(राजेन्द्र सिंह नेगी)
अब लगभग तय हो गया है कि पीएम मोदी ही लगाएंगे प्रदेश राजनीति के ज्वलंत मुद्दों में शुमार देवस्थानम् एक्ट विवाद पर विराम | दरअसल एक्ट को लेकर तीर्थ पुरोहित वर्ग के आंदोलन को शीघ्र समाप्त करने की इच्छुक धामी सरकार, मोदी की केदार यात्रा के दौरान ही बोर्ड भंग करने का मन बना चुकी है | ऐसे में हालिया कृषि कानून वापिसी के बाद अब चारधाम एक्ट वापिसी की घोषणा भी मोदी अपनी 3 दिसंबर को देहरादून में होने वाली रैली के दौरान करेंगे | चूंकि इस एक्ट को लेकर तीन-तीन मुख्यमंत्रियों की अहम् भूमिका रही है, इसलिए इसकी विवाद रहित वापिसी के लिए मोदी की मौजूदगी को भाजपा रणनीतिकारों ने अहम् माना |
लंबे समय से देवस्थानम् बोर्ड एक्ट के खिलाफ आंदोलनरत तीर्थ पुरोहित, पुजारी समाज एवं हक हकूकधारियों की मुराद आखिरकार पूरी होने वाली है | क्योंकि उत्तराखंड सरकार इस एक्ट को वापिस लेने जा रही है | हालांकि इसके संकेत धामी सरकार ने मोदी के केदारनाथ धाम दौरे से पहले उस समय दे ही दे दिये थे जब आंदोलनकारियों की टकराव वाली रणनीति के चलते पीएम के दौरे पर भी सवाल खड़े होने लगे थे | इस दौरान एक अवसर ऐसा भी आया कि पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत को केदार बाबा के दर्शन से रोककर कर उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराया |
शायद उसी दिन तय हो गया था कि इस एक्ट को लेकर असंतुष्ट पक्ष को समझाने का समय गुजर गया है | क्योंकि इससे पूर्व तीर्थ सिंह रावत के मुख्यमंत्रिकाल में भी वरिष्ठ भाजपा नेता मनोहरकान्त ध्यानी की अध्यक्षता में एक्ट के पहलुओं पर विचार करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गयी थी | लेकिन इस प्रक्रिया का हासिल भी सिफर ही निकला | अब सभी इस निष्कर्ष पर पहुँच गए कि कृषि सुधार कानून से नाराज किसानों की तरह असंतुष्ट तीर्थ पुरोहित समाज का मानना अब नामुमकिन सा है |
अब जब तय हो गया कि चार धाम एक्ट को वापिस लेने के अलावा कोई चारा नहीं, ऐसे में लाख टके का सवाल था कि इसकी घोषणा की रूपरेखा तय करना | क्योंकि इस एक्ट को पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र के कार्यकाल में लागू किया गया था और एक्ट को लेकर वह समय समय पर अपने भावनात्मक लगाव को सार्वजनिक भी कर चुके हैं | वहीं दूसरे पूर्व सीएम तीर्थ सिंह रावत ने एक कदम आगे बढ़कर बकायदा बोर्ड के सदस्यों को मनोनीत भी कर दिया था | ऐसे में सीएम पुष्कर धामी के लिए प्रदेश की राजनीति में अहम् बने इस एक्ट को वापिस लेने की घोषणा करना आसान नहीं है | लिहाजा सूत्रों का कहना है कि पार्टी और सरकार के रणनीतिकारों के अनुसार कानून वापिसी को विवादरहित और गरिमामय बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी को सुनिश्चित किया गया |
फिलहाल उम्मीद की जा रही है कि देवस्थानम् बोर्ड एक्ट वापिसी से भाजपा सरकार के लगभग समूचे कार्यकाल में जारी रहे इस विवाद का पटाक्षेप हो जाएगा | अब चूंकि विधानसभा चुनाव में बहुत कम समय बचा है और विरोध करने वाले अधिकांश लोग भाजपा के ही कोर वोटर हैं | लिहाजा एक्ट वापिसी से पार्टी को उम्मीद है कि इस मुद्दे पर वह ‘न नफा न नुकसान’ की स्थिति में आ जाएगी, जो पार्टी के लिए शुभ संकेत होगा |
जानें देवस्थानम बोर्ड के विवाद का क्या है पूरा मामला
उत्तराखंड सरकार के देवस्थानम बोर्ड का क्या है विवाद ?
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के चारधाम समेत 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है।
देवस्थानम बोर्ड का पुरोहित क्यों कर रहे विरोध ?
अब तक मंदिरों के पुरोहित ही सारा प्रबंधन देखते थे। मंदिरों का चढ़ावा से लेकर दान सब उन्हें मिलता था। अब यह बोर्ड के हाथों में है।
देवस्थानम बोर्ड को लेकर पुरोहितों का क्या कहना है ?
पुरोहितों का कहना है कि सरकार ने उनके हक को मार लिया है।
देवस्थानम बोर्ड कब बना था?
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने बनाया था।
देवस्थानम बोर्ड ऐक्ट कब बना था ?
5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम बोर्ड का विधेयक पास हुआ था।
देवस्थानम बोर्ड के विरोध में कब से चल रहा आंदोलन
देवस्थानम बोर्ड के विरोध में 2019 से ही आंदोलन चल रहा है।
क्यों नहीं सुलझ रहा देवस्थानम बोर्ड विवाद का मुद्दा ?
सरकार चाहती है कि इस मामले में बीच का कोई रास्ता निकाला जाए लेकिन पुरोहित चाहते हैं कि यह बोर्ड पूरी तरह से भंग किया जाए। फिलहाल विवाद को 30 अक्टूबर तक खत्म करने को कहा गया था लेकिन विवाद अब भी बना है।
उत्तराखंड सरकार के देवस्थानम बोर्ड का क्या है विवाद?
उत्तराखंड सरकार ने राज्य के चारधाम समेत 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया है।
देवस्थानम बोर्ड का पुरोहित क्यों कर रहे विरोध ?
अब तक मंदिरों के पुरोहित ही सारा प्रबंधन देखते थे। मंदिरों का चढ़ावा से लेकर दान सब उन्हें मिलता था। अब यह बोर्ड के हाथों में है।
देवस्थानम बोर्ड को लेकर पुरोहितों का क्या कहना है ?
पुरोहितों का कहना है कि सरकार ने उनके हक को मार लिया है।
देवस्थानम बोर्ड कब बना था?
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने बनाया था।
देवस्थानम बोर्ड ऐक्ट कब बना था ?
5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम बोर्ड का विधेयक पास हुआ था। देवस्थानम बोर्ड के विरोध में 2019 से ही आंदोलन चल रहा है।
क्यों नहीं सुलझ रहा देवस्थानम बोर्ड विवाद का मुद्दा ?
सरकार चाहती है कि इस मामले में बीच का कोई रास्ता निकाला जाए लेकिन पुरोहित चाहते हैं कि यह बोर्ड पूरी तरह से भंग किया जाए। फिलहाल विवाद को 30 अक्टूबर तक खत्म करने को कहा गया था लेकिन विवाद अब भी बना है।
उत्तराखंड सरकार ने कब अपने हाथ में लिया प्रबंधन ?
त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम-2019 के तहत एक बोर्ड का गठन कर चार धामों के अलावा 51 मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों में ले लिया। सरकार का कहना था कि लगातार बढ़ रही यात्रियों की संख्या और इस क्षेत्र को पर्यटन व तीर्थाटन की दृष्टि से मजबूत करने के उद्देश्य के मद्देनजर सरकार का नियंत्रण जरूरी है। सरकारी नियंत्रण में बोर्ड मंदिरों के रखरखाव और यात्रा के प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से करेगा। तब से लेकर अब तक तीर्थ पुरोहितों के अलावा एक बड़ा तबका सरकार के इस फैसले के विरोध में है। उसका कहना है कि सरकार इस बोर्ड की आड़ में उसके हकों को समाप्त करना चाह रही है। समय-समय पर वह धरना, प्रदर्शन और अनशन के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करते रहे हैं।
30 अक्टूबर तक क्यों नहीं सुलझा मामला ?
तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा इस बात पर है कि सरकार ने 2019 में जो देवस्थानम बोर्ड की घोषणा की थी उसे वापस नहीं लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपना कार्यभार संभालने के बाद 11 सितंबर, 2021 को तीर्थ पुरोहितों को अपने आवास में बुलाकर आश्वस्त किया था कि 30 अक्टूबर तक इस मामले को सुलझा लिया जाएगा। पुरोहितों को इस बात पर भी रोष है कि मनोहर कांत ध्यानी ने कहा है कि बोर्ड को किसी कीमत पर भंग नहीं किया जाएगा। अगर पुरोहित समाज को इसके प्रावधानों से दिक्कत है तो उस पर विचार किया जा सकता है।
केदारनाथ धाम के पुरोहित ने क्यों लगाया आरोप?
बीते दिनों केदारनाथ धाम में पिछले 31 वर्षों से पूजा पाठ करवा रहे पुरोहित बृज बल्लभ बग्वाड़ी ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने पिछली सरकार के कामों को मटियामेट कर अरबों रुपये की बर्बादी की है।
कब-कब क्या हुआ ?
27 नवम्बर 2019 को उत्तराखंड चार धाम बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी। 5 दिसंबर 2019 में सदन से विधेयक हुआ पास। 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दी।24 फरवरी 2020 को देवस्थानम बोर्ड का सीईओ नियुक्त हुआ।24 फरवरी 2020 से देवस्थानम बोर्ड का पुरोहितों ने शुरू कर दिया विरोध। 11 सितंबर 2021 को पुष्कर धामी ने सीएम बनने के बाद संतों को बुलाकर विवाद खत्म करने का आश्वसन दिया था।30 अक्टूबर 2021 तक विवाद निपटाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन मुद्दा नहीं निपटा।
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