चकराता(त्यूणी), जौनसार-बावर क्षेत्र में महासू-चालदा मंदिर में पांच दिवसीय वसंत पंचमी पर्व के चौथे दिन मंगलवार को लोक नृत्य की धूम रही। स्थानीय कारसेवकों ने देवता के दरबार में हारिया और भौंड नृत्य की प्रस्तुति दी। इसके अलावा महिलाओं ने जौनसारी नृत्य की से समा बांधा।
जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर में वसंत पंचमी पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत सिद्धपीठ श्री महासू देवता मंदिर हनोल में वसंत पंचमी के पहले दिन देवता के दरबार में शुभ मुहूर्त पर जौ के हरियाली की लूंग चढ़ाने और फेरा लगाने से होती है। इसके बाद महासू-चालदा मंदिर में दूसरे दिन हिरण नाच, तीसरे दिन हारिया और चौथे दिन भौंड नृत्य की परंपरात है। पांडवकालीन महत्व के महासू मंदिर हनोल, प्रवास पर समाल्टा मंदिर में विराजमान चालदा महासू, माता देवलाड़ी एवं बाशिक महासू मंदिर मैंद्रथ, बंगाण के पवासी महासू मंदिर ठड़ियार व जौनसार के महासू-चालदा मंदिर थैना में प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी वसंत पंचमी का मेला लगा है। पर्व के चौथे दिन चालदा महासू मंदिर समाल्टा व बोठा महासू मंदिर हनोल में स्थानीय कारसेवकों ने देवता की नृत्य से स्तुति की। हारिया-भौंड नृत्य की प्रस्तुति के दौरान हास्य कलाकारों ने सबको गुदगुदाया। इसके अलावा बाजगी समाज की महिलाओं ने मंदिर परिसर में ढोल-दमोऊ व रणसिघे की थाप पर लोक नृत्य किया। वसंत पंचमी के अवसर पर देवता के मंदिर में पूरे दिन नाच-गाने का दौर चला। दूर-दराज से बड़ी संख्या में लोग देवता के दरबार में मत्था टेकने आए। लोक नृत्य देखने पहुंचे श्रद्धालुओं ने महासू-चालदा महाराज के दर्शन कर अपने घर-परिवार व समाज की खुशहाली की कामना की। बुधवार शाम को मंदिर में स्वांगा नृत्य की प्रस्तुति के साथ वसंत पंचमी का समापन होगा। इस मौके पर रोशनलाल, नत्थी प्रसाद, समतपाल वरख, अनंनराम, चमन वर्मा, भूपेंद्र सिंह, जयानंद, महेंद्र वर्मा, देवेंद्र व कृतिराम, अनिल आदि मौजूद रहे।
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