केंद्र सरकार 1 जुलाई से चार श्रम संहिताओं को लागू कर सकती है। जिनमें वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध, व्यवसाय सुरक्षा, हेल्थ और काम करने की स्थिति शामिल है।
अगर इन श्रम संहिताओं को लागू किया जाता है, तो नया वेतन कोड कर्मचारियों के काम के घंटे, वेतन, पीएफ योगदान, ग्रेच्युटी और अर्जित अवकाश को प्रभावित करेगा। हालांकि ये शुरुआती अटकलें हैं। इसलिए जब तक सरकार आधिकारिक तौर पर नियमों को अधिसूचित नहीं करती है। तब तक कुछ भी ठोस अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए।
फिलहाल 23 राज्यों ने इन कानूनों पर मसौदा नियमों को पूर्व-प्रकाशित किया है। वहीं केंद्र ने फरवरी 2021 में इन संहिताओं पर मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। सरकार ने चार श्रम संहिताओं को अधिसूचित किया था। श्रम एक समवर्ती विषय है। इसलिए केंद्र चाहता है कि प्रदेश इसे भी एक बार में लागू करें।
सैलरी होगी कम
वेतन कोड 2019 पर सरकार टेक-होम सैलरी को कम कर सकती है, जबकि पीएफ और ग्रेच्युटी में वृद्धि हो सकती है। यह इस आधार पर है कि नए वेतन कोड में कर्मचारी का मूल वेतन उसके शुद्ध मासिक सीटीसी का कम से कम 50% होगा। यदि यह प्रावधान लागू होता है, तो कर्मचारी अपने बेसिक मासिक सैलरी का 50 प्रतिशत से अधिक भत्ते के रूप में प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
बढ़ेगा पीएफ
कर्मचारी के ग्रेच्युटी और पीएफ अंशदान में वृद्धि होगी। इसलिए जहां कर्मचारियों का टेक होम वेतन कम किया जा सकता है। वहीं ग्रेच्युटी और पीएफ बढ़ सकते हैं।
12 घंटे कार्य सप्ताह
विशेषज्ञों का यह मानना है कि नया मसौदा कर्मचारियों के काम के घंटों को प्रभावित करेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कर्मचारियों को 4 दिन के कार्य सप्ताह की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन उन्हें उन चार दिनों में 12 घंटे काम करना होगा। श्रम मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि 48 घंटे साप्ताहिक काम की आवश्यकता है।
अवकाश नीति में बदलाव
अर्न लीट के मामलों में बदलाव देखा जा सकता है। श्रमिक संघ नए कोड में छुट्टियां की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहा है। वर्तमान में विभिन्न विभागों में 240 से 300 अवकाश हैं। कर्मचारी 20 साल की सेवा के बाद छुट्टियां नकद में ले सकते हैं।
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