मसूरी। सरकारी तंत्र की गलती व चुनाव आयोग की लापरवाही के साथ ही मतदाताओं में जागरूकता की कमी के कारण बड़ी संख्या में मतदान करने आये लोगों को बिना मत डाले वापस जाना पड़ा। कारण था कि जब मतदाता सूची का प्रकाशन होना था उससे पहले सभी मतदान बूथो पर बीएलओ की तैनाती की गई थी कि जिस किसी का नाम मतदाता सूची में नही ंचढ़ा वह चढ़ा ले, या नाम में कोई गलती हो तो सुधार ले। लेकिन इसमें लापरवाही के कारण कई मतदाता अपने मतदान केंद्र पर पहुंचे तो उन्हें मतदान पहचान पत्र होने के बाद भी सूची में नाम न होने पर मतदान से वंचित होना पड़ा। कई मतदाता ऐसे थे जिनके नाम व अभिभावकों के नाम में गलती थी वह भी मतदान से वंचित रहे। कई स्थानों पर तो परिवार के परिवार के नाम मतदाता सूची में न होने से परिवार सहित बिना मतदान किए लोगों को बैरंग लौटना पड़ा। कई ऐसे लोग भी नजर आये जो कि परिवार सहित देहरादून से मसूरी वोट देने आये लेकिन सूची में नाम न होने पर उन्हें मतदान नहीं करने दिया गया। जबकि उनके पास मतदान पहचान पत्र था। यहीं नहीं इसके अलावा भी कई गलतियों के कारण मतदाता सूची में नाम होने के बाद भी लोग मतदान नहीं कर पाये। कई सूचियां ऐसी थी जिसमें परिवार के कुछ सदस्यों को नाम एक बूथ पर था तो कुछ का पांच से छह किमी दूर था ऐसे कई मामले भी देखने को मिले। लाइब्रेरी बूथ पर कुछ मतदाताओं के परिवार के वोट तो थे लेकिन अधिकतर के बांसाघाट की लिस्ट में थे जहंा जाना संभव नहीं था जो मसूरी से करीब सात किमी दूर है। ऐसे की कंपनी बाग व वेवरली बूथ में भी कई परजनों के वोट नियत बूथ पर थे तो कईयों के दूधली में थे जिस कारण वह अपने मतदान का प्रयोग नहीं कर पाये।
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