(एल. मोहन लखेड़ा)
“देश के पीएम मोदी ने युवाओं को आत्मनिर्भर भारत के तहत सकरात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की पहल का पाठ क्या पढ़ाया, बस फिर देश का युवा चल पड़ा उसी ओर..! हम आज आपको उत्तराखंड़ के ऐसे ही एक युवा से रूबरू करा रहे हैं, जिसने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 2017 से शुरू किया मंडुवे के मोमो और बर्गर के साथ मंडवा चाय एवं कॉफी बनाने का एक सार्थकता भरा प्रयास, बस फिर क्या जिसने खाया मोमो बर्गर वह भी चकित और जिसने पी काॕफी और चाय का वह भी हुआ मुरीद..! उत्तराखंड के युवाओं के लिए मिसाल बने इस युवा सेफ सुभाष रतूड़ी की मेहनत को सलाम…!
उत्तराखंड़ वैसे तो पूरे विश्व में देवभूमि के रूप में विख्यात है, यहां के सीधे और सरल पहाड़ी मेहनत के बलबूते आज देश विदेश में अपनी धमक दे रहे हैं, इसी पहाड़ी जन मानस के बीच से जब एक युवा ‘सुभाष’ जनपद चमोली के सेरागड़ गांव से अपनी पढ़ाई के बाद होटल मैनेजमेंट करने निकला और फिर अपने सपने पूरे करने के लिये देश के कई राज्यों जयपुर, दिल्ली , बैंगलोर, केरल, मध्य प्रदेश आदि जगहों पर कई नामी होटलों में नौकरी करने लगा। परन्तु यहां भी सपनों को ऊंचाई नहीं मिली तो चल दिये विदेश, विदेश में कतर और दुबई में सेफ का काम करते करते समय बीतता गया, लेकिन अपनी मातृ भूमि की कसक ने नौकरी छोड़ने पर कर दिया मजबूर और आ गये पहाड़, फिर उत्तराखंड में कुछ नया करने की सोची और शुरू किया अपना सफर..! सोचा जिस क्षेत्र में इतने साल काम किया उसी में कुछ किया जाय | उत्तराखंड की भूमि पर पैदा मंडुवे पर कुछ नया करने की सोची । आज हर शहर व छोटे बाजारों में फास्ट फूड़ का बहुत ज्यादा प्रचलन है।
लेकिन सुभाष रतूडी ने कुछ नया करने की सोची उन्होंने मंडुवे के फास्ट फूड बनाने की सोची और मंडुवे के मोमो, बर्गर, रोल, पावभाजी आदि । जिसे धीरे धीरे देहरादून के लोग बहुत पसन्द करने लगे। सुभाष ने मंडुवे के मोमो, बर्गर और चाय, काॕफी के साथ लस्सी बनानी शुरू की तो लोग भी आश्चर्यचकित हो गए | मंडुवे से बने इन व्यंजनों का स्वाद दून के लोग धीरे धीरे भाने लगा | दून के सर्वेचौक के पास स्थित ‘दून स्पाइस’ नाम से है सुभाष रतूड़ी का रेस्टोरेंट, जहां अब लोग भी जुटने लगे। हर एक की जुवां पर एक ही सवाल, जिस मंडुवे को लोग मोटे अनाज कहकर पशुओं के लिए प्रयोग करते थे उसके अंदर ऐसे लाभकारी गुण।
आत्मनिर्भर की मिसाल बने आज सुभाष युवाओं के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं उनका मंडुवे के उत्पादकों में सेफ लक्ष्मण सिंह नेगी भी सहभागिता निभा रहे हैं | उनका कहना है कि सरकार केवल कहती है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता। हर राज्य में लोकल खाने को परोसा जाता है लेकिन हमारे राज्य में अभी तक हम बाहर से आये टूरिस्टों को अपना गढ़वाली भोज नहीं खिला पाते। जबकि टूरिस्ट चाहता है । आज मंडुवे की चाय, काॕफी पीने के लिए बाहरी राज्यों के लोग लगातार रेस्टोरेंट में आ रहे हैं और बहुत पसंद भी कर रहे हैं। जब उनसे सरकारी मदद के लिए पूछा गया तो वे वेबाक कहने लगे कि केवल सरकार दिखावे के सिवाय कुछ नहीं करती।आज तक सरकार का एक भी नुमाइन्दा यहां नहीं आया। आपको बता दें कि दून में मंडवे का आटा सौ रुपये से ऊपर प्रति किलो बिक रहा है।
सेफ सुभाष रतूड़ी ने एक नया प्रयोग जो मंडुवे पर किया और अपनी कैटरिंग में मंडुवे और उत्तराखंड के खानपान को जन मानस को परोसते है, उसके लिये शुभकामनाएं | रेस्टोरेंट New Doon Spice के साथ सबसे अच्छी पहल ‘पहाड़ का स्वाद मडुवे के साथ’ उनके इस काम को देखकर काफी युवाओं ने अब अपना स्टार्टअप भी शुरू करने का मन बना लिया, सफलता के इस मुकाम को लेकर सुभाष का कहना है सरकार हमारा साथ दे तो हम अपने युवाओं को रोजगार के क्षेत्र में आगे बढ़ा सकते हैं, जिससे पलायन जैसी विकट समस्या से भी निजात पाया जा सकता है, उम्मीद है कि सरकार युवाओं को प्रोत्साहन के लिए आगे आकर सहयोग करेगी।
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