Tuesday, November 26, 2024
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ब्रैकिंग : जनसंपर्क अधिकारी की पुन: नियुक्ति से कटघरे में मुख्यमंत्री धामी सरकार

देहरादून, राज्य में विधानस सभा की अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले सरकार ने 6 जनवरी को मुख्यमंत्री के जन संपर्क अधिकारी नंदन सिंह बिष्ट को फिर से नियुक्ति दे दी है। पिछले दिनों बागेश्वर खनन प्रकरण में नाम सामने आने के बाद बर्खास्त किए गए मुख्यमंत्री के जन संपर्क अधिकारी नंदन सिंह बिष्ट को फिर से नियुक्ति देने पर अब यह मामला पहले से ज्यादा रॎजनैतिक गलियारों चर्चा का विषय बना हुआ है, इस नियुक्ति के साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बागेश्वर में अवैध खनन से जुड़ी गाड़ी को छुड़ाने के लिए एक पत्र सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ था। उस वक़्त भी मामला काफी चर्चा में रहा। उस वक्त सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।

विपक्ष के सवाल उठाने के बाद जन संपर्क अधिकारी को हटा दिया गया था। लेकिन फिर से नंदन सिंह बिष्ट को बहाल करने पर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है। फिलहाल आने वाले चुनावी दिनों में यह मामला और तूल पकड़ने वाला है।

 

दून में जुलाई से लेकर अब तक 10 हजार से अधिक दाखिल खारिज चल रहे लंबित

देहरादून, उत्तराखंड राजस्व परिषद और राजस्व विभाग के हां-ना के बीच अब दाखिल खारिज करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। राजस्व सचिव रविनाथ रमन की ओर से जिलाधिकारियों को भेजे गए आदेश में नगर निकाय क्षेत्रों में दाखिल खारिज करने की अनुमति तहसीलों को दे दी गई है। हालांकि, छह माह बाद मिली यह अनुमति नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश के अधीन रहेगी।

नैनीताल हाई कोर्ट ने 16 दिसंबर 2020 के आदेश में कहा था कि नगर निकाय क्षेत्रों में लैंड रेवेन्यू एक्ट के तहत आने वाले कार्यों का अधिकार म्यूनिसिपल कार्पोरेशन एक्ट में नगर निकायों के पास है। इस आदेश के क्रम में उत्तराखंड राजस्व परिषद से मिले सुझाव के बाद शासन ने जुलाई 2021 के प्रथम सप्ताह से तहसीलों की ओर से निकाय क्षेत्रों में किए जाने वाले दाखिल खारिज (नामांतरण) पर रोक लगा दी थी। वहीं, शासन के संज्ञान में कोर्ट का एक ऐसा आदेश भी आया कि रोक सिर्फ संबंधित प्रकरण पर है और एलआर एक्ट की धारा 28 के तहत की जाने वाली कार्रवाई रोकी गई है। शासन ने आदेश का यह भी आशय निकाला कि दाखिल खारिज/खतौनी संबंधी प्रकरणों का निस्तारण धारा 34, 35 के तहत आता है।

फिर तत्कालीन राजस्व सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने 28 अक्टूबर को आदेश जारी कर कोर्ट के आदेश के अधीन दाखिल खारिज पर लगी रोक हटा दी थी। इससे पहले कि दाखिल खारिज शुरू हो पाते, राजस्व परिषद ने सलाह दी कि बिना कोर्ट की सहमति से दाखिल खारिज करना कोर्ट की अवमानना होगा। लिहाजा, कुछ समय बाद ही आदेश वापस ले लिया गया। न्याय विभाग की राय से फिर खुली राह

राजस्व परिषद की सलाह के बाद राजस्व विभाग ने न्याय विभाग से सलाह मांगी। न्याय विभाग की सलाह के क्रम में एलआर एक्ट की धारा 28 या पूरे एक्ट पर रोक की स्थिति स्पष्ट करने के लिए शासन ने कोर्ट को प्रार्थना पत्र भेजा। दो दिन पहले कोर्ट की तरफ से भी मामले में हरी झंडी जारी कर दी गई। यह आदेश शासन को प्राप्त नहीं हुआ है, मगर शासन ने जिलों को दाखिल खारिज करने की अनुमति प्रदान कर दी है। सचिव राजस्व रविनाथ रमन का कहना है कि यदि भविष्य में कोर्ट का कोई अन्य आदेश आता है तो उसका अनुपालन किया जाएगा। लिहाजा, अग्रिम आदेश के अधीन दाखिल खारिज शुरू करने को कह दिया गया है। दून को मिलेगी खासी राहत

दाखिल खारिज पर लगी रोक हट जाने के सर्वाधिक लाभ जमीनों की अधिक खरीद-फरोख्त वाले दून जैसे जिलों को मिलेगी। दून में ही जुलाई से लेकर अब तक 10 हजार से अधिक दाखिल खारिज लंबित चल रहे हैं।

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