाया है जो पर्यावरण प्रेमियों को कोट तल्ला आने को विवष करता है। प्राथमिक विद्यालय कोट तल्ला में आज बच्चे प्रोजेक्टर से पढ़ाई करते है, कंप्यूटर ज्ञान के साथ साथ बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है. शिक्षा व पर्यावरण के प्रति शिक्षक सतेन्द्र भंडारी के समर्पण ने लोगों पर ऐसी छाप छोड़ी कि आज लोग उन्हें गुरु द्रोण के नाम से पुकारने लगे।
बता दें कि शिक्षक सतेंद्र सिंह भंडारी की तैनाती प्राथमिक विद्यालय कोट तल्ला में वर्ष 2013 में हुई थी. उस समय विद्यालय की स्थिति आपदा के चलते खराब हो गई थी इसलिए उन्होंने गांव के ही पंचायत भवन के एक ही कमरे में पांच कक्षाओं का संचालन किया.बाद में उन्होने अपनी वैतन से स्कूल के नाम 7 नाली जमीन खरीदी. ओर स्कूल पुनर्निमाण की गुहार लगाई विद्यालय व विद्यार्थियों के प्रति उनके समर्पण ने स्कूल की ऐसी तस्वीर बदली है, कि जहां बच्चों के अभाव में कई प्राथमिक विद्यालयों में ताले लटके हैं वे कई बंद होने की कगार पर है वहीं प्राथमिक विद्यालय कोट तल्ला में आस पास गांव के भी बच्चे प्राईवेट स्कूलों की ओर न जाकर शिक्षा ग्रहण के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण का बीड़ा उठाते हुये हैं। वर्तमान में विद्यालय में 20 से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं शिक्षक सतेन्द्र भंडारी व बच्चों के सहयोग से विद्यालय के आस पास लगभग 200 विभिन्न प्रजाति के पौधों का एक मिश्रित बन सबके आकर्षण का केन्द्र बना है। जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है।
Recent Comments