देहरादून, गढ़वाल को कुमाऊं से जोड़ने वाले हरिद्वार-नगीना हाईवे का काम फिर से शुरू हो गया है। छह महीने से काम लगभग बंद पड़ा था। पहले दिसंबर 2022 में हाईवे का काम पूरा होना था लेकिन अब अप्रैल 2023 तक ही काम पूरा होने की बात अफसर कह रहे हैं। 2018 में हरिद्वार-नगीना हाईवे का काम शुरू किया गया था। 827 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में 71 किलोमीटर का हाईवे बनाया जा रहा है।
आधा काम पूरा हो चुका है, लेकिन पिछले छह महीने से बजरी और अन्य सामान न मिलने के कारण काम लगभग बंद था लेकिन अब दो दिन पहले ही चुगान को अनुमति मिल गई है, साथ ही पुल को लेकर आ रही वन विभाग से संबंधित दिक्कतें भी दूर हो गई हैं। अब दोबारा तेजी से काम शुरू हो जाएगा। अगले कुछ दिनों में पुलों का बनाने का काम भी शुरू हो जाएगा।
इस मार्ग पर हरिद्वार-देहरादून की तरह दो एलिफेंट कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, ताकि हाथी पुल के नीचे से निकल सकें। चिड़ियापुर और पीली, रवासन के बाद एलिफेंट कॉरिडोर बनाया जा रहा है। वहीं, हरिद्वार से कुमाऊं जाने के लिए हरिद्वार श्यामपुर और चिडियापुर के पास हाईवे में दिक्कतें अधिक हैं, क्योंकि कई हिस्सों में काम पूरा नहीं हो पाया है। कई जगह एक तरफ हाईवे बना दिया है, लेकिन दूसरी ओर नहीं बनाया है। ऐसे में लोगों को अधिक समय लग रहा है। सामान न मिलने के कारण काम में देरी हुई है, लेकिन अब मार्च से अप्रैल 2023 तक काम पूरा कर लिया जाएगा। एलिफेंट कॉरिडोर का काम शुरू कर दिया गया है।
मुख्य सचिव ने परिवहन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान दिये अधिकारियों को निर्देश
देहरादून, मुख्य सचिव डाॅ. एस.एस. संधु ने शुक्रवार को सचिवालय में परिवहन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि जन सुविधा, परिवहन सेवाओं एवं सड़क सुरक्षा की दृष्टि से आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल कर उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से कुछ बेस्ट प्रैक्टिस को राज्य में शुरू किया जाए। आउटकम बेस्ट अप्रोच पर विशेष ध्यान दिया जाए। परिवहन विभाग एवं परिवहन निगम में जो लोग कार्य कर रहे हैं, उन्हें पर्फोमेंस बेस इन्सेंटिव की व्यवस्था की जाए। अच्छा कार्य करने वालों का मनोबल बढ़ाना जरूरी है। मुख्य सचिव ने कहा कि परिवहन विभाग को राजस्व वृद्धि की ओर भी ध्यान देना होगा। जनता को आॅनलाईन सुविधाएं सुलभता से मिले इस दिशा में अधिक प्रयास किये जाएं।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है। जिन कारणों से सड़क दुर्घटनाएं अधिक हो रही हैं, उन्हें रोकने के लिए विभाग स्तर पर क्या कार्यवाही की जा रही है, इसकी पूरी रूपरेखा बनाई जाए। ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पहले सभी मानकों का भली भांति परीक्षण किया जाए। पर्वतीय क्षेत्रों के हिसाब से भी ड्राइविंग टेस्ट पैरामीटर में कोई व्यवस्था की जाए। कार्यों में बेहतर प्रगति के लिए सिर्फ पिछले एक साल से तुलना न की जाए बल्कि सुधार करने के लिए आदर्श क्या है, इस पर अधिक ध्यान दिया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि परिवहन विभाग द्वारा जन सुविधा के दृष्टिगत जो भी कार्य किये जा रहे हैं, उनकी उच्चाधिकारियों द्वारा नियमित माॅनिटरिंग की जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि चारधाम यात्रा मार्गों में आवश्यकतानुसार कुछ महत्वपूर्ण स्थान चिन्हित किये जाएं, जहां पर वाहन चालकों के लिए सोने, खाने एवं नहाने की उचित व्यवस्थाएं की जा सके। यह सुनिश्चित किया जाए कि श्रद्धालुओं एवं संवारियों की सुरक्षा के दृष्टिगत परिवहन विभाग की ओर से कोई कमी न रहे। वाहन चालकों को भी इसके लिए नियत स्थानों पर समुचित सुविधाएं मिलनी जरूरी हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि वाहनों की फिटनेस पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। जहां पर वाहनों के फिटनेस टेस्ट हो रही है, उन स्थानों पर सी.सी.टी.वी कैमरों की पूरी व्यवस्था हो।
बैठक में सचिव परिवहन अरविन्द सिंह ह्यांकी, एमडी परिवहन निगम रोहित मीणा, अपर सचिव परिवहन नरेन्द्र जोशी, संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह एवं परिवहन विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
पटेलनगर में शुरु हुई कार्तिक मास की प्रभातफेरी
देहरादून, श्री श्याम सुन्दर मन्दिर पटेल नगर की कार्तिक के पवित्र मास की प्रभात फेरी का शुभारंभ समाजसेवी कृष्ण लाल नागपाल ने धर्म ध्वज की पूजा अर्चना कर किया। प्रभात फेरी मंदिर में भजन कीर्तन करने के पश्चात परिक्रमा करते हुए पूर्वी पटेल नगर, राम लीला पार्क, पुरानी चुंगी, गुरु रोड होते हुए मंदिर के प्रधान अवतार चंद मुनियाल के आवास पर पहुंची। मुनियाल परिवार ने आतिशबाजी एवम पुष्प वर्षा कर प्रभात फेरी का स्वागत किया।
भजन गायकों तेजेन्द्र हरजाई, भूपेन्द्र चड्ढा, प्रेम भाटिया, चंद्र मोहन आनन्द, गौरव कोहली, गोविंद मोहन, ओम प्रकाश सूरी, सुरेंद्र बागला, गोपी एवम् दिनेश सूरी ने मैया शेर सवारी चंगी लगदी.., मेरी सुन लो जी पुकार.., भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना.., आदि मधुर भजन सुनाकर भक्तिमय माहौल बना दिया। इस अवसर पर प्रधान अवतार मुनियाल, मनोज सूरी, यशपाल मग्गो, मयंक साहनी, शिखा माता, डाली रानी, शिखा मेंहदीरत्ता, श्यामा बक्शी, शशि कोहली, साधना कपूर, अंजू शर्मा, राधे श्याम भल्ला, आशु भल्ला, सपना अरोड़ा, रेनू कंटूर, राजू नागपाल, विनोद कपूर, ऊषा जोली, अलका अरोड़ा, शीला मेंहदीरत्ता, आनंद मुनियाल, हरविंदर मुनियाल आदि मौजूद रहे। मीडिया प्रभारी भूपेन्द्र चड्ढा ने कहा की प्रतिदिन इसी तरह प्रभात फेरी निकाली जाएगी। जिसका समापन 8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन भव्य शोभा यात्रा के साथ होगा।
नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ, उत्तराखंड में इन जगहों पर रहेगी आस्था के पर्व की धूम
देहरादूध, छठ सूर्योपासना का पर्व है। सारे ब्रह्मांड का चराचर जीव भगवान सूर्य से ऊर्जा पाते हैं। पृथ्वी पर जीवन भगवान भास्कर के कारण ही संभव है। पूर्वांचल ही नहीं अब दूसरे प्रदेशों में भी जहां पूर्वांचल के लोग बसे हैं, वहां पूरे भक्ति भाव से छठ त्योहार मनाते हैं। सौभाग्य, आरोग्य, शांति, खुशहाली, पुत्र प्राप्ति की कामना के साथ छठ व्रती चार दिन तक उपासना में लीन रहते हैं, अस्ताचलगामी और उदीयमान भास्कर देव की उपासना करने वाली महिलाएं नहाय-खाय के साथ अनुष्ठान प्रारंभ करेंगी।
व्रतियों के शुद्ध, सात्विक भोजन में अरवा चावल का भात और लौकी चने की सब्जी की प्रधानता है।
नहाय खाय के अगले दिन शनिवार को लोहंडा यानी खरना का अनुष्ठान होगा।
इस दिन चौबीस घंटे का निराहार रहकर छठ व्रती महिलाएं साठी का चावल और गुड़ की बनी खीर और रोटी प्रसाद रूप में सूर्यदेव को अर्पित करेंगी।
रविवार को गंगा किनारे विभिन्न पकवान और मौसमी फलों के साथ अस्ताचलगामी और सोमवार को उदीयमान भास्कर देव को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महाव्रत का समापन होगा।
हरिद्वार में सभी गंगा घाटों पर होगी छठ पूजा :
हरिद्वार में हरकी पैड़ी, ललतारौ पुल, प्रेम नगर आश्रम समेत सभी घाटों पर छठ पूजा की जाएगी। वहीं पूर्वांचली लोक परंपरा और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित पूर्वांचल उत्थान संस्था की ओर से भी तैयारियां पूरी कर ली गई है।
छठ पूजा आयोजन समिति कनखल के संयोजक आचार्य उद्धव मिश्रा ने बताया कि संस्था की ओर से गंगा घाटों की सफाई की जा रही है। इसके लिए अलग-अलग टीम बनाई गई है,
रुड़की में गंगनहर के लक्ष्मी नारायण घाट सहित सभी घाटों पर छठ पर्व की पूजा होती है। गंगनहर घाट पहुंचकर पूजा के लिए स्थल चिह्नित किए गए हैं। पर्व को लेकर लोग का उत्साह देखते ही बन रहा है। खासकर पूर्वांचल के लोग इस पर्व को लेकर बेहद उत्साहित हैं। पर्व को धूमधाम से मनाए जाने के लिए वह तैयारियों में जुटे हैं।
ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट पर होगी छठ पूजा :
ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट पर छठ पूजा के लिए श्रद्धालुओं ने वेदी स्थल तैयार किए हैं। वहीं, सार्वजनिक छठ पूजन समिति ने भी सामूहिक पूजन के लिए त्रिवेणी घाट पर पूरी व्यवस्था कर ली है।
छठ पूजा पर्व पूर्वांचल मूल के नागरिकों धूमधाम के साथ मनाते हैं। तीर्थनगरी के गंगा तटों पर छठ पूजा के लिए बड़ी संख्या में लोग पूजा तथा व्रत के पारण के लिए पहुंचते हैं।
आगामी चार दिनों में छठ पूजा के कार्यक्रम
शुक्रवार: नहाय-खाय
इस दिन व्रतधारी सुबह स्नान कर लौकी और चावल से बने प्रसाद को ग्रहण करते हैं।
शनिवार: खरना
खरना के दिन उपवास शुरू होता है और परिवार की श्रेष्ठ महिला 12 घंटे का निर्जला उपवास करती हैं। शाम के वक्त छठी माता को बूरा वाली खीर और रोटी से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है। साथ ही मौसम के तमाम फल छठी मां को अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद बूरा वाली खीर और रोटी के प्रसाद से महिलाएं व्रत पारण करती हैं। व्रत को श्रेष्ठ महिला के अलावा अन्य महिलाएं व पुरुष भी कर सकते हैं।
रविवार: संध्या अर्घ्य (पहला अर्घ्य)
खरना का उपवास खोलते ही महिलाएं 36 घंटे के लिए निर्जला उपवास ग्रहण करती हैं। पहले अर्घ्य के दिन बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है। शाम के वक्त व्रतियां नदी किनारे घाट पर एकत्र होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
सोमवार: उषा अर्घ्य (दूसरा अर्घ्य )
इस दिन सूर्य उदय से पहले ही व्रतियां घाट पर एकत्र हो जाती हैं और उगते सूरज को अर्घ्य देकर महिलाएं कच्चे दूध का शरबत पीती हैं और व्रत का पारण करती हैं, ब्रह्मपुरी स्थित राज्य का पहला छठ पार्क भी पूरी तरह से छठ पूजा के लिए तैयार किया गया है। इससे व्रतियों को पूजा करने में काफी सुविधा मिलेगी। इसी के पास छोटी नहर का भी निर्माण किया गया है। इससे श्रद्धालु भगवान सूर्य को जल अर्पित कर सकेंगे। प्रेमनगर स्थित घाट में शुक्रवार को दो जेसीबी से घाटों की सफाई की गई। हरबंशवाला, चंद्रबनी, रायपुर, केशरवाला, मालदेवता, गुल्लरघाटी, गढ़ी कैंट, काठबंगला समेत सभी 18 घाटों में दिनभर साफ-सफाई की गई।
देहरादून जिले के पछवादून में पूर्वांचल समाज ने छठ पर्व मनाने के लिए तैयारी शुरू कर ली है। गौतम ऋषि की तपस्थली कहे जाने वाली गंगभेवा बावड़ी में छठ पूजा का आयोजन होगा। कुछ परिवार घरों में ही पर्व को मनाएंगे।
पूर्वांचल नागरिक परिषद अध्यक्ष एके सिंह ने बताया कि छठ मईया को सूर्य की बहन माना जाता है, लिहाजा जीवन के महत्वपूर्ण घटक ऊर्जा व जल की महत्ता को मानते हुए सूर्य की अराधना नदी, तालाब, पोखर के किनारे की जाती है, जिसमें षष्ठी के दिन सायंकाल को सूर्य की पहली पत्नी प्रत्यूषा की पूजा करने का विधान है। जबकि सप्तमी के दिन प्रात: उषा की अराधना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि छठ माता अपने जातकों को संतान सुख और पति की लंबी आयु का वरदान देती हैं।
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