नई दिल्ली, मेक इन इंडिया और संकल्प से सिद्धि का जीता जागता परिणाम है आईएनएस विक्रांत जिसे 2 सितंबर को भारतीय नौसेना को सौंपा गया। वहीं उसके ठीक एक दिन बाद ही ब्रिटेन को पीछे छोड़ भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है। ये उपलब्धि ऐसे दौर में हासिल हुई है, जब दुनिया आर्थिक मोर्चे पर दबाव में है। सरकार के आर्थिक फैसले कारगर रहे हैं। जिसका लाभ आगे भी नजर आएगा। इंडियन इकोनॉमी कोरोना के साए से पूरी तरह उबरती दिख रही है। दुनिया में अब केवल 4 इकोनॉमी भारत से आगे है। करीब एक दशक पहले तक भारत अर्थव्यवस्था के लिहाज से नंबर 11 पर था। जबकि ब्रिटेन नंबर 5 पर था। भारत द्वारा यूनाइटेड किंगडम को दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में पछाड़ने के बाद विशेषज्ञों का दावा है कि 2030 तक भारत विश्व स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी ने कहा कि भारत बिजली के पैमाने पर बढ़ रहा है और 2028 – 2030 तक मेरे पहले के पूर्वानुमान के अनुसार, हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। हमारी विदेश नीति को प्रभावित करेगी और हम विभिन्न देशों के साथ कैसे व्यवहार करेंगे और यह भारत की धारणा को प्रभावित करेगा। विरमानी ने कहा कि पिछले 20-30 वर्षों में, लोगों ने देखना शुरू कर दिया है कि हम चीन से बहुत पीछे हैं। उम्मीद है कि यह धारणा को बदलना शुरू कर देगा। यह दूसरी बार है जब भारत ने 2019 में पहली बार अर्थव्यवस्था के मामले में यूके को पीछे छोड़ा है।
आरआईएस के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि “यह पहली बार नहीं हुआ है, यह दूसरी बार है, वास्तव में, पहले 2019 में ऐसा हुआ था। हम पूंजीगत व्यय पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम राजस्व व्यय को कम करने के प्रयास कर रहे हैं और मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण की आरबीआई की रणनीति ने भी अर्थव्यवस्था की मदद की है। बहुत संतुलित तरीके से विकास करें और इसने परिणाम भी दिए (साभार प्रभासाक्षी)।
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