“स्टूडियो यूके 13 की टीम द्वारा सीमांत क्षेत्र भोटिया भाषा की लोक कथा पर बनाई गई लघु फिल्म ‘पाताल ती’ का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरना समस्त उत्तराखंड वासियों के लिए गौरवपूर्ण क्षण है”।
(देवेन्द्र चमोली)
रुद्रप्रयाग-उत्तराखंड के सुदूरवर्ती पर्वतीय जीवन दर्शन पर बनी लघु फिल्म पाताल ती (Holy water) का चयन दुनिया के दूसरे सबसे पुराने फिल्म फेस्टिवल के लिये हुआ है। भारत की ओर से इस फिल्म फेस्टिवल के लिये एक मात्र लघु फिल्म पाताल ती के चयन से फिल्म निर्माता ही नहीं बल्कि जनता में भी फिल्म की सफता को लेकर भारी उत्साह है। इससे पूर्व भी इस ने फिल्म ने बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी खूब धूम मचाई है।
जनपद रुद्रप्रयाग के युवाओं के प्रयास से सुदूरवर्ती पर्वतीय जीवन दर्शन पर बनाई गई लघु फिल्म ‘पताल ती’ दुनिया के प्रतिष्ठित मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए चयन हुआ है।
फिल्म निर्माताओं ने बताया कि मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 26 अगस्त से 2 सितंबर के बीच होने जा रहा है।
बता दें कि इससे पूर्व यह फिल्म बुसान इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल (Busan International Short Film Festival) के लिए चुनी गई थी। जहां फिल्म को खूब सराहा गया व फिल्म काम्पटीशन मे चौथा स्थान प्राप्त करने में सफल रही। अब बुसान की सफलता के बाद यह फिल्म इटली के डेल्ला लेसिनिया फिल्म फेस्टिवल के लिए चुनी गई है, जो 19 से 28 अगस्त तक इटली के वेरोना शहर में होगा। उसके बाद यह फिल्म मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 30 अगस्त 2022 को दिखाई जाएगी। फिल्म निर्माताओं ने बताया कि 44वें मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के कॉम्पिटिशन में इस वर्ष फीचर फिल्मों, डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्मों के लिए 40 फिल्मों का चयन हुआ है, जिसमें 12 फीचर फिल्म, 10 डॉक्यूमेंट्री फिल्म और 18 शॉर्ट फिल्मों को चुना गया है. इस वर्ष इस कॉम्पिटिशन में भारत से एक मात्र शॉर्ट फिल्म पताल-ती का चयन हुआ है।
रुद्रप्रयाग जनपदवासी फिल्म के निर्माता-निर्देशक संतोष रावत सिनोमेटोग्राफर बिट्टू रावत, एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेन्द्र रौतेला और उनके बेटे कैमरामैन दिव्यांशु रौतेला की अथक मेहनत से ये उत्तराखंड ही नही देश के लिये ये गौरवपूर्ण क्षण मिला है । फिल्म की सफलता के लिये जनपद रुद्रप्रयाग सहित उत्तराखंड वासी प्रार्थना कर रहे है।
फिल्म को लेकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खिया बटोर रहे रुद्रप्रयाग के युवा फिल्म निर्माताओं ने बताया कि वर्ल्ड प्रीमियर और इटालियन प्रीमियर के बाद इस वर्ष इस कम्पिटीशन में भारत से एक मात्र हमारी फिल्म पताळ-ती का चयन हुआ है।
बता दें कि स्टूडियो यूके 13 की टीम द्वारा सीमांत जनजातीय क्षेत्र भोटिया भाषा की लोक कथा पर यह फिल्म बनाई गई है।
फिल्म के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर व रंग कर्मी शिक्षक गजेंद्र रौतेला बताते हैं कि फिल्म की कथा पहाड़ के जीवन दर्शन को दर्शाती है. अपने अंतिम समय पर दादा द्वारा पोते से कुछ ख्वाहिश रखना और पोते द्वारा उसे पूरा करने की कोशिश और प्रकृति के साथ सहजीवन और संघर्ष इसे और भी मानवीय और संवेदनशील बना देता है।
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