गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के इस्तीफे के साथ ही भाजपा ने तीन महीने में अपने तीन राज्यों के मुख्यमंत्री बदलने की हैट्रिक लगा दी है | हालांकि मीडिया से बात करते हुए उन्होंने इसे पार्टी में दायित्व बदलते रहने की स्वाभाविक प्रक्रिया बताया । लेकिन इस बदलाव के पीछे की असल वजह पार्टी की राजनैतिक कंपलशन है |
यूं तो गुजरात में सीएम बदलने की चर्चाएँ काफी दिनों से चल रही थी लेकिन पीएम के साथ ऑनलाइन मीटिंग के बाद अचानक से इस्तीफा देने ने सबको चौंका दिया | इस बदलाव की सबसे अहम कारण है अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव । पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री बदलने से जनता की नाराजगी को कम किया जा सकेगा | साथ इस तरह का अप्रत्याशित और विवाद रहित परिवर्तन जनता में कुछ नयी उम्मीदें जगाता है, जो अगला चुनाव जीतने में मददगार साबित होगा । हालांकि रूपाली को लेकर राज्य में बहुत अधिक नाराजगी नहीं थी, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए किसी युवा चेहरे को सामने लाने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी |
लगभग यही कारण है भाजपा का कर्नाटक और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बदलने के पीछे | इस सबके अतिरिक्त कर्नाटक में येदूरप्पा का उम्रदराज होना और उत्तराखंड में तकनीकी दिक्कत भी सरकार का चेहरे बदलने के पीछे एक वजह रही |
फिलहाल नए CM की रेस में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, केंद्रीय मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, गुजरात के उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल और गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल के नाम शामिल हैं। इनमें मंडाविया सबसे आगे बताए जा रहे हैं । गौरतलब है कि रुपाणी ने 26 दिसंबर 2017 को चुनावों में जीत के बाद दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी । भाजपा ने गुजरात में कुल 182 सीटों में से 99 सीटें जीतकर रुपाणी को विधायक दल का नेता और नितिन पटेल को उपनेता चुना गया था।
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