(प्रेम पंचोली)
.देहरादून, उत्तराखण्ड में आपदा का आना आम बात हो गई है। इसके बचाव के और मजबूत प्रबन्धन हो इस हेतु सचिवालय परिसर में तकनीकी से जुड़ी संस्थानों के महत्वपूर्ण अधिकारियों ने बैठक की है। इसलिए कि आपदा प्रबन्धन में जी.आई.एस. और जी.पी.एस. काफी मददगार हो सकती है। ताकि आपदा स्थल पर बहुत कम समय में अधिक मदद पहुंचायी जा सके।
बता दें कि आपदा क्षमता विकास के अंतर्गत प्रबंधन तंत्र को अधिक प्रभावी बनाने के प्रयास हो रहे है। इसके लिए साफ्वेयर पर आधारित उच्च तकनीकी का प्रयोग किया जाएगा। आई.आर.एस., इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम को अधिक मजबूत बनाया जाएगा। इस हेतु सचिवालय स्थित डी.एम.एम.सी सभागार में विभिन्न् स्टेक होल्डर से सुझाव लिए गये है और उच्च तकनीक पर आधारित मॉडल का प्रस्तुतिकरण भी हुआ है।
बताया गया कि आपदा के समय प्रभावितों को मदद देर से मिल पाती है। उच्च तकनीक के मदद से रिस्पांस समय को बहुत कम किया जा सकता है। इसमें जी.आई.एस. और जी.पी.एस. के मदद से आपदा स्थल पर बहुत कम समय में अधिक मदद पहुंचायी जा सकती है। यदि किसी स्थान पर भूस्खलन, बाढ़ की स्थिति आती है ऐसे वक्त जल्द से जल्द इसकी जानकारी हाईटेक सिस्टम पर दिखाई देने लगेगी। इसके लिए मोबाइल एप का भी सहारा लिया जाएगा।
बैठक में वाडिया इंस्टीट्यूट, दूरसंचार विभाग, एन.आई.सी ने अपने अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं। जबकि सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा, अपर सचिव डॉ आनन्द श्रीवास्तव, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी जितेन्द्र सोनकर, आपदा प्रबन्धन के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला उपस्थित रहे।
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