Friday, November 29, 2024
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केदारनाथ धाम के कपाट छह नवंबर भैयादूज पर्व पर शीतकाल के लिए होंगे बंद

रुद्रप्रयाग, परंपरा के अनुसार केदारनाथ धाम के कपाट भैयादूज पर्व पर छह नवंबर को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। जबकि, बदरीनाथ, द्वितीय केदार मध्यमेश्वर और तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट होने करने की तिथि एवं मुहूर्त विजयादशमी पर्व पर 15 अक्टूबर को तय किए जाएंगे। पंचगददी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में द्वितीय केदार और मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में तृतीय केदार के कपाट बंद करने की तिथि तय होगी। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की ओर से इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई

जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि विजयादशमी के दिन विधि-विधान, पंचाग गणना के पश्चात तय की जाएगी। एक धार्मिक कार्यक्रम में बदरीनाथ मंदिर परिसर में विद्वानों की मौजूदगी में कपाटबंदी के मुहूर्त का कार्यक्रम तय होगा।

उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि प्रत्येक यात्रा वर्ष में विजयादशमी के दिन तय की जाती है। शुक्रवार को विजयादशमी पर बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा के अलावा पंच पूजाओं का कार्यक्रम, श्री उद्धव एवं कुबेर के पांडुकेश्वर आगमन, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी के नृसिंह मंदिर जोशीमठ आने का कार्यक्रम भी घोषित होगा।

उन्होंने बताया कि इस दौरान आगामी यात्राकाल 2022 के लिए हक हकूकधारियों को पगड़ी भेंट की जाएगी। इस धार्मिक आयोजन में बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, सुनील तिवारी, राजेंद्र चौहान, गिरीश चौहान, कृपाल सनवाल सहित वेदपाठी, आचार्य, हकहकूकधारी मौजूद रहेंगे। दूसरी ओर शीतकाल के लिए चतुर्थ केदार रुद्रनाथ के कपाट बंद होने की तिथि गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर में तय की जाएगी।

 

गंगोत्री धाम के कपाट पांच, यमुनोत्री के छह नवंबर को होंगे बंद

उत्‍तरकाशी गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट के अवसर पर पांच नवंबर को बंद होंगे। कपाट बंद होने के शुभ मुहूर्त विजयादशमी पर 15 नवंबर को निकाला जाएगा। जबकि यमुनोत्री धाम के कपाट भयादूज के अवसर पर छह नवंबर को विधिवत हवन पूजा-अर्चना के साथ बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने का शुभ मुहूर्त एक सप्ताह के अंतराल में निकाला जाना है। छह नंवबर की सुबह शनिदेव की डोली अपनी बहन यमुना को लेने के लिए खरसाली से यमुनोत्री धाम जाएगी। विधिवत पूजा अर्चना के बाद बहन की अगुआई करते हुए वापस खरसाली आएगी।

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