Wednesday, November 27, 2024
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भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद में सीएमपीडीआई के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ शुरू

देहरादून, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून में सेंट्रल माईन पलानिंग एंड डिजाइन इन्स्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) के अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया, पांच दिवसीय इस कार्यक्रम को सेंट्रल माईन पलानिंग एंड डिजाइन इन्स्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) राॅंची, जो कोल इण्डिया लिमिटेड का एक सहायक संस्थान है आयोजित कर रहा है,  जिसमें अधिकारियों के लिए पारिस्थितिकी एवं जैवविविधता से संबंधित प्रशिक्षण कायर्क्रम भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून में सोमवार  से शुरू हो गया है। यह  प्रशिक्षण कायर्क्रम का आयोजन पयार्वरण प्रबंधन प्रभाग, विस्तार निदेशालय, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून द्वारा किया जा रहा है।
      प्रशिक्षण कायर्क्रम का उद्घाटन श्री अरूण सिंह रावत, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा किया गया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में पारिस्थितिकी एवं जैवविविधता की महत्ता एवं प्रशिक्षण से संबंधित अन्य विषयों पर प्रकाश डाला। उद्घाटन समारोह में परिषद के उपमहानिदेशक, सहायक महानिदेशक और वैज्ञानिकों ने सी एम पीडीआई, राॅंची के प्रशिक्षु अधिकारियों के साथ भाग लिया। उद्घाटन सत्र में उपमहानिदेशक (विस्तार) ने भी पारिस्थितिकी एवं जैवविविधता का खनन के संदभर्में वैज्ञानिक अध्ययन की उपयोगिता व वैज्ञानिक तरीकों से पारिस्थितिकी बहाली के तरीकों पर प्रकाश डाला।
उद्घाटन सत्र के बाद, कोयला खदान पयार्वरण पर पारिस्थितिकी और जैवविविधता के विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए तकनीकी सत्र आयोजित किये गये। साथ ही आगामी दिनों में निधार्रित तकनीकी सत्रों में वनस्पतियों और जीवों के पारिस्थितिक अध्ययन, जैवविविधता और इसके संरक्षण और प्रबंधन से संबंधित नियमों और विनियमों, पयार्वरणीय प्रभाव मूल्यांकन और वन भूमि का गैर कायोर्ं हेतु मंजूरी प्रक्रियाओं, खनन किए गए क्षेत्रों की पारिस्थितिक बहाली, मिट्टी के जीवाणुओं की पयार्वरण सुधार में भूमिका, वृक्षारोपण में काबर्न स्टाॅक अनुमान, पारिस्थितिकी और जैवविविधता अध्ययन मे ंरिमोटसेंसिंग-जी आई एस उपयोग, पयार्वरण लागत-लाभ विश्लेषण और अन्य संबंधित पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा। तकनीकी सत्र के अलावा, प्रशिक्षण से संबंधित वन क्षेत्रों व पारिस्थितिक बहाली के लिये किये गए कायर्स्थलों का दौरा तथा संबंधित जानकारी को भी शामिल किया जाएगा।
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