देहरादून, उत्तराखंड के चमोली जिले के हेलंग घाटी में ग्रामीण महिलाओं से घास छीनने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है, सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर मौजूद अधिकारियों की निंदा की जा रही है |
मामले पर राजनीति भी गरमाने लगी, इसी को लेकर अब वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मामले की जांच जिलाधिकारी से कराए जाने की बात कहते हुए उक्त महिलाओं को ही गलत ठहरा दिया है |
जल, जंगल और जमीन में हक हकूक के दावों और हरेला पर्व पर आम लोगों की सहभागिता बढ़ाने की कोशिशों के बीच चमोली जिले का एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें कई सवाल खड़े कर दिए हैं, महिलाओं से सीआईएसएफ और पुलिस जवानों की नोकझोंक का एक वीडियो वायरल हुआ है | मामले के तहत इसके बाद पुलिस कर्मियों ने इन महिलाओं को कई घंटे तक थाने में बैठा कर रखा और फिर 250 रुपए का चालान भी किया. जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया तो कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों समेत आम लोगों ने भी घटना की निंदा करनी शुरू कर दी |
लेकिन उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने एक ऐसा बयान दे दिया जो शायद आम लोगों को नागवार गुजर सकता है. सुबोध उनियाल ने कहा कि जिस भूमि की बात की जा रही है, वह एनटीपीसी के पास है. यहां पर मैदान बनाया जाना प्रस्तावित है. इसका कुछ परिवार विरोध कर रहे हैं और यह पूरा मामला उसी विरोध से जुड़ा हुआ है, खास बात यह है कि जिस तरह से वायरल वीडियो में नोकझोंक हो रही है, उससे लगता है कि महिलाओं के घास लाने को लेकर ही आपत्ति जताई जा रही है. हालांकि, विभागीय मंत्री कुछ और कह रहे हैं. इस मामले को किसी दूसरे नजरिए से देखे जाने की बात भी कह रहे हैं. ऐसे में जिलाधिकारी की जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि आखिर यह पूरा मामला क्या था और क्यों इस पर इतना विवाद हुआ है.
वन मंत्री के बयान से सरकार की किरकिरीः वन मंत्री सुबोध उनियाल एक तरफ मामले की जांच डीएम से कराने की बात कह रहे हैं तो दूसरी तरफ उक्त महिलाओं को विकास विरोधी करार दे दिया. अब अगर महिलाओं को विकास विरोधी ही करार देना था तो डीएम को जांच के आदेश देने का क्या औचित्य है. ये बात ना राजनीतिक और ना सामाजिक संगठनों के गले उतर रही है |
आंदोलनकारियों ने महिलाओं से घास छीनने की घटना पर जताई नाराजगी
देहरादून, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने चमोली जिले में महिलाओं से घास छीने जाने का की घटना को लेकर नाराजगी जाहिर की है। घास छीनने का वीडियो वायरल होने पर रोष व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कर जांच की मांग की गई।
जगमोहन सिंह नेगी व प्रदीप कुकरेती ने कहा कि जिन महिलाओं ने इस पृथक राज्य के लिए अपनी जान तक की बाजी लगाई, उसे अपने ही प्रदेश में गांव में पशु के लिए घास तक मुहया नही हो पाता। जबकि वन मंत्री द्वारा पेड़ों को काटने की खुली छूट की पैरोकारी की जा रही है। जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा कि यदि यह वायरल हो रहा वीडियो सही है तो यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। सीएम को दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्यवाही कर उन्हें दण्ड देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चिपको आंदोलन से लेकर राज्य आंदोलन तक के लिए महिलाओं का संघर्ष हमेशा याद रखा जाएगा। परन्तु एक साजिश के तहत महिलाओं के हक़ को भी खत्म करने की नीतियां बनाई जा रही है और हमारे जनप्रतिनिधि मौन साधे हुए हैं।
पंवाली कांठा माटिया बुगियाल बहुत जल्द जुड़ेगा पर्यटन सर्किट से, अप्रैल और मई में यह स्थान लाल और गुलाबी रोड़ोडेन्ड्रोस से रहता है सदाबहार
(राजेन्द्र चौहान)
टिहरी, यह टिहरी जिले में स्थित सर्वश्रेष्ठ ट्रेक में एक है, यहाँ गढ़वाल हिमालय के उच्च ऊंचाई वाले घास के मैदान (बुग्याल) हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के आकर्षक फूल, जड़ी बूटी बहुतायत में पाई जाती हैं | अप्रैल और मई के महीने में यह स्थान लाल और गुलाबी रोड़ोडेन्ड्रोस (हीथर परिवार की झाड़ी या छोटे पौधे जो घंटी के आकार के फूलों के गुच्छो को और आमतौर पर बड़ी पत्तियों को साथ लिए होते हैं ) से सदाबहार रहता है |
यहाँ से हिमालय पर्वतमाला के मनोरम दर्शनों के साथ-साथ यमुनोत्री-गंगोत्री-केदारनाथ-बदरीनाथ पर्वत शिखरों के दर्शन भी होते हैं | हिमपात के समय बर्फ से ढकी थलय सागर, मेरु, कीर्ति स्तम्भ, चोखंभा, नीलकंठ आदि पहाड़ियों के मनोरम दृश्य को यहाँ से देखा जा सकता है | पर्यटकों के बीच पंवाली काँठा से सूर्यास्त देखने का एक विशेष आकर्षण रहता है |
यह ट्रेक गंगोत्री से केदारनाथ के प्राचीन धार्मिक मार्ग पर पड़ता है | ट्रेकर्स यहाँ बसे दूरस्थ गाँवों से गुजरते हैं जहाँ वे वास्तविक गढ़वाल के जीवन को देख पाते हैं | ट्रेक में जगह-जगह चरवाहे दिखाई देते हैं जो शिवालिक रेंज और हिमालय के बीच निवास करते हैं | बारिश और साफ़ आसमान को देखते हुए शरद ऋतु पंवाली काँठा ट्रेक पर जाने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त समय है | इस समय हिमालय पर्वत और रंगीन जंगली फूलों से सजे हरे घास के बुग्याल जीवंत नजर आते हैं |
यह ट्रेक घुत्तु नामक स्थान से प्रारम्भ करके सोनप्रयाग / त्रियुगी नारायण तक पूरा किया जाता है | त्रियुगी नारायण में स्थित शिव मंदिर का हिन्दू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व है | ऐसा माना जाता हैं कि इसी स्थान पर भगवान विष्णु की उपस्थिति में शिव पार्वती का विवाह हुआ था |
इस ट्रेक को घुत्तु से आगे उत्तरकाशी के लाटा नामक स्थान तक जाने हेतु भी प्रयोग किया जाता है | प्राकृतिक परिदृश्यों एवं अपेक्षाकृत कम ऊंचाई होने के कारण यह एक सुखद ट्रेक साबित होता है | उत्तरी गढ़वाल हिमालय में स्थित पंवाली काँठा के घास के मैदान कई जंगली जानवरों का घर है | भाग्य साथ दे तो आप यहाँ भरल (नीली भेड़) घोर, हिमालयी भालू, दुर्लभ कस्तूरी मृग आदि को देख सकते हैं |
साथ ही क्षेत्र की जिला पंचायत सदस्य सीता रावत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार एवं पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज जी ,पंवाली कांठा माटिया बुगियाल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विभागों के साथ पर्यटन सर्किट से विकसित करने के लिए आंगणन तैयार कर रहे हैं, यह ऐतिहासिक फैसला आने वाले समय में इस क्षेत्र के युवाओं के लिए ही नहीं बल्कि प्रदेश के पर्यटन भविष्य के लिए कारगर सिद्ध होगा |
पूर्व में हुयी खतलिंग महायात्रा में बतौर मुख्यातिथि के रुप में शामिल हुए पर्यटन मंत्री पुज्य संत सतपाल महाराज जी ने आश्वस्त किया था की पंवाली कांठा को पर्यटन से जोड़ने के लिए जो भी उपयोगी कदम होंगे वह अवश्य उठाये जायेंगे, महत्वपूर्ण कार्य करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे पर्यटन विभाग एवं विभिन्न सहयोगी विभागों का अपने क्षेत्र की ओर से धन्यवाद साधुवाद करता है |
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